Post Views: 1,826 जग्गी वासुदेव भक्ति कुदरतकी तरह है। कुदरत देनेमें कंजूसी नहीं करती, वह हर चीजमें अपने आपको पूरी तरहसे समर्पित कर देती है, कुदरतकी हर चीज अपनी पूरी क्षमतासे देना जानती है। जबकि मनुष्य बचत करनेका प्रयास करता है। क्योंकि इनसान खुशी, अपना प्यार और वह सारी बातें, जो उसके लिए बेहद प्रिय […]
Post Views: 442 डा. श्रीनाथ सहाय विशेषज्ञ तीसरी लहरकी आशंका जता चुके हैं। ऐसेमें कोरोनासे बचावके लिए टीकेको कारगर माना जा रहा है। टीका लगानेके बाद व्यक्तिके शरीरमें वायरससे लडऩेकी क्षमता बढ़ जाती है। दुनियाभरमें कोरोना वैक्सीनका सबसे बड़ा निर्माता होनेके बाद भी भारतमें वैक्सीनेशनकी स्पीड काफी धीमी है। अमेरिकी राष्टï्रपतिके चिकित्सा सलाहकार एवं विश्व […]
Post Views: 447 श्रीराम शर्मा किसीकी यह धारणा सर्वथा मिथ्या है कि सुखका निवास किन्हीं पदार्थोंमें है। यदि ऐसा रहा होता तो वह सारे पदार्थ जिन्हें सुखदायक माना जाता है, सबको समान रूपसे सुखी और संतुष्ट रखते अथवा उन पदार्थोंके मिल जानेपर मनुष्य सहज ही सुख संपन्न हो जाता। संसारमें ऐसे लोगोंकी कमी नहीं है, […]