पटना (विधि सं)। पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना के संक्रमण से बेकाबू होते हालात व राज्य सरकार की असंतोषजनक कार्यशैली पर सोमवार को अपनी कड़ी नाराजगी जताते हुए है मौखिक रूप से कहा है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने में सरकार पूरी तरह असफल होते दिख रही है और सारा तंत्र मानो ध्वस्त हो चुका है।
न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह व न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई को मंगलवार के लिए स्थगित करते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर से अनुरोध किया है कि वे मंगलवार तक सरकार से बात कर यह बताएं कि सूबे में लॉकडाउन लगेगा या नही? यदि मंगलवार तक कोई निर्णय नहीं आया तो हाई कोर्ट कड़ा फैसला ले सकती है।
विदित हो की उक्त मामले में जनहित मामले की सुनवाई के माध्यम से हाई कोर्ट राज्य में कोरोना महामारी से निपटने में सरकारी इंतेजाम व काम काज की देखरेख कर रही है। खंडपीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार के पास कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के कुछ अफसरों के जरिये कोर्ट को कुछ डाटा सौंप दिया जाता है। सरकार ने अब तक जो भी एक्शन प्लान दिए वे आधे अधूरे और अप टू मार्क नही हैं।
ऐसा मानो सरकार हैंडीकैप्ड यानी पंगु हो चुकी है, इसके पास डॉक्टर-वैज्ञानिक-नौकरशाह की कोई एडवाइजरी कमिटी तक नहीं है जो इस कोरोना विस्फोट से निपटे और यहां तक कि कोई वार रूम नहीं है। ऑक्सीजन आपूर्ति हेतु बार-बार हाईकोर्ट ने आदेश दिया फिर भी नतीजा ठोस नहीं निकला। केंद्रीय कोटा से मिलने वाले रोजाना ऑक्सीजन का कम मात्रा में उठाव किया जा रहा है।