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The Kerala Story Review रोंगटे खड़े करती है फिल्म की कहानी अदा शर्मा की बेहतरीन अदाकारी..


मुंबई। सुदीप्‍तो सेन निर्देशित और विपुल शाह निर्मित फिल्‍म द केरल स्‍टोरी ने दर्शाया है कि लव जिहाद कैसे किया जाता है। ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही फिल्‍म विवादों में हैं। 

केरल में 32 हजार लड़कियों के जबरन मतांतरण कराने और आतंकी संगठन आइएसआइएस में शामिल कराने की बात को कई राजनीतिक संगठनों ने फर्जी कहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा, लेकिन अदालत ने हस्‍तक्षेप से इनकार किया।

द केरल स्टोरी के निर्देशक सुदीप्‍तो सेन और निर्माता विपुल अमृतलाल शाह के साहस की प्रशंसा करने होगी कि उन्‍होंने इतने साहसिक विषय पर बात की। मतांतरण पर बनी यह फिल्‍म रोंगटे खड़े करती है। ऐसी कहानी के लिए जो लोग सुबूत मांग रहे हैं, उनके लिए भी फिल्‍म के क्‍लाइमैक्‍स में बहुत सारी जानकारी है। जिन तीन लड़कियों की जिंदगानी पर यह फिल्‍म हैं, उनमें दो के माता-पिता की बातचीत को आखिर में दर्शाया गया है।

 

तीसरी लड़की की मां ने बात नहीं की, लेकिन जानकारी दी। वह अभी भी इस आस में हैं कि उनकी बेटी घर वापस आएगी। मध्‍यमवर्गीय परिवार की तीन लड़कियों के माता-पिता आज भी न्‍याय की आस में हैं। यह फिल्‍म प्रेम के नाम पर छल करने वालों का भंडाफोड़ करती है।

साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ सख्‍त कानून की भी मांग करती है। देखना यह होगा इस दबे सच को पर्दे पर देखने के बाद कितने लोग इन लड़कियों के परिवार को न्‍याय दिलाने के लिए आगे आएंगे।

क्या है ‘द केरल स्टोरी’ की कहानी?

कहानी जेल में बंद फातिमा उर्फ शालि‍नी उन्‍नीकृष्‍णन (अदा शर्मा) से ईरानी-अफगानी अधिकारियों द्वारा पूछताछ से आरंभ होती है। शालिनी के सीरिया पहुंचने और उसकी जिंदगी की परतें खुलना आरंभ होती है। केरल के एक प्रख्‍यात कालेज में अलग-अलग क्षेत्रों से नर्सिंग की पढ़ाई करने आईं चार लड़कियां शालिनी, गीतांजलि (सिद्धि इदनानी), नीमा (योगिता बिहानी) और आसिफा (सोनिया बलानी) रूममेट हैं।

आसिफा का मकसद पढ़ाई की आड़ में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देना है। उसके लिए वह कजिन भाई के नाम पर दो लड़कों रमीज (प्रणय पचौरी) और अब्‍दुल (प्रणव मिश्रा) से इन लड़कियों की मुलाकात करवाती है। अचानक से मॉल में एक घटना में तीनों लड़कियों के कपड़े फाड दिए जाते हैं और आसपास के लोग मूक दर्शक बने रहते हैं।

इस घटना के बाद शालिनी की रमीज और गीतांजलि की अब्‍दुल से धीरे-धीरे नजदीकी बढ़ती है और उन्‍हें प्‍यार हो जाता है। फिर शालिनी गर्भवती हो जाती है। हालांकि, नीमा आसिफा की बातों में नहीं आती। वह इनसे दूर रहने लगती है। आसिफा अपने नापाक मकसद में कामयाब होती है।

वह फातिमा को सीरिया भेजने में कामयाब हो जाती है। वहीं, गीतांजलि सच्‍चाई का अहसास होने पर अब्‍दुल से दूर रहने लगती है। फातिमा से बातचीत के दौरान नीमा का सच सामने आता है, जो रोंगटे खड़े करता है। पर शालिनी का इस तरह ब्रेनवाश हुआ होता है कि उस सच्‍चाई को स्‍वीकार नहीं पाती है। यही उसे बर्बादी की ओर ले जाता है।

कैसी है कथा, पटकथा और अभिनय?

आइएसआइएस को लेकर पहले भी खबरें आई हैं कि उन्‍होंने कई महिलाओं को यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया हुआ था। सूर्यपाल सिंह, सुदीप्‍तो सेन और विपुल अमृतलाल शाह लिखित यह कहानी उसी दबे सच को दिखाने का साहस करती है।

इसमें लड़कियों का ब्रेनवाश, मतांतरण कराने और उन्‍हें आतंकी बनाने के पहलू को संजीदगी से दर्शाया है। इंटरवल से पहले फिल्‍म शालिनी के सीरिया पहुंचने और वहां की जिंदगी को दर्शाती है। उसमें तालिबान की क्रूरता और महिलाओं के प्रति उसकी सोच की भी झलक दी गई है। यह उस रैकेट की कार्य प्रणाली की झलक देती है, जो इस धंधे में लिप्‍त हैं।

 

अदा ने शालिनी से फातिमा बनने का सफर बहुत संजीदगी और खूबसूरती से पर्दे पर जिया है। मलयालयम उच्‍चारण उनके किरदार को विश्‍वसनीय बनाता है। बाकी तीनों अभिनेत्रियों योगिता बिहानी, सोनिया बलानी, सिद्धि इदनानी ने भी अपने किरदार के साथ न्‍याय किया है।

उन्‍होंने उसे शिद्दत से जिया है। निर्देशक सुदीप्‍तो ने बेहद संवेदनशील और जटिल विषय को चुना है। इसमें कई परेशान करने वाले दृश्‍य भी हैं। यह फिल्‍म आपको झकझोरती है। कई ऐसे पल आते हैं, जब आप सिहर जाते हैं।

यह उन लड़कियों के प्रति सहानुभूति जगाती है, जो प्रेम में धोखा खायी हैं। फिल्‍म में पाकिस्‍तान-अफगानिस्‍तान के बॉर्डर को दर्शाने के लिए सिनेमैटोग्राफर प्रशांतनु मोहपात्रा बधाई के पात्र हैं। फिल्‍म की कुछ कमजोरियां है, लेकिन ऐसे साहसिक विषय को देखते हुए उसे नजरअंदाज किया जा सकता है।

कथ्‍य के प्रभाव को गाढ़ा करने के लिए डाला गया फिल्‍म का बैकग्राउंड संगीत कहीं-कहीं खटकता है। फिल्‍म में फातिमा का संवाद है कि यह बहुत खतरनाक खेल है। शालिनी की आत्‍मा को मारकर स्‍लेव (दास) बनाने का है। वह इसमें सफल रहे। इसी तरह नीमा कहती है यह सिर्फ मतांतरण का मामला नहीं है यह हमारे देश की सुरक्षा का मामला है। ऐसे कई संवाद हैं, जो फिल्‍म देखने के बाद आपको झकझोरते हैं।

कलाकार: अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सोनिया बलानी, सिद्धि इदनानी आदि।

निर्देशक: सुदीप्‍तो सेन

अवधि: दो घंटे 18 मिनट

स्‍टार: तीन