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‘आदिवासी शबरी की वजह से राजुकमार से मर्यादा पुरुषोत्तम बने श्रीराम’, PM ने वनवासियों से मांगा सहयोग


नई दिल्ली। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। पीएम मोदी इस समारोह के मुख्य यजमान हैं। वहीं, पीएम मोदी इस समय कठोर उपवास पर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (15 जनवरी) PMAY(G) के एक लाख लाभार्थियों को बड़ी सौगात दी। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएम-जनमन के तहत PMAY(G) के एक लाख लाभार्थियों को पहली किस्त जारी की।

मेरा सौभगाग्य है कि मुझे प्राण-प्रतिष्ठा में आमंत्रित किया गया: पीएम मोदी

इस दौरान उन्होंने लाभार्थियों को संबोधित करते हुए भगवान राम और माता शबरी का जिक्र किया। उन्होंने कहा,’कुछ दिनों बाद 22 जनवरी को भगवान राम भी हमें अपने भव्य मंदिर में दर्शन देंगे और मेरा सौभाग्य है कि मुझे अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है।”

राम की कथा माता शबरी के बिना संभव नहीं: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने आगे कहा, मैंने भी 11 दिन व्रत-अनुष्ठान का संकल्प किया हुआ है। श्रीराम का ध्यान स्मरण कर रहा हूं। आप जानते हैं कि जब आप राम का स्मरण करेंगे तो हैं माता शबरी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। श्री राम की कथा माता शबरी के बिना संभव नहीं है।’

पीएम मोदी ने आगे कहा,”जब राम अयोध्या से राम जब निकले थे तो वो राजकुमार राम थे, लेकिन वो मर्यादा पुरुषोत्तम तब बने जब माता शबरी, निषाद राज केवट का सहयोग और इनका सहयोग सानिध्य, राजुकमार राम को प्रभु राम बना दिया। राम तभी जब बन सके जब उन्होंने आदिवासी माता शबरी के बेर खाए। जब दशरथ पुत्र राम, दीनबंधु राम तभी  मर्यादा पुरुषोत्तम बन पाए जब उन्होंने आदिवासी माता शबरी के बैर खाए।'”

आदिवासी के विकास पर पीएम मोदी का जोर

भगवान राम ने अपने भक्त के भक्ति की संबंध को सबसे बड़ा कहा। आज की राज-कथा बिना गरीब, राजस्थान बिना, बिना वनवासी भाई-बहनों का कल्याण संभव ही नहीं है। इसी सोच के साथ हम लगातार काम कर रहे हैं। हमने 10 साल गरीबों को समर्पित किया। गरीबों को 4 करोड़ से ज्यादा पक्के घर दिए गए हैं। जिन्हें किसी ने कभी पूछा नहीं, मोदी आज पूछता भी है और पूजता भी है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि मेरे जवान भाई-बहन भले ही दूर-दराज के इलाक़ों में रहते हों, लेकिन दूरदर्शिता कमाल की होती है। आज जाब्ता समाज देख और समझ रहा है कि कैसे हमारी सरकार जन जातीय संस्कृति और उनके सम्मान के लिए काम कर रही है।