खेल

पहली कक्षामें कोई बीज गणित नहीं सीखता-साहा


पंत विकेटकीपरके रूपमें धीरे-धीरे करेगा सुधार
कोलकाता (एजेन्सियां)। ऋषभ पंतने आस्ट्रेलियाके खिलाफ ब्रिसबेन में खेले गये चौथे टेस्टके आखिरी दिन ऐतिहासिक पारी खेल कर भारतको मैच और टेस्ट शृंखलाका विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन उनके विकेटकीपिंग कौशलपर अब भी सवाल उठ रहे हैं जिसपर अनुभवी विकेटकीपर ऋद्धिमान साहाने शुक्रवार को कहा कि यह युवा खिलाड़ी धीरे-धीरे इसमें वैसे ही सुधार करेगा जैसे कोई ‘बीजगणितÓ सीखता है। राष्ट्रीय टीमके शीर्ष विकेटकीपर माने जाने वाले साहाने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पंतकी साहसिक पारीके बाद उनके लिए टीम के दरवाजे बंद हो जायेंगे। वह अपना सर्वश्रेष्ठ करना जारी रखेंगे और चयनकी माथापच्ची टीम प्रबंधन पर छोड़ देना चहते है़ं। आस्ट्रेलियामें ऐतिहासिक शृंृंखला जीतनेके बाद भारत लौटे साहाने कहा आप पंतसे पूछ सकते हैं, हमारा रिश्ता मैत्रीपूर्ण है और हम दोनों अंतिम ११ में जगह बनाने वालोंकी मदद करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। मैं इसे नम्बर एक और दो के तौरपर नहीं देखता। जो अच्छा करेगा टीममें उसे मौका मिलेगा। मैं अपना काम करता रहूंगा। चयन मेरे हाथमें नहीं है, यह प्रबंधनपर निर्भर करता है। साहाने गाबामें मैचके पांचवें दिन नाबाद ८९ रनकी पारी खेलने वाले पंतकी तारीफ करते हुए कहा कोई भी पहली कक्षा में बीजगणित नहीं सीखता। आप हमेशा एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं। पंत अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है और निश्चित रूपसे सुधार (विकेटकीपिंग) करेगा। उसने हमेशा परिपक्वता दिखाई है और खुदको साबित किया है। लंबे समयके लिए यह भारतीय टीमके लिए अच्छा है। उन्होंने कहा एकदिवसीय और टी-२० प्रारूपसे बाहर होनेके बाद उसने जो जज्बा दिखाया वह वास्तव में असाधारण है। ब्रिसबेन टेस्टके बाद पंत की तुलना दिग्गज महेन्द्र सिंह धोनीसे की जाने लगी है लेकिन साहाने कहा धोनी, धोनी ही रहेंगे और हर किसीकी अपनी पहचान होती है। साहा एडीलेड में खेले गये दिन-रात्रि टेस्टकी दोनों पारियोंमें महज नौ और चार ही बना सके थे। इस दौरान भारतीय टीम दूसरी पार में महज ३६ रनपर आलआउट हो गयी थी और इसके बाद साहाको बाकी के तीन मैचोंमें मौका नहीं मिला। इस ३६ सालके विकेटकीपर बल्लेबाजने कहा कोई भी बुरे दौरसे गुजर सकता है। एक पेशेवर खिलाड़ी हमेशा अच्छे और खराब प्रदर्शनको स्वीकार करता है, चाहे वह फार्मके साथ हो या फिर आलोचनाके साथ। मैं रन बनानेमें असफल रहा इसीलिये पंतको मौका मिला। यह काफी सरल है। मैंने हमेशा अपने कौशल में सुधार करने पर ध्यान दिया है और अपने करियर के बारे में कभी नहीं सोचा। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब से मेरी सोच ऐसी है। अब भी मेरा वही दृष्टिकोण है। साहा ने कहा कि एडीलेड में ३६ रन पर आलआउट होने और कई खिलाडिय़ों के अनुभवहीन होने के बाद यह शृंखला जीतना ‘विश्वकप जीतने से कम नहीं है। उन्होंने कहा मैं खेल नहीं रहा था (तीन मैचों में), फिर भी मैं हर पल का लुत्फ उठा रहा था। उन्होंने कहा हमें ११ खिलाडिय़ोंको चुनने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में यह शानदार उपलब्धि है। जाहिर है यह हमारी सबसे बड़ी श्रृंखला जीत है। विराट कोहलीकी गैरमौजूदगी में टीम की कमान संभालने वाले अजिंक्य रहाणे के बारेमें साहाने कहा कि मुश्किल परिस्थितियोंमें भी शांत रहने से उन्हें सफलता मिली। उन्होंने कहा वह शांतिसे अपना काम करते थे। विराटकी तरह वह भी खिलाडिय़ोंपर भरोसा करते हैं। विराटके उलट वह ज्याद जोश नहीं दिखाते। रहाणेको खिलाडिय़ोंकी हौसलाअफजाई करना आता है। यही उनकी सफलताका राज है।