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आखिर क्या हैं बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन पर बीजेपी की चुप्पी के मायने?


  • लखनऊ, : उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं। जिसमें क्षेत्रीय दलों के साथ बीजेपी की जबरदस्त टक्कर होने की संभावना है। हाल ही में बहुजन समाजवादी पार्टी भी एक्टिव हुई और सबसे पहले उसकी नजर लंबे वक्त से नाराज ब्राह्मण वोट बैंक पर गई। इसके बाद भगवान राम की नगरी अयोध्या में उसका पहला ‘ब्राह्मण सम्मेलन’ हुआ। हालांकि समाजवादी पार्टी लगातार इस सम्मेलन को लेकर बसपा पर काउंटर अटैक कर रही, लेकिन बीजेपी की चुप्पी ने राजनीतिक हलकों में नई अफवाहों को जन्म दे दिया है।

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक भगवा खेमे यानी बीजेपी ने मायावती के साथ अपने राजनीतिक तीखेपन को दूर कर लिया है। ऐसे में अगले चुनाव में सिर्फ बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। वहीं बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले में चुप रहने का फैसला किया है। जिस वजह से वो मायावती के नए सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले पर काउंटर अटैक नहीं करेंगे। इसी ब्राह्मण-दलित समीकरण ने 2007 में मायावती को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता दिलाई थी।

राजनीतिक विशेषज्ञ इसे सपा पर उंगली उठाने और एक त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना को बढ़ावा देने के लिए बीजेपी की सोची-समझी चाल बता रहे हैं, जो अंत में बीजेपी को ही फायदा पहुंचाएगी। हालांकि मायावती और उनकी पार्टी के कई बड़े नेता ये कह चुके हैं कि उनका अभी बीजेपी के साथ गठबंधन का कोई प्लान नहीं है।