पटना (आससे)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिमोट के जरिये शिलापट्ट का अनावरण कर एनटीपीसी बाढ़ सुपर थम्रल पावर प्रोजेक्ट स्टेज-१ की इकाई-१ (६६० मेगावाट) का लोकार्पण किया। बाढ़ एनटीपीसी प्रांगण स्थित हेलीपैड पर मुख्यमंत्री को गुलदस्ता भेंटकर उनका अभिनंदन किया गया। मुख्यमंत्री ने एनटीपीसी बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट का निरीक्षण भी किया। निरीक्षण के क्रम में मुख्यमंत्री के समक्ष एनटीपीसी बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पर आधारित लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी। मुख्यमंत्री ने एनटीपीसी बाढ़ प्रांगण में पौधारोपण भी किया।लोकार्पण के अवसर पर एनटीपीसी बाढ़ सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट प्रांगण स्थित क्रिकेट मैदान में आयोजित कार्यक्रम के मंच पर एनटीपीसी परिवार की तरफ से मुख्यमंत्री को अगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्नï भेंटकर उनका अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं केन्द्रीय मंत्री आर.के. सिंह और एनटीपीसी को विशेष तौर पर धन्यवाद देता हूं। यहां उपस्थित सभी लोगों का मैं अभिनंदन करता हूं। इस उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। नयी पीढ़ी के लोगों को यह जानना चाहिए कि इसे बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ी है और किस-किस प्रकार की बधाएं उत्पन्न हुई थीं। उन्होंने कहा कि इस इलाके के लोगों ने मुझे १९८९ से पांच बार एमपी बनाया है। यह मेरा पुराना चुनावी क्षेत्र है। एक बार फिर से हम इस पूरे इलाके में घूमेंगे। कोरोना के कारण कहीं जाना संभव नहीं था। जब तक जीवन है हम यहां के लोगों को कभी नहीं भूलेंगे। जब तक काम करने का मौका मिलेगा आपकी हर जरूरतों को पूरा करेंगे। आज फिर से पुराने क्षेत्र में आकर मुझे काफी प्रसन्नता हो रही है। उद्घाटन के मौके पर आप सबों के बीच आकर मुझे बेहतर खुशी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष १९९८ में अटल जी की सरकार में मुझे रेल मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला था। केन्द्रीय मंत्री के रूप में जो भी संभव था, मैंने यहां के लिए किया। उस समय रंगराजन कुमार मंगलम केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री थे। स्वर्गीय रंगराजन कुमार मंगलम अपने इलाके में रेल से संबंधित ५ कार्यों को लेकर मुझसे मिले थे। मैंने उनके सभी कामों का सैंक्शन कर दिया था। कुछ दिनों के बाद जब उनसे पुन: मुलाकात हुई, तो उन्होंने कहा कि हम आपके यहां थर्मल पावर प्लांट लगाना चाहते हैं। आप चिह्निïत कर बता दीजिए। तब हमने उनसे कहा था कि पटना से २० किलोमीटर आगे जाकर १०० किलोमीटर तक अपनी टीम भेजकर जहां उपयुक्त लगे, जगह का चयन कर लीजिए। टीम के लोगों ने जगह देखने के बाद बाढ़ में पावर प्रोजेक्ट लगाना तय किया। वर्ष १९९८-९९ में इस जगह का चयन हुआ। उसके बाद यहां ६६० मेगावाट की ३ यूनिट लगाने का ऊर्जा विभाग ने निर्णय किया।
उन्होंने कहा कि बिहार में १२ फरवरी, १९९९ से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था। उस समय यहां के राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी थे। हमने तत्कालीन राज्यपाल से मिलकर यहां के कृषि फार्म की २५ एकड़ जमीन को एनटीपीसी को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया। उन्होंने २४ घंटे के अंदर जमीन को एनटीपीसी को ट्रांसफर कर दिया। ६ मार्चख् १९९९ को बाढ़ थर्मल पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया। यह देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम काफी तेजी से किया गया। शुरू में एक गांव के लोग यहां बिजली घर बनाने का विरोध कर रहे थे। सालिम अली प्राकृतिक पक्षी विज्ञान केन्द्र ने भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी थी कि यहां पक्षी अभ्यारण्य है। तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री टीआर बालू से मुलाकात कर हमने कहा कि यह टाल का इलाका है और यहां १० लाख की आबादी है। बरसात को छोडक़र बांकी समय में लोग यहां खेती करते हैं। हमेने एक-एक डिटेल उनके समक्ष रखा। उस डिटेल के आधार पर प्रस्ताव तैयार किया गया। तब जाकर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इसकी अनुमति मिली। उसके बाद इसका टेंडर हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि १२ नवंबर को ६६० मेगावाट की तीन यूनिट में से एक यूनिट ने काम करना शुरू कर दिया है। आज इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ है। अगले साल दूसरे यूनिट का और उसके अगले साल तीसरे यूनिट का भी शुभारंभ कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि आज हमने जाकर देखा है कि ६६० मेगावाट की जगह ६७८ मेगावाट यूनिट का उत्पादन हो रहा है, यह काफी खुशी की बात है। इसके लिए पूरे एनटीपीसी परिवार और विशेष तौर पर आर.के.सिंह को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि शुरू में कुछ लोगों ने अफवाह फैलायी कि पहले औरंगाबाद में बिजली घर बनाना तय हुआ था जिसे अब बाढ़ में बनाया जा रहा है। जब मैं केन्द्रीय रेल मंत्री था, तो हमने औरंगाबाद में १००० मेगावाट यूनिट का पावर स्टेशन बनाने का निर्णय लिया था। वर्ष-२०१२ में बिहार सरकार की तरफ से भी हमलोगों ने ६६० मेगावाट की तीन यूनिट एनटीपीसी के साथ समझौता ५०-५० के आधार पर कर औरंगाबाद में लगाने का निश्चय किया।
हमलोगों ने बाद में बिहार सरकार की तरफ से इसे एनटीपीसी को ट्रांसफर कर दिया। बिहार में एनटीपीसी की तरफ से ७३०० मेगावाट का पावर प्लांट लग गया है। वर्ष २००५ में मात्र ७०० मेगावाट बिजली की खपत थी। हमलोगों ने हर घर बिजली पहुंचाने का निर्णय लिया। जिसे अब केन्द्र सरकार ने भी एडॉप्ट कर लिया है। अब ६६०० मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार कररने में लगे रहते हैं। दुष्प्रचार करनेवाले लोगों को यह बताना चाहिए कि उनके राजपाट में बिहार में बिजली की कितनी खपत थी। हमलोगों ने वर्ष २०१८ के दिसंबर माह तक हर घर बिजली पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे दो माह पूर्व ही पूरा कर लिया गया। अक्टूबर २०१८ में ही हर इच्छुक व्यक्ति तक बिजली पहुंचा दी गयी। बिजली बिल पर हमलोग अनुदान भी दे रहे हैं। बिहार में विकास के जो कार्य हुए हैं, उसकी जानकारी हर लेागों तक पहुंचनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर.के.सिंह ने यहां कह दिया है कि एनटीपीसी की तरफ से बिहार में बिजली का उत्पादन इतना अधिक किया जायेगा कि राज्य सरकार को किसी प्राइवेट कंपनी से बिजली की खरीद नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि सांसद ललन बाबू ने भी सभी राज्यों को एक रेट पर बिजली देने की बात कही है। ऐसा होने से बिजली की दरों में और कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि १५ साल राजपाट चलाने का जिनको मौका मिला, उनलोगों ने बिहार के लिए क्या किया। उस समय बिहार में सडक़ें टूटी हुई थीं और बिजली गुल थी। आज हर क्षेत्र में विकास का कार्य हो रहा है। आर.के.सिंह बिहार के हैं, तो जो भी जरूरतें यहां की होंगी, वे पूरा करेंगे। इनको मैं धन्यवाद देता हूं।
लोकार्पण समारोह को केन्द्रीय मंत्री विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा आर.के.सिंह सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और एनटीपीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंधन निदेशक गुरदीप सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू, विधान पाष्रद नीरज कुमार, सचिव ऊर्जा, भारत सरकार आलोक कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव ऊर्जा बिहार संजीव हंस, निदेशक परियोजना एनटीपीसी उज्जवल क्रांति भट्टïाचार्य, जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक उपेन्द्र शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं एनटीपीसी परिवार से जुड़े अन्य अधिकारीगण एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।