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अखिलेश यादव ने सेंसरबोर्ड को लेकर उठाए सवाल तो लोगों ने पूछा- रामचरित मानस विवाद पर क्यों साधी थी चुप्पी –


  नई दिल्ली: रामचरित मानस और वाल्मिकी रामायण पर आधारित बनी फिल्म आदिपुरुष का मामला अब सियासी मैदान में पहुंच चुका है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फिल्म का नाम लिए सेंसर बोर्ड पर निशाना साधा है।

उन्होंने सवाल दागा है कि क्या सेंसरबोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है? उन्होंने कहा कि राजनीतिक आकाओं के पैसों से, एजेंडेवाली मनमानी फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फ़िल्मों को सेंसरबोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले, उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए।

जो राजनीतिक आकाओं के पैसों से, एजेंडेवाली मनमानी फ़िल्में बनाकर लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी फ़िल्मों को सेंसरबोर्ड का प्रमाणपत्र देने से पहले, उनके ‘राजनीतिक-चरित्र’ का प्रमाणपत्र देखना चाहिए।

क्या सेंसरबोर्ड धृतराष्ट्र बन गया है?

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) June 19, 2023

फिल्म को लेकर अखिलेश यादव की यह टिप्पणी सोशल मीडिया यूजर्स को नागवार गुजरी। यूजर्स ने रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का मामला उठा दिया। उन्होंने पूछा कि आपकी यह टिप्पणी उस वक्त कहा था कि जब स्वामी रामचरित मानस पर विवादित बयान दे रहे थे।

@BhanuSingh____ नाम के यूजर ने ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए सवाल किया कि जब पीके फिल्म में हमारे देवी देवताओं का अपमान किया था तब आप कहां थे ? जब पठान फिल्म का बहिष्कार किया जा रहा था तब आप कहां थे? जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने राम चरित मानस को काल्पनिक कहा था तब आप कहां थे?

@alokdubey1408 नाम के यूजर ने लिखा कि अच्छा लगता अगर आप “श्री रामायण” और “श्री राम जी” के बारे में समाजवादी पार्टी के महासचिव “स्वामी प्रसाद मौर्य” के द्वारा की गई बकवास और उनके “राजनीतिक चरित्र” को लेकर ऐसी टिप्पणी करते….!

@irajendrashukla ने कहा कि जब स्वामी प्रसाद मौर्य और समाजवादी पार्टी के समर्थक श्री रामचरित मानस को लेकर अभद्र टिप्पणी कर रहे थे, पवित्र रामचरितमानस ग्रंथ की प्रतियां जलाई जा रहीं थीं तब कहाँ थे आप और आपकी आस्था..?

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के समर्थन में बोलने वाले समाजवादी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य अभी भी पार्टी में न सिर्फ़ बने हुए हैं बल्कि उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया आपने, तब कहां गई थी आपकी आस्था…?