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डेरा प्रमुख राम रहीम की फरलो का पंजाब चुनाव पर पड़ेगा असर,


चंडीगढ़। Ream Rahim punjab election 2022: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई 21 दिन की फरलो से पंजाब में नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब में मतदान से ठीक दो हफ्ते पहले उन्हें फरलो दिया जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि डेरा सच्चा सौदा का मालवा की 35 से ज्यादा सीटों पर सीधा प्रभाव है। वहीं डेरा मुखी को फरलो देने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा है कि यह फैसला पंजाब की भाईचारक सांझ को नुकसान पहुंचाने वाला है।

दरअसल, धामी का यह बयान इस संदर्भ में आया है कि पंजाब में एक ओर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम उनसे पूछताछ करने के लिए रोहतक की जेल में भी गई और संतुष्ट न होने पर उन्हें पूछताछ के लिए पंजाब में लाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा रही है। 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना पंजाब में पिछले विधानसभा चुनाव से ही बड़ा मुद्दा बनी हुई है और इसके लिए डेरा प्रेमियों पर शक की सुई घूम रही है। इससे पहले 2007 में डेरा सच्चा सौदा मुखी द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जैसी पोशाक पहनना डेरा प्रेमियों और सिख संगठनों के बीच विवाद का कारण बना।

उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा हमेशा से ही उन राजनीतिक पार्टियों का साथ देता आया है जो सत्ता में रही हैं। 2007 में जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो डेरे ने कांग्रेस का साथ दिया। 2014 में जब भाजपा सत्ता में आ गई तो उन्होंने चुनाव में भाजपा का खुलकर साथ दिया। अब भी केंद्र और हरियाणा में भाजपा की सरकार है। वहीं डेरा मुखी दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे हैं। उनके जेल में रहते हुए डेरा सच्चा सौदा ने इस बार किसी भी पार्टी का खुलकर समर्थन करने से मना कर दिया था।

डेरे का राजनीतिक विंग द्वारा यह कहा गया है कि वह अपने अनुयायियों से अपने विवेक से मतदान करने के लिए कह चुके हैं, लेकिन अब डेरा मुखी के 21 दिन के लिए बाहर आने के बाद से इस बात की संभावना बन गई है कि वह पंजाब चुनाव में भाजपा का समर्थन करने के लिए अपने अनुयायियों से कह सकते हैं। चूंकि इस समय चुनाव सिर पर है तो कोई भी राजनीतिक दल इस बात का सीधे तौर पर विरोध नहीं कर रहा है।