Latest News अन्तर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय

ग्वादर का विरोध पाकिस्तान के भविष्य के लिए हानिकारक,


ओटावा । पाकिस्तानी तालिबान और जमात-ए-इस्लामी जैसे चरमपंथी संगठन पाकिस्तान में राष्ट्रीय नीतियों पर नियंत्रण करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कनाडा स्थित एक थिंक टैंक के अनुसार पाकिस्तान में भविष्य के विदेशी निवेश के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (IFFRAS) ने कहा है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के खिलाफ चल रहे विरोध और आतंकी हमलों से परियोजना और पाकिस्तान दोनों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।

थिंक टैंक का कहना है कि पाकिस्तान में पहले से ही चीनी निवेश में गिरावट आई है। यह पाकिस्तान में भविष्य के विदेशी निवेश के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे पाकिस्तान की बीमार अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंच सकता है। थिंक टैंक की यह टिप्पणी बलूचिस्तान के ग्वादर में स्थानीय लोगों के विरोध के मद्देनजर आई है।

बलूचिस्तान में महीनों लंबे धरने और विरोध प्रदर्शनों ने इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार को हिला कर रख दिया है। इसकी वजह से अधिकारियों को इस क्षेत्र में हजारों अतिरिक्त पुलिस को तैनात करने के लिए मजबूर कर दिया है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड से जुड़े चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रमुख हिस्से के रूप में पेश किया गया है।

बलूचिस्तान प्रांत के बंदरगाह शहर के निवासियों ने 16 दिसंबर को सरकार के साथ बातचीत के बाद अपना धरना समाप्त कर दिया था। बंदरगाह शहर में ‘ग्वादर को हक दो’ आंदोलन के समर्थन में बुनियादी अधिकारों की मांग को लेकर पिछले कई हफ्तों से हजारों लोग प्रदर्शन कर रहे थे। हजारों निवासी स्वच्छ पेयजल और ट्रालर माफिया को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। मांगों में पुष्कन, सरबंदन और ग्वादर सिटी में अतिरिक्त चेक-पोस्ट को हटाना और पाकिस्तान-ईरान सीमा को खोलना भी शामिल है।

थिंक टैंक ने कहा कि ग्वादर में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शन में सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को मान लिया। चीनी और पाकिस्तानी नेताओं ने 2015 में ग्वादर को दुबई या शेनझेन में बदलने का वादा किया था। हालांकि, शहर अभी भी बुनियादी नागरिक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा है। हाल के विरोधों के दौरान, ‘ग्वादर को हक दो’ का नारा काफी प्रसिद्ध हो गया था।