पटना

बिहारशरीफ: कोरोना और लॉकडाउन का असर नालंदा डेयरी पर भी


      • प्रतिदिन बिकता था 6000 लीटर आइसक्रीम जो घटकर हुआ 500 लीटर
      • विभिन्न डेयरी से मिल रहा है प्रतिदिन 2 लाख लीटर दूध जिससे बनाया जा रहा मिल्क पाउडर
      • सीईओ ने कहा उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए डिस्ट्रब्यूटरशिप का किया जायेगा विस्तार
      • बिहार-झारखंड के अलावे नार्थ ईस्ट राज्यों में फ्लेवर्ड मिल्क और टेट्रापैक लस्सी की है अधिक डिमांड

बिहारशरीफ (आससे)। कोविड और लॉकडाउन की वजह से सभी प्रकार के रोजगार और व्यवसाय प्रभावित हुए है। इस लॉकडाउन में पूर्वी भारत का सबसे अत्याधुनिकतम नालंदा डेयरी का व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है। खासकर आइसक्रीम की बिक्री काफी कम हो गयी जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। हालांकि लॉकडाउन की वजह से लग्न आदि में लोगों की कम सहभागिता को लेकर दूध की बिक्री भी अन्य वर्षों की अपेक्षा काफी कम हुई, लेकिन अब सामान्य दूध बिक्री की रफ्तार लगभग ठीक-ठाक चल रही है।

नालंदा डेयरी के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पी के सिन्हा ने बताया कि पूर्व के वर्षों में गर्मी और लग्न के मौसम में सुधा आइसक्रीम की बिक्री काफी अच्छी होती थी। इस वर्ष भी लग्न की अधिकता और गर्मी को ध्यान में रखकर अधिक से अधिक आइसक्रीम का उत्पादन कर बिक्री करने का लक्ष्य नालंदा डेयरी ने रखा था, लेकिन कोरोना और फिर लॉकडाउन की वजह से आइसक्रीम की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई। पहले जहां प्रतिदिन कम से कम छः हजार लीटर आइसक्रीम बिका करता था। इस सीजन में मात्र 500 लीटर आइसक्रीम किसी तरह बिक पा रहा है।

दूध की बात करें तो लग्न के मौसम में दूध की बिक्री अधिक होती थी और विभिन्न डेयरी से दूध की आमदनी भी कम हो जाया करती थी। इसे ध्यान में रखकर पहले ही नालंदा डेयरी ने दूध पाउडर का पर्याप्त स्टोरेज किया था। उद्देश्य था कि लग्न के पीक मौसम में बाजार में दूध की किल्लत ना हो और ना ही सुधा का उत्पाद की कमी हो। लेकिन लग्न में डिमांड इतना कम हुआ कि पाउडर धरा का धरा रह गया।

नालंदा डेयरी के सीईओ श्री सिन्हा ने बताया कि मौजूदा समय में डेयरी को पर्याप्त मात्रा में अन्य डेयरी से दूध मिलना शुरू हो गया है। इसके साथ ही 30 मई से नालंदा डेयरी फिर से मिल्क पाउडर बनाने का काम शुरू कर दिया है। बरौनी डेयरी, शाहाबाद डेयरी, भागलपुर डेयरी तथा पटना डेयरी से प्रतिदिन सरप्लस लगभग 2 लाख लीटर दूध नालंदा डेयरी को पहुंचने लगा है। इसके बाद पाउडर प्लांट को चालू किया गया है। पिछले कुछ दिनों से दूध की कमी की वजह से पाउडर प्लांट बंद था।

उन्होंने बताया कि मिल्क पाउडर का निर्माण नालंदा डेयरी कर रही है लेकिन इसे उत्पादित कर फिर उसी डेयरी को लौटा दिया जायेगा, जिससे दूध प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि लग्न के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों से दूध कम मात्र में डेयरी में पहुंच रहा था। ऐसे में नालंदा डेयरी को अपने ग्राहकों की खपत मेंटेन करने के लिए बालासोर डेयरी एवं सबलपुर डेयरी से दूध मंगाना पड़ रहा था, लेकिन अब राज्य के अन्य डेयरी से दूध मिलने लगा है। इसके बाद बाहर से दूध मंगाना बंद किया गया है।

नालंदा डेयरी प्रतिदिन लगभग 50 हजार लीटर पाउच में पैक कर दूध बेचती है। इसके अलावे अन्य उत्पाद की बिक्री करती है। डेयरी मौजूदा समय में दूध के अलावे आइसक्रीम, ट्रेटापैक दूध, लस्सी, फ्लेवर मिल्क, एप्पल जूस आदि उत्पाद बनाते है, जिसमें टेट्रापैक दूध पूर्वोत्तर भारत के अलावे बिहार-झारखंड के बाजारों में बिक्री की जाती है जबकि फ्लेवरड मिल्क में नालंदा डेयरी इलायची और केसर मिल्क दो फ्लेवरों में मिल्क का निर्माण कर रही है, जिसके साथ ही इलेस्टर पैक दूध भी डेयरी बना रही है जो बिहार एवं झारखंड के मार्केट में बेची जा रही है।

नालंदा डेयरी के सीईओ ने बताया कि आने वाले दिनों में आइसक्रीम, लस्सी, फ्लेवर्ड मिल्क, टेट्रापैक उत्पाद आदि की बिक्री बढ़ाने के लिए नालंदा डेयरी अपने डिस्ट्रीब्यूटर पार्टनर का विस्तार करेगी। लॉकडाउन समाप्त होते ही इस पर काम तेज किया जायेगा।