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WPI Inflation: जून में घट कर 15.18 फीसद हुई थोक महंगाई,


नई दिल्ली, । थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI Inflation) जून में घटकर 15.18 प्रतिशत पर आ गई है। थोक महंगाई की दर मई में 15.88 फीसद थी, जबकि पिछले साल जून में यह 12.07 फीसद थी। थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति में पिछले तीन महीने में पहली बार गिरावट देखी गई है। बीते तीन महीने से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। बता दें कि अप्रैल 2021 से थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार दोहरे अंकों में बनी हुई।

सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जून में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 14.39 प्रतिशत थी। इस दौरान सब्जियों, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि देखी गई थी। मई में खाद्य पदार्थों की थोक मूल्य मुद्रास्फीति 12.34 फीसद थी। मई में सब्जियों की महंगाई दर 56.75 प्रतिशत थी, जबकि आलू और फलों में यह क्रमश: 39.38 और 20.33 प्रतिशत थी।

ईंधन और बिजली बास्केट में मुद्रास्फीति 40.38 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 9.19 फीसद और 2.74 फीसद थी। वहीं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति जून में 77.29 फीसदी थी।

उधर 12 जुलाई, 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार फुटकर मुद्रास्फीति जून में 7.01 प्रतिशत पर थी। इसमें मई के मुकाबले मामूली कमी आई है, लेकिन यह लगातार छठे महीने रिजर्व बैंक के कंफर्ट लेवल से ऊपर बनी हुई है। बता दें कि पहले आरबीआइ ने जून तिमाही (Q1) में मुद्रास्फीति के 7.5 प्रतिशत रहने और सितंबर तिमाही (Q2) में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। तेजी से बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआइ ने पिछले दो महीनों में रेपो रेट में 90 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने 2022-23 के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को 100 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआइ अपनी मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को देखता है। बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक समिति की अगली बैठक 2 से 4 अगस्त के बीच है।