सम्पादकीय

महामारीसे उबारनेकी पहल

अरुण नैथानी नये वर्षमें महामारीके अंधियारेमें डूबी दुनियाको रोशनीकी किरण तब नजर आयी, जब कारगर वैक्सीन तलाशनेकी मुहिम सिरे चढ़ी। यूं तो वैक्सीन खोजनेके सैकड़ों प्रयास पूरी दुनियामें हुए। उनको लेकर तमाम दावे भी किये गये। लेकिन विश्वसनीयताकी कसौटीपर जिस वैक्सीनको खरा बताया गया, वह थी जर्मनीकी बायोएनटेक द्वारा अमेरिकी फर्म फाइजरके साथ मिलकर बनायी […]

सम्पादकीय

संयुक्त परिवारकी समाप्त होती अवधारणा

बाल मुकुन्द ओझा आज भी दुनिया परिवार और संयुक्त परिवारकी अहमियतको लेकर विवादोंमें उलझी है। भारतमें संयुक्त परिवार प्रणाली बहुत प्राचीन समयसे ही विद्यमान रही है। वह भी एक जमाना था जब भरा पूरा परिवार हंसता खेलता और एक-दूसरेसे जुड़ा रहता था। बच्चोंकी किलकारियोंसे मोहल्ला गूंजता था। पैसे कम होते थे परन्तु उसमे भी बहुत […]

सम्पादकीय

भावनात्मक परिष्कार

श्रीराम शर्मा प्राचीनकालसे तुलना की जाय और मनुष्यके सुख-संतोषको भी दृष्टिगत रखा जाय तो पिछले जमानेकी असुविधाभरी परिस्थितियोंमें रहनेवाले व्यक्ति अधिक सुखी और संतुष्ट जान पड़ेंगे। इन पंक्तियोंमें भौतिक प्रगति तथा साधन-सुविधाओंकी अभिवृद्धिको व्यर्थ नहीं बताया जा रहा है, न उनकी निंदा की जा रही है। कहनेका आशय इतना भर है कि परिस्थितियां कितनी भी […]

सम्पादकीय

पूरा होगा घरका सपना

इस बातसे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि देशमें बढ़ती आर्थिक असमानताको कम करना सरकारोंके लिए सबसे बड़ी आर्थिक-सामाजिक चुनौती होती है। इसीके मद्देनजर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कई योजनाएं शुरू की जिसका लाभ गरीब तबकेके लोग उठा भी रहे हैं। इसी कड़ीमें आगे जुड़ रहा है गरीबोंको मकान देनेकी योजना। इस महत्वाकांक्षी […]

सम्पादकीय

आयकरमें वृद्धि आवश्यक

बीते कई वर्षोंसे सरकार लगातार आयकर, जीएसटी और आयत करकी दरोंमें कटौती करती आ रही है। यह कटौती सार्थक होती यदि साथ-साथ अर्थव्यवस्थामें गति आती जैसे हल्का भोजन करनेसे शरीरमें तेजी आती है। लेकिन कटौतीके कारण सरकारके राजस्वमें उलट गिरावट आयी है। अर्थव्यवस्थाके मंद पड़े रहनेके कारण राजस्वमें भी गिरावट आयी है। सरकारका घाटा तेजीसे […]

सम्पादकीय

सहज स्वास्थ्यकी अभिलाषा

हृदयनारायण दीक्षित चिकित्सा विज्ञानने विस्मयकारी उन्नति की है। हृदय, गुर्दा जैसे संवेदनशील अंगोंकी शल्यक्रिया आश्चर्यजनक है। लेकिन रोग रहित मानवताका स्वप्न दूर है। प्रश्र है कि क्या कभी रोगोंका होना ही रोका जा सकता है। आधुनिक चिकित्सा जगतमें गम्भीर बीमारियोंके उपचार आसान हुए हैं। रोगोंकी दवाएं हैं। पूर्वज अमृतकी कल्पना करते रहे हैं। रोगोंके आगमनपर […]

सम्पादकीय

कृषि क्षेत्रमें सामाजिक सुरक्षाकी योजना

रत्नेश कुमार गौतम द्वितीय गोल मेज सम्मेलनमें भावी भारतीय संवैधानिक व्यवस्थाके व्यावसायिक पक्षपर चर्चाके दौरान गांधी जीने कहा कि कार्मिक, जो अधिकांशत: निम्न वर्गसे आते थे तथा उस समय कथित उच्च वर्ग एवं राज्यकी कृपापर जीवित रहते थे और इनकी परिस्थितियोंको समान करनेके लिए विधायिकाका प्रथम अधिनियम जो लाया जाय वह इन लोगोंको जमीन प्रदान […]

सम्पादकीय

ऊर्जाओंका समूह

श्रीश्री रविशंकर गणेश दिव्यताकी निराकार शक्ति हैं, जिनको भक्तोंके लाभके लिए एक शानदार रूपमें प्रकट किया गया है। गण यानी समूह। ब्रह्मांड परमाणुओं और विभिन्न ऊर्जाओंका एक समूह है। इन विभिन्न ऊर्जा समूहोंके ऊपर यदि कोई सर्वोपरि नियम न बनकर रहे तो यह ब्रह्मांड अस्त-व्यस्त हो जायगा। परमाणुओं और ऊर्जाके इन सभी समूहोंके अधिपति गणेश […]

सम्पादकीय

कोरोना जंगका नया मंत्र

देशमें नये कोरोना वायरसका संक्रमण शुरू होना गम्भीर चिन्ताका विषय है। अबतक २५ लोगोंके इससे संक्रमित होनेकी पुष्टिï हुई है और इसकी संख्यामें वृद्धिकी भी आशंका बनी हुई है लेकिन सबसे बड़ी राहतकी बात यह है कि देशमें कोरोना पाजिटिव होनेवालोंकी दरमें काफी कमी आयी है। यह अब छह प्रतिशतसे नीचे आ गयी है। दूसरी […]

सम्पादकीय

प्रत्येक आगतका करें स्वागत

विकेश कुमार बडोला आंग्ल नववर्षपर मौसमके अनुरूप तो नवताका कोई बोध नहीं होता, परन्तु अरबों लोगोंकी भावनाओंके लिए यह नवीनता चर्चित तो बनी ही हुई है। इस वर्षकी शुरुआतसे ही हम सभी हमने अनमोल जीवनकी पहचान करना शुरू करें। जब हम अपनी जिन्दगीका वास्तविक मूल्य समझेंगे कि वह कितनी अनुपम है, तभी हम खुद और […]