मल्लिकार्जुन खड़गे बीते महीने जब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तो कहा गया था कि उन्हें कांटों भरा ताज मिला है। अध्यक्षी मिले एक महीना भी नहीं बीता है कि इस ताज के कांटे अब उन्हें चुभने लगे हैं। इसकी शुरुआत राजस्थान से हुई है, जहां एक बार फिर से सचिन पायलट कैंप ने सीएम बदलने की मांग तेज कर दी है। सचिन पायलट ने बुधवार को साफ कहा कि केसी वेणुगोपाल ने एक या दो दिन में बदलाव की बात कही थी, लेकिन अब तो महीना बीत गया है। वहीं पार्टी की गाइडलाइंस का हवाला देते हुए अशोक गहलोत ने उन्हें चुप रहने की नसीहत दे डाली। अब तक मल्लिकार्जुन खड़ने ने इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सचिन पायलट ने अपनी मांग में सीधा उन्हें ही संबोधित किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे के पास राजस्थान के संकट से निपटने के लिए क्या विकल्प मौजूद हैं। फिलहाल मल्लिकार्जुन खड़गे के पास तीन विकल्प हैं। इनमें पहला तो यही है कि अशोक गहलोत पर दिसंबर तक चुप्पी साधे रहें। इसकी वजह यह है कि भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंचने वाली है और हिमाचल एवं गुजरात के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में किसी भी तरह से माहौल खराब करना इन राज्यों में कांग्रेस की संभावनाओं पर असर डाल सकता है। मल्लिकार्जुन खड़गे की ओर से अशोक गहलोत को जीवनदान और उनके करीबियों को माफी भी दी जा सकती है। हालांकि अशोक गहलोत को पूरी तरह से क्लीन चिट और वरदान देना फायदे का सौदा भी नहीं है। इसकी वजह यह है कि इससे हाईकमान के कमजोर होने का संदेश जाएगा। कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में माना जा रहा है कि अगले साल नवंबर में होने जा रहे चुनाव में अशोक गहलोत की लीडरशिप में भाजपा वापस नहीं लौटेगी। इस बीच खड़गे के पास दूसरा विकल्प है कि वह जयपुर में एक बार फिर से पर्यवेक्षक भेजें। इस कदम में भी खतरे और संभावनाएं दोनों हैं। यदि खड़गे इसमें फेल होते हैं तो उनकी अध्यक्ष के तौर पर बोहनी खराब होने का खतरा होगा। इसकी वजह यह है कि गहलोत के समर्थक आज भी पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। तीसरा विकल्प यह है कि खड़गे कोशिश करें कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट कैंप के बीच समझौता हो जाए। अशोक गहलोत किसी भी कीमत पर सीएम पद अपने पास ही रखना चाहते हैं, जबकि पायलट भी उन्हें हटाने की मांग पर ही अड़ गए हैं। ऐसे में दोनों से इतर किसी को सीएम बनाया जा सकता है, जैसा पंजाब में चन्नी को लाकर किया गया था। लेकिन यहां फिर पंजाब जैसा रिस्क फैक्टर भी जुड़ जाएगा। यही वजह है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए राजस्थान का मसला आगे कुंआ और पीछे खाई जैसा हो गया है।
Related Articles
UP की 12वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द हुई, 26 लाख परीक्षार्थियों ने कराया था पंजीकरण
Post Views: 928 कोविड-19 महामारी के मद्देनजर माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश (यूपी बोर्ड) की 12वीं कक्षा की परीक्षाएं भी बृहस्पतिवार को रद्द कर दी गई। सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा भी रद्द कर दी गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ […]
शीतकालीन सत्र : 12 सांसदों के निलंबन के खिलाफ आज विपक्ष नहीं करेगा प्रदर्शन
Post Views: 515 नई दिल्ली, । शीतकालीन सत्र की शुरूआत से ही विपक्षी दल 12 सांसदों के निलंबन को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। गुरुवार को पहली बार इस मुद्दे को लेकर संसद के अंदर या बाहर किसी तरह का कोई प्रदर्शन नहीं किया गया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पहले इस बारे […]
Parliament Session: राहुल के समर्थन में काले लिबास में संसद पहुंचीं सोनिया, गांधी प्रतिमा के पास किया प्रदर्शन
Post Views: 398 नई दिल्ली, विपक्षी सांसदों के विरोध के बीच संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर हंगामे की भेंट चढ़ गई। राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक और लोकसभा आज शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बता दें कि विपक्षी […]