पटना

गया: सीता कुंड में बालू का पिंड देकर कर सुहागिन स्त्रियों का किया श्राद्ध


 माता सीता को सुहाग की पिटारी की दान

गया। पितृपक्ष के नौवें दिन मानपुर के सलेमपुर गांव स्थित नागकूट पर्वत की तलहटी में स्थित सीता कुंड एवं राम गया पर त्रिपाक्षिक गया श्रद्धा करने वाले पिंडदानियों ने अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए बालू से पिंडदान कर पितरों के मुक्ति की कामना की। लगातार हो रही बारिश से सीता कुंड में तीर्थ यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परिसर में स्थित मंडप में बारिश से बचने के लिए तीर्थ यात्रियों ने कर्मकांड किया। ऐसे में जगह कम पड़ गई। गया तीर्थ पुरोहित निरंतर इन वेदियो पर कर्मकांड करवा रहे थे। पूरी तन्मयता के साथ अपने-अपने पितरों की मुक्तिकी कामना को लेकर पुरोहितों द्वारा बताए गए विधि से कर्मकांड कर पितरों का उद्धार किया।

यहां पर मातृ नवमी के दिन मृत सुहागिन स्त्रियों के लिए सुहाग की पिटारी दान की जाती है। पिंडदानियों ने कर्मकांड के दौरान माता पिता सुहाग और श्रृंगार की पिटारी दान की। इसके बाद  परिसर में स्थित राजा दशरथ एवं माता सीता, राम, लक्ष्मण का दर्शन पूजन कर कर्मकांड संपन्न किया। सीता कुंड में पूरी श्रद्धा भाव और मनोकामना के साथ उम्र के अंतिम पड़ाव पर बुजुर्ग कर्मकांड को कर  रहे थे। नवमी तिथि को पिंडदान करने का विधान होने के कारण सीता कुंड का कोना कोना पिंडदानियों से पट गया था। जगह की कमी होने के कारण कई लोग नदी में भारी बारिश के बीच छाता लेकर पिंडदान करते देखे गए।

इधर फल्गु तट पर बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों के पिंडदानी तर्पण के लिए जुट रहे हैं। अहले सुबह से लेकर देर शाम तक फ़ल्गु नदी में पितृ अनुष्ठान का सिलसिला जारी है। बताते चलें कि त्रेता युग में भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता वनवास के दौरान अपने ससुर राजा दशरथ जी का पिंडदान करने के लिए इस स्थान पर पहुंचे थे। माता सीता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, गौ और तुलसी को साक्षी मानकर राजा दशरथ को बालू का पिंड अपने हाथों से दिया तभी से यहां बालू का पिंड दान करने का विधान है।