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धीरे-धीरे चढ़ रही है रंगत,कुंभके पहले शाही स्नान की


12 साल बाद कुंभ,   6 साल बाद अद्र्धकुंभ

आज महाशिवरात्रि को अखाड़ों का पहला शाही स्नान  है। पहले शाही स्नान के लिए कोविड से बचाव की कुंभ मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू हो गई है। बुधवार से एसओपी प्रभावी होगी और शुक्रवार तक लागू रहेगी। संन्यासी अखाड़ों की पेशवाई 9 मार्च को समाप्त हो गई। 2021 का कुंभ मेला 11 साल के अंतराल के बाद हरिद्वार  में आयोजित होने जा रहा है। ये आखिरी बार साल 2010 में आयोजित किया गया था। एसओपी लागू होने की अवधि से पहले हरिद्वार आकर होटलों, धर्मशाला और आश्रमों में ठहरने वालों लोगों की भी कोविड जांच की जाएगी। बॉर्डर और मेला क्षेत्र में 40 टीमें कोविड की रैंडम जांच होगी। इसके अंतर्गत हरिद्वार आने वाले हर व्यक्ति को कुंभ मेला पोर्टल पर पंजीकरण और 72 घंटे पहले की कोविड निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी। कुंभ मेले  में शाही स्नान अखाड़ों के साधु संतों के लिए काफी खास होता है। अखाड़े अपनी व्यवस्था के अनुसार खास क्रम में शाही स्नान करते हैं. अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि सबसे पहले जूना, अग्नि और आवाहन अखाड़े स्नान करेंगे. उसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़ा गंगा में डुबकी लगाएंगे. अंत में महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा शाही स्नान करेंगे। हर अखाड़े को स्नान के लिए आधे घंटे का समय दिया गया है। पहली बार श्रद्धालुओं को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन  कराना होगा। मेले में प्रवेश से पहले एंटीजन टेस्ट पर विचार किया जा रहा है. ऐसे में गंगा में डुबकी से पहले कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। इस बार कुंभ मेला 48 दिनों का होगा. रजिस्ट्रेशन करने के लिए सबसे पहले कुंभ मेले के पोर्टल पर जाना होगा। उसके बाद वेबसाइट में मांगी गई सभी जानकारियां दर्ज करनी होंगी. कोविड रिपोर्ट, हेल्थ चेकअप सर्टिफिकेट और आईडी प्रूफ अपलोड करने के बाद मोबाइल पर ई-पास प्राप्त होगा. इस ई-पास को दिखाकर ही हरिद्वार में एंट्री मिलेगी. जिसके पास यह ई-पास  नहीं होगा उसे हरिद्वार के बॉर्डर से वापस लौटाया जायगा। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए करोड़ों लोग तैयार है। हालांकि इस बार का कुंभ, कोरोना महामारी के कारण अलग होगा.हरिद्वार में हर 12 साल बाद कुंभ और छह साल बाद अद्र्धकुंभ लगता है। पहली बार शाही स्नान में चुनिंदा संत शामिल होंगे. कुंभ पर्व पर जीवनदायिनी मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर आचमन करने का साधु-संत और श्रद्धालुओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. पौराणिक मान्यता है कि कुंभ में गंगा स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष मिलता है। यही कारण है कि कुंभ मेले में संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है. 12 साल में होने वाला हरिद्वार महाकुंभ  इस बार 11वें साल यानी साल 2021 में होने जा रहा है. मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति आने पर महाकुंभ होता है। साल 2022 में बृहस्पति कुंभ राशि में नहीं रहेंगे. इसलिए इस बार आयोजन  एक साल पहले हो रहा है.कोविड-19 महामारी के दौर में ये पहला बड़ा धार्मिक समागम होगा.श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग से स्नान कराने के लिए पहली बार सामान्य घाटों के साथ कृत्रिम घाट इस्तेमाल होंगे. प्लास्टिक से तैयार इन घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की जा रही है. अब तक बाहरी श्रद्धालु 50 से अधिक घाटों पर स्नान करते आए हैं. इस बार गंगा नहर के घाटों पर भी स्नान कराया जायेगा. पहली बार शाही स्नान में चुनिंदा संत शामिल होंगे.11 मार्च को होने वाले पहले शाही को लेकर लाखों श्रद्धालुओं के हरिद्वार पहुंचने की उम्मीद को देखते हुए यातायात व्यवस्था बनाए रखने और भीड़ को नियंत्रित के लिए रूट प्लान जारी किया गया है। ट्रैफिक प्लान के मुताबिक शहर में किसी भी तरह के वाहनों को नहीं आने दिया जाएगा। रोडवेज की बसों को भी शहर से बाहर निर्धारित पार्किंग में खड़ा कराया जाएगा। बड़े और छोटे दोनों तरह के वाहनों के लिए प्लान जारी किया गया है।