पटना

जाले: घोघराहा रामजानकी मंदिर से एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की अष्टधातु की चार मूर्तियां चोरी


जाले (दरभंगा)(आससे)। आये दिनों असामाजिक तत्वों द्वारा शराब कारोबार में अपना हाथ बढाने के साथ साथ विभिन्न मंदिरों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में बीते शुक्रवार की देर रात्रि व शनिवार के अहले सुबह अज्ञात चोरों व असामाजिक तत्वों ने प्रखण्ड क्षेत्र के सहसपुर पंचायत के घोघराहा चौक स्थित रामजानकी मंदिर से भगवान श्री राम, लक्ष्मण, मइया सीता व हनुमान जी की अष्टधातु की 4 मूर्तियां चोरी कर लिया।

जानकारी के अनुसार बीते शुक्रवार की रात्रि मंदिर के पुजारी राजेंद्र ठाकुर ने भगवान का भोग लगाने के बाद मंदिर में ताला मार कर अपने घर चले गए एवम सुबह जब वापस मंदिर पहुंचे तब पता चला की अष्टधातु की चारों मूर्तियां ताला तोड़कर चोरी कर ली गई है। ग्रामीणों की माने तो चारों मूर्ति की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक की होगी। सुबह सबेरे घटना की भनक लगते ही आसपास के सैकड़ों ग्रामीण व श्रद्धालु मंदिर परिसर में जुट गए।

रामजानकी मंदिर के कमेटी के अध्यक्ष जतिष ठाकुर व सचिव सह कोषाध्यक्ष राज किशोर मंडल सहित कई सदस्यों ने इसकी सूचना जाले थाना को दी। इस संदर्भ में थानाध्यक्ष यशोदानन्द पांडेय ने बताया कि घटनास्थल पर छानबीन के साथ अज्ञात चोरों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है।

वहीं कई ग्रामीणों ने बताया कि चोरी की गई चारों अष्टधातु की मूर्तियां सैकड़ो वर्ष पुराना है। अष्टधातु से निर्मित इनमें से प्रति एक मूर्ति का वजन लगभग 22 केजी से अधिक का बताया जा रहा है। वर्ष 1978 में इस मंदिर के तीसरे महंथ अमर दास के मौत के बाद जब इस मंदिर व इसके संपत्ति को देखभाल करने वाला कोई नही नहीं बचा। सामाजिक स्तर पर नानपुर निवासी महंथ जनार्दन दास को मंदिर का महंत बनाया गया। उस वक्त इस मंदिर के पास घोघराहा, रामपुर, पचासी, चंदौना व विक्रमपुर आदि गाँव मे डेढ़ सौ एकड़ से अधिक भूमि थी।

समय बदलने के साथ स्थानीय लोगों ने मंदिर के जमीन का अतिक्रमण कर भूमिहीन बना दिया,जो आज भी अतिक्रमित है। इसी क्रम में मुजफ्फरपुर के सिरसिया स्थान के महंत मकसूदन दास ने न्यायालय में याचिका दायर कर मंदिर व उसकी संपत्ति को अपना बताया था। लंबे समय तक जनार्दन दास व मकसूदन दास के बीच विवाद चलता रहा। दोनों ही महंत के गुजरने के बाद बीते 20 वर्षो से सामाजिक स्तर पर कमिटी का गठन कर मन्दिर के अस्तिव को बनाये रखा।