Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

CM स्टालिन और गवर्नर के बीच ठनी, चेन्नई में लगे गेट आउट रवि के पोस्टर


नई दिल्ली, तमिलनाडु की राजनीति इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। विवाद सीधे तौर पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच उठ खड़ा हुआ है। विधानसभा से सोमवार को राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) के वॉकआउट के बाद विवाद इस कदर बढ़ गया कि चेन्नई में ‘गेट आउट रवि’ के कई पोस्टर दिखाई दिए हैं। ये पोस्टर वल्लुवर कोट्टम और अन्ना सलाई में नजर आए।

राज्यपाल के विरोध में प्रदर्शन

इस पूरे मामले पर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। थंथाई पेरियार द्रविड़ कड़गम (टीपीडीके) के कार्यकर्ताओं ने कोयंबटूर में विरोध प्रदर्शन करते हुए राज्यपाल आरएन रवि को केंद्र द्वारा उनके पद से हटाने की मांग की है। विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों ने उनका पुतला भी फूंका।

अभिभाषण को लेकर हुआ था विवाद

दरअसल, विधानसभा सत्र के दौरान सोमवार को राज्यपाल आरएन रवि ने अपना अभिभाषण दिया। इसके बाद सीएम एमके स्टालिन ने कुछ अंशों को अनदेखा करने पर रोष व्यक्त किया। इसके बाद स्टालिन ने एक प्रस्ताव पास कर राज्यपाल द्वारा दिए गए अभिभाषण को छोड़कर राज्य सरकार के मूल भाषण को रिकॉर्ड पर लेने का प्रस्ताव पास किया। इस पूरे हंगामे के बीच राज्यपाल ने विधानसभा से वॉकआउट कर गए। राज्यपाल ने राज्य सरकार की तरफ से तैयार किए गए अभिभाषण के जिन हिस्सों को छोड़ा था उसमें धर्मनिरपेक्षता, तमिलनाडु को शांति का स्वर्ग बताया गया था।

‘विधानसभा के नियमों का पालन किया’

इसके बाद सीएम एमके स्टालिन स्टालिन ने आरोप लगाया कि राज्यपाल का काम सरकार के द्रविड़ मॉडल सिद्धांतों के खिलाफ था और ये अस्वीकार्य है। सीएम ने कहा, ‘हमने विधानसभा के नियमों का पालन किया और राज्यपाल के भाषण शुरू होने से पहले अपनी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की, क्योंकि हम सरकार में हैं।’ उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल उस राज्यपाल का सम्मान करती है जो संवैधानिक मानदंडों के अनुसार भाषण देता है।

‘विधायी परंपराओं का उल्लंघन’

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने ना केवल द्रमुक के सिद्धांतों बल्कि सरकार के खिलाफ भी काम किया है। स्टालिन ने कहा, ‘उन्होंने सरकार के तैयार किए गए और उनके अनुमोदित पाठ को पूरी तरह से और उचित तरीके से नहीं पढ़ा, जो ना केवल खेदजनक था, बल्कि विधायी परंपराओं का भी उल्लंघन था।’

सदन में जमकर हुआ हंगामा

इससे पहले जब राज्यपाल ने विधानसभा में अपना पारंपरिक संबोधन शुरू किया तो जमकर हंगामा हुआ। डीएमके और सहयोगी दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। विधेयकों पर सहमति में देरी करने और ‘सनातन धर्म’ और तमिलनाडु पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए राज्यपाल के खिलाफ विरोध किया और बाहर चले गए।