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जेल में बंद राजनीतिक कैदी से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर, कौन हैं ‘मलेशिया के नेल्सन मंडेला’ अनवर इब्राहिम


मलेशिया के सुधारवादी विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम आखिरकार गुरुवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री पद पर सत्तासीन होने जा रहे हैं। सरकार से बाहर का रास्ता दिखाए जाने और जेल भेजे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद वह देश की कमान संभालने जा रहे हैं। मलेशिया के सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह ने अनवर को देश का नया प्रधानमंत्री घोषित किया है। इसी के साथ मलेशिया में खंडित जनादेश वाले आम चुनावों के बाद कई दिनों से जारी राजनीतिक अनिश्चितता का अंत हो गया है। अनवर का सियासी सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1990 के दशक में उन्हें उप प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने और जेल भेजे जाने के बाद देश की सड़कों पर न सिर्फ बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे, बल्कि एक सुधारवादी गठबंधन भी अस्तित्व में आया था, जो आगे चलकर एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरा। अनवर के नेतृत्व वाले सुधारवादी गठबंधन की यह दूसरी जीत है। इससे पहले, 2018 के आम चुनावों में भी इस गठबंधन को विजय हासिल हुई थी, लेकिन सत्ता को लेकर संघर्ष के चलते 22 महीने में ही उसका पतन हो गया। अनवर की सरकार गिरने के बाद से ही मलेशिया में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है। पिछले शनिवार को हुए आम चुनावों से इस अस्थिरता के समाप्त होने की उम्मीद थी, लेकिन किसी भी दल को बहुमत न मिल पाने के कारण 2018 से लेकर अब तक तीन प्रधानमंत्री देख चुके मलेशिया में अनिश्चितता का नया दौर शुरू हो गया। इस राजनीतिक गतिरोध का समाधान गुरुवार सुबह हो गया, जब चुनाव में 30 सीटें जीतने वाले यूनाइटेड मलय नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (यूएमएनओ) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने एक ऐसी एकता सरकार का समर्थन करने की सहमति जता दी, जिसका नेतृत्व अनवर के हाथों में होगा। हालांकि, अनवर के सामने चुनाव के बाद और गहराए नस्ली विभाजन को पाटने और बढ़ती महंगाई व लगातार कमजोर होती मुद्रा के चलते संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की चुनौती है। मलेशिया की लगभग 3.3 करोड़ की आबादी में मलय समुदाय की दो-तिहाई हिस्सेदारी है। देश में बड़ी संख्या में जातीय चीनी और भारतीय भी रहते हैं। सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स से जुड़े ई सुन ओह ने कहा, ‘अनवर का राजनीतिक संघर्ष (दक्षिण अफ्रीका के) नेल्सन मंडेला के बराबर के स्तर का है, क्योंकि दोनों ने अपने देशों में लोकतंत्र कायम करने की प्रक्रिया में कई बार कारावास का सामना किया।’ उन्होंने कहा, ‘यह उम्मीद की जा रही है कि अनवर के प्रधानमंत्री बनने के बाद मलेशिया एक बार फिर अधिक खुले और समावेशी समाज एवं अर्थव्यवस्था के रूप में वापसी कर सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर उसकी प्रतिष्ठा बहाल होगी।’ 75 वर्षीय अनवर दो बार सत्तासीन होते होते रह गए थे। 1980 के दशक की शुरुआत में एक तेजतर्रार युवा नेता के रूप में सत्तारूढ़ यूनाइटेड मलय नेशनल आर्गेनाइजेश (यूएमएनओ) में शामिल किए जाने से पहले उन्होंने इस्लामिक यूथ मूवमेंट की स्थापना की थी। 1990 के दशक में अनवर मलेशिया के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री नियुक्त किए गए थे। उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की जगह लेने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन एशिया में आर्थिक संकट से निपटने में मलेशिया की नाकामी के चलते सितंबर 1998 में अनवर को सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उन्हें बिना सुनवाई के हिरासत में रखा गया और बाद में भ्रष्टाचार और देशद्रोह के आरोप लगाए गए। अनवर के साथ किए गए सलूक को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। जब अनवर को गिरफ्तारी के नौ दिन बाद अदालत में पेश किया गया और इस दौरान हिरासत में तत्कालीन पुलिस प्रमुख द्वारा की गई पिटाई से उनकी एक आंख काली पड़ चुकी दिखाई दी तो जल्द ही यह उनकी नयी पीपुल्स जस्टिस पार्टी का चुनाव चिह्न बन गया। अनवर को 1999 में देशद्रोह के आरोप में छह साल की जेल की सजा सुनाई गई। एक साल बाद भ्रष्टाचार के आरोप में उनके लिए नौ वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा मुकर्रर की गई। अनवर ने तब इन आरोपों को उनके सियासी करियर को समाप्त करने की महातिर की साजिश करार दिया था। उन्हें सजा दिए जाने की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई, जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अनवर को ‘राजनीतिक कैदी’ की संज्ञा दी थी। अनवर को 2004 में जेल से रिहा कर दिया गया, जब मलेशिया की शीर्ष अदालत ने देशद्रोह के मामले में उन्हें दोषी करार दिए जाने के फैसले को पलट दिया । अदालत का यह फैसला महातिर के 22 साल तक सत्ता में रहने के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक साल बाद आया। 2015 में अनवर को दूसरी बार देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। तब उन्होंने कहा था कि यह मामला उनके नेतृत्व वाले गठबंधन को तोड़ने का प्रयास है, जो यूएमएनओ नीत सरकार के खिलाफ बढ़त हासिल कर रहा है। दूसरी बार सलाखों के पीछे भेजे जाने के बावजूद अनवर ने हार नहीं मानी। उन्होंने जेल से ही महातिर के साथ सुलह की, जो 1एमडीबी निवेश फंड से जुड़े अरबों के घोटाले को लेकर मलेशिया में भड़के जन आक्रोश के बीच राजनीति में वापसी कर रहे थे। अनवर और महातिर का एक बार फिर साथ आना 2018 के ऐतिहासिक चुनावों में यूएमएनओ नीत गठबंधन के सत्ता से बाहर होने का कारण बना, जो 1957 में ब्रिटिश हुकूमत से मलेशिया की आजादी के बाद से ही देश पर शासन कर रहा था। उस समय महातिर 92 साल की उम्र में मलेशिया के सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री बने। कुछ समय बाद अनवर को जेल से रिहा कर दिया गया और वह महातिर के उत्तराधिकारी बनने के करीब थे, लेकिन अंदरूनी कलह के चलते उनकी सरकार का महज 22 महीने में पतन हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री मुहीद्दीन के मलय-केंद्रित पेरिकटन नेशनल (राष्ट्रीय गठबंधन) की मदद से यूएमएनओ ने सत्ता में वापसी की।