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खतरे में यूपी सचिवालय के 222 अपर निजी सचिवों की नौकरी,


  • सीबीआई द्वारा तीसरी एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद यूपी लोक सेवा आयोग अब बैकफुट पर है. विपक्षी पार्टियां प्रतियोगी छात्रों के इस आंदोलन को हवा देकर सियासी रोटियां सेंकने में कतई पीछे नहीं हैं.

Prayagraj, APS Recruitment Controversy: अखिलेश यादव राज में यूपी लोक सेवा आयोग से हुई भर्तियों की गड़बड़ियों का जिन्न धीरे-धीरे ही सही, पर अब बाहर आना शुरू हो गया है. गड़बड़ियों की जांच कर रही देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई द्वारा तीसरी एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद यूपी लोक सेवा आयोग अब बैकफुट पर है. उसने आनन-फानन में एपीएस यानी अपर निजी सचिव-2013 की पूरी भर्ती परीक्षा ही रद्द कर दी है. हालांकि आयोग पर अब एपीएस-2010 की उस भर्ती परीक्षा को भी रद्द किये जाने का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसमे तमाम गड़बड़ियां पकड़ने के बाद जांच एजेंसी सीबीआई ने एक आईएएस समेत आयोग के कई दूसरे अज्ञात अफसरों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इस भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले हज़ारों अभ्यर्थी भी गलत तरीके से नौकरी पाने वालों को बाहर का रास्ता दिखाकर योग्य आवेदकों के साथ इंसाफ किये जाने की गुहार लगा रहे हैं.

वैसे चुनावी बेला में अभ्यर्थियों को खुश करने और उनकी नाराज़गी को कम करने के लिए योगी सरकार आने वाले दिनों में आयोग पर ऐसा करने का दबाव बनाकर उसका सियासी फायदा लेते हुए भी दिखाई पड़ सकती है. अगर ऐसा होता है तो सचिवालय में पिछले कुछ सालों से नौकरी कर रहे 222 में से कई अपर निजी सचिवों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है. वैसे सीबीआई ने तमाम चयनित अपर निजी सचिवों को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पहले ही तलब भी कर रखा है. एपीएस-2010 की भर्ती परीक्षा में नाकाम रहे हज़ारों अभ्यर्थी पूरी प्रक्रिया को रद्द कर नये सिरे से भर्ती शुरू किये जाने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार मुहिम भी चला रहे हैं. विपक्षी पार्टियां प्रतियोगी छात्रों के इस आंदोलन को हवा देकर सियासी रोटियां सेंकने में कतई पीछे नहीं हैं.