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कोर्ट तक पहुंचना है टेढ़ी खीर, चुपचाप दर्द सहने को मजबूर हैं अधिकतर लोग- चीफ जस्टिस


नई दिल्ली, । चीफ जस्टिस एनवी रमना (NV Ramana) ने शनिवार को व्यवस्था और न्याय को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा है कि न्याय की आस लेकर कोर्ट में पहुंचने वालों की संख्या काफी कम होती है। अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में दर्द सहने को मजबूर हैं। चीफ जस्टिस रमना ने NALSA (National Legal Services Authority) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण की पहली बैठक को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उहोंने अपने संबोधन में अधीनस्थ न्यायपालिका को फौरन मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

अदालत की दर तक पहुंचना ‘टेढ़ी खीर’

चीफ जस्टिस रमना ने न्याय तक पहुंचने की प्रक्रिया को ‘मुक्ति का हथियार’ बताया और कहा कि आबादी का काफी छोटा हिस्सा है जो न्याय के लिए कोर्ट में पहुंच रहा है। एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसके पास या तो जानकारी का अभाव है या फिर साधनों से वे वंचित हैं और इसलिए न्याय के लिए अदालत की दर तक पहुंचना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।

चीफ जस्टिस ने बताया कि टेक्नोलाजी एक बड़े सहायक के तौर पर उभरा है। CJI ने इसे लेकर न्यायिक प्रणाली में आधुनिक तकनीकों के समावेश पर जोर दिया और कहा कि इससे मामलों का तेजी से निपटारा हो सकेगा। जस्टिस रमना एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जस्टिस रमना ने कहा कि दुनिया में भारत दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है और यहां 29 साल की औसत आयु वाले वर्कफोर्स की बड़ी आबादी है।

चर्चा करें, बहस करें और निर्णय लें

CJI ने कहा, ‘आधुनिक भारत के निर्माण का मकसद समाज में फैली निराशा को जड़ से खत्म करने का है। लोकतंत्र की परियोजना सभी के लिए मंच उपलब्ध कराना है।’ चीफ जस्टिस ने कहा, ‘समस्याओं को छिपाने का कोई मतलब नहीं है। यदि हम इन मुद्दों पर चर्चा नहीं करते हैं और इन मामलों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तब व्यवस्था पंगु हो जाएगा। मुझे डर है कि हम सामाजिक न्याय के अपने संवैधानिक जनादेश को पूरा करने में असमर्थ हो सकते हैं, इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि चर्चा करें, बहस करें और निर्णय लें। यही वह सिद्धांत है जिसका मैं पूरे समय से पालन कर रहा हूं।’