सम्पादकीय

दुनियाकी सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता ओलम्पिक


योगेश कुमार गोयल

कोरोना महामारीके कारण पिछले साल ओलम्पिक खेलोंका आयोजन टाल दिया गया था, जो अब अगले महीने टोक्योमें खेले जायंगे। वैसे आधुनिक ओलम्पिक खेलोंमें भारत पिछले वर्ष अपना सौ वर्षका सफर पूरा कर चुका है। हालांकि ओलम्पिक खेलोंकी शुरुआत करीब २७९६ वर्ष पूर्व ग्रीसमें जीयसके पुत्र हेराकल्स द्वारा की गयी मानी जाती है किन्तु ऐसी धारणा है कि यह खेल उससे भी काफी पहलेसे ही खेले जाते रहे थे। ७७६ ईसा पूर्व विधिवत रूपसे शुरू हुए ओलम्पिक खेलोंका सिलसिला उसके बाद निर्बाध रूपसे ३९३ ई. तक अर्थात् ११६९ वर्षोंतक चलता रहा। इन खेलोंके माध्यमसे ऐसा प्रदर्शन किया जाता था, जो मानवकी शक्ति, गति एवं ऊर्जाका परिचायक माना जाता था। प्राचीन ओलम्पिक खेलोंका आयोजन ईश्वरको श्रद्धांजलि देनेके लिए किया जाता था।

अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस मनाये जानेकी शुरुआत २३ जून, १९४८ को हुई थी। दरअसल आधुनिक ओलम्पिक खेलोंका पहला आयोजन तो वर्ष १८९६ में हुआ था लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) की स्थापना पियरे द कुबर्तिन द्वारा २३ जून, १८९४ को की गयी थी, जिसके प्रथम अध्यक्ष बने थे यूनानी व्यापारी डेमट्रियोस विकेलास। आईओसीका मुख्यालय स्विट्जरलैण्डके लॉजेनमें स्थित है और वर्तमानमें दुनियाभरमें २०५ राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियां इसकी सदस्य हैं। आईओसीके स्थापना दिवस २३ जूनको ही बादमें अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष ओलम्पिक दिवसके रूपमें मनाया जाना शुरू किया गया। यह दिवस मनाये जानेका प्रमुख उद्देश्य खेलोंमें अंतरराष्ट्रीय स्तरपर प्रत्येक वर्ग और आयुके लोगोंकी भागीदारीको बढ़ावा देना है। आईओसी द्वारा प्रत्येक चार वर्षके अंतरालपर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेल, शीतकालीन ओलम्पिक खेल और युवा ओलम्पिक खेलका आयोजन किया जाता है। पहला ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक वर्ष १८९६ में यूनानके एथेंसमें तथा पहला शीतकालीन ओलम्पिक १९२४ में फ्रांसके चेमोनिक्समें आयोजित किया गया था। ओलम्पिक दुनियाकी सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दो सौसे ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं।

प्राचीन कालमें भी ओलम्पिक खेलोंका कितना महत्व था, इसका अन्दाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दीमें ग्रीससे एक महान् गीतकार पिण्डारने लिखा था कि जिस प्रकार दिनके समय आकाशमें सूर्यके समान गर्म और चमकदार कोई सितारा नहीं होता, उसी प्रकार ओलम्पिक खेलोंसे बड़ी कोई प्रतियोगिता नहीं है। ७७६ ई. पू. शुरू हुए ओलम्पिकमें एलिसके एक रसोईये कोरोबसने भी हिस्सा लिया था, जो २१० गज (लगभग १९२ मीटर) की नग्न दौड़में जीतकर प्राचीन ओलम्पिकका प्रथम चैम्पियन बना था। आज भी उसे इतिहासमें सबसे पहला ओलम्पिक चैम्पियन माना जाता है। प्राचीन ओलम्पिक ७७६ ई.पू. से लेकर वर्ष ३९३ तक हर चार-चार वर्षके अंतरालपर निरन्तर आयोजित होते रहे किन्तु तबतक इन खेलोंमें खेल भावना सर्वोपरि होनेके बजाय धोखाधड़ी, ईष्र्या और घटिया शर्तोंने ओलम्पिकमें अहम स्थान बना लिया था, जिसके चलते रोमन सम्राट थ्योडॉसियसने सन् ३९३ में ओलम्पिक खेलोंपर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। इस प्रकार ओलम्पिक खेलोंका एक बहुत लंबा अध्याय वहीं समाप्त हो गया था। करीब १५०० वर्ष बाद फ्रांसके युवा शिक्षाशास्त्री पियरे द कुबर्तिनने आधुनिक ओलम्पिक खेलोंकी आधारशिला रखी और उनके द्वारा २३ जून १८९४ को अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समितिकी स्थापना किये जानेके बाद नये रूपमें १८९६ से आधुनिक ओलम्पिक खेलोंका आयोजन शुरू हुआ। उसके बाद ओलम्पिक खेल प्राचीन ओलम्पिक खेलोंकी ही भांति हर चार वर्षके अंतरालपर आयोजित किये जाने लगे। एक जनवरी १८६३ को जन्मे पियरे द कुबर्तिनकी उम्र उस वक्त सिर्फ सात साल थी, जब १८७० में फ्रेंच-परसियन लड़ाईमें जर्मनीने फ्रांसपर कब्जा कर लिया था। माना जाता है कि उस हारके कुछ वर्षों बाद कुबर्तिन इसका विश्लेषण करनेपर इस नतीजेपर पहुंचे कि फ्रांसकी हारका कारण उसकी सैन्य कमजोरियां नहीं, बल्कि फ्रांसीसी सैनिकोंमें ताकतकी कमी थी। जर्मन, ब्रिटिश और अमेरिकन बच्चोंकी शिक्षाका अध्ययन करनेके बाद कुबर्तिनने पाया कि उन्हें ताकतवर और हर क्षेत्रमें अग्रणी बनानेमें खेलोंमें उनकी भागीदारीकी सबसे प्रमुख भूमिका थी जबकि फ्रांसीसी खेलोंमें भागीदारीके मामलेमें काफी पिछड़े थे। उसके बाद कुबर्तिनने कोशिशें की कि फ्रांसीसियोंको किसी भी तरह खेलोंके प्रति आकर्षित किया जाय लेकिन उन्हें इन प्रयासोंमें उसाहजनक सफलता नहीं मिली किन्तु कुबर्तिन अपने इरादोंपर दृढ़ थे। १८९० में कुबर्तिनने यूनियन डेस सोसायटीज फ्रांसीसीज द स्पोटर््स एथलेटिक्स नामक एक खेल संघटनकी नींव रखी और उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिनके दिमागमें ओलम्पिक खेलोंको पुनर्जीवन देनेका विचार आया।

खेल संघटनकी २५ नवम्बर १८९२ को पेरिसमें हुई एक मीटिंगमें उन्होंने इस संबंधमें अपने विचार भी रखे किन्तु उनके उस भाषणसे कुछ हासिल नहीं हुआ। उसके दो वर्ष बाद कुबर्तिनने नौ देशोंके कुल ७९ डेलीगेट्सकी एक मीटिंग आयोजित की। इस मीटिंगमें कुबर्तिनने पूरे उत्साहसे ओलम्पिक खेलोंकी नये सिरेसे पुन: शुरुआत करने संबंधी भाषण दिया और इस बार वह लोगोंको अपने विचारोंसे प्रभावित करनेमें सफल हुए। कांफ्रेंसमें सभी डेलीगेट्सने एकमतसे ओलम्पिक खेल कराये जानेके पक्षमें वोट दिया और तय किया गया कि कुबर्तिन इन खेलोंके आयोजनके लिए एक अंतरराष्ट्रीय समितिका गठन करें। उसके बाद अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समितिका गठन हुआ, जिसके प्रथम अध्यक्षके रूपमें ग्रीसके डेमट्रियोस विकेलासका चयन हुआ। प्रथम ओलम्पिक खेलोंके आयोजनके लिए एथेंसको चुना गया और इसकी तैयारियां शुरू हुई। ५ अप्रैल १८९६ को प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलोंकी शुरूआत हुई। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलोंका उद्ïघाटन ५ अप्रैल १८९६ को एथेंस (यूनान) में किंग जॉर्ज पंचम द्वारा किया गया। अमेरिकाके जेम्स बी. कोनोलीको पहले आधुनिक ओलम्पिक खेलमें प्रथम ओलम्पिक चैम्पियन बननेका गौरव हासिल है। पहले ओलम्पिक खेलकी प्रतियोगिताओंमें महिलाओंके भाग लेनेपर प्रतिबंध था किन्तु सन् १९०० में दूसरे ओलम्पिकमें महिलाओंको भी ओलम्पिक खेलोंके जरिये अपनी प्रतिभाका परिचय देनेका अवसर मिल गया। प्रथम आधुनिक ओलम्पिकमें भाग लेनेवाले कुछ खिलाड़ी तो ऐसे भी थे, जो उस वक्त एथेंसमें ही पर्यटकके तौरपर पहुंचे हुए थे। १८९६ से ओलम्पिक खेलोंका आयोजन नियमित होता रहा है लेकिन प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्धके कारण १९१६, १९४० तथा १९४४ के ओलम्पिक आयोजन रद करने पड़े थे।

यूनान (ग्रीस), ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया तथा फ्रांस ही पांच ऐसे देश हैं, जिन्होंने अबतक हर ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलोंमें हिस्सा लिया है। ओलम्पिक खेलोंके उद्ïघाटनके समय स्टेडियममें सबसे पहले ग्रीसकी टीम प्रवेश करती है। उसके बाद मेजबान देशकी भाषानुसार वर्णमालाके क्रमसे एक-एक करके दूसरे देशोंकी टीमें स्टेडियममें प्रवेश करती हैं जबकि मेजबान देशकी टीम सबके बाद स्टेडियममें पहुंचती है। भारतने पहली बार वर्ष १९०० में ओलम्पिकमें हिस्सा लिया था। तब भारतकी ओरसे केवल एक एथलीट नॉर्मन प्रिचर्डको भेजा गया था, जिसने एथलेटिक्समें दो सिल्वर मेडल जीते थे। हालांकि भारतने अधिकारिक तौरपर पहली बार १९२० में ओलम्पिक खेलोंमें हिस्सा लिया था। इस लिहाजसे भारत इस वर्ष अपने ओलम्पिक अभियानके सौ साल पूरे कर रहा है। अबतक ओलम्पिक खेलोंमें भारतने कुल २८ पदक जीते हैं, जिनमें नौ स्वर्ण, सात रजत और ११ कांस्य पदक शामिल हैं। सर्वाधिक पदक भारतीय हॉकी टीम द्वारा जीते गये हैं।