Post Views: 456 डा. भरत झुनझुनवाला राजनीतिक एवं वाणिज्यिक स्वतंत्रताओंके बीचमें भेद करना संभव नहीं होगा। ऐसा संभव नही कि लोगोंको व्यापार करनेकी स्वतंत्रता दी जाय लेकिन राजनीतिक स्वतंत्रता न दी जाय। जैसे कम्युनिस्ट रूस एवं कम्युनिस्ट चीनमें राजनीतिक स्वतंत्रतापर प्रतिबंध होनेके साथ व्यपारिक गतिविधियां कमजोर पड़ गयी थीं और कम्युनिज्म ध्वस्त हो गया था। […]
Post Views: 814 योगेश कुमार गोयल दुनियाभरमें अभीतक कोरोना मरीजोंकी संख्या करीब ११ करोड़ हो चुकी है, जिनमेंसे २४ लाखसे अधिक मौतके मुंहमें समा चुके हैं। भारतमें भी अबतक एक करोड़से ज्यादा व्यक्ति संक्रमणके शिकार हो चुके हैं। हालांकि हमारे यहां रिकवरी दर अन्य देशोंके मुकाबले काफी बेहतर रही है और पिछले कुछ समयमें देशभरमें […]
Post Views: 441 श्रीराम शर्मा संसार एक शीशा है। इसपर हमारे विचारोंकी जैसी छाया पड़ेगी, वैसा ही प्रतिबिंब दिखेगा। विचारोंके आधारपर ही संसार सुखमय अथवा दुखमय अनुभव होता है। उत्कृष्ट उत्तम विचार जीवनको ऊपर उठाते हैं। मनुष्यका जीवन उसके विचारोंका प्रतिबिंब है। सफलता-असफलता, उन्नति, अवनति, तुच्छता, महानता, सुख-दु:ख, शांति-अशांति आदि सभी पहलू मनुष्यके विचारोंपर निर्भर […]