पटना

बिहार के 70,333 स्कूलों में फिर से गरमागरम भोजन परोसने की तैयारी


      • 1ली से 8वीं के 19 करोड़ बच्चे मेनू के हिसाब से लेंगे खाना का स्वाद
      • नयी व्यवस्था के तहत लागू हो रही योजना

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के 70,333 प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में 1ली से 8वीं कक्षा के 1.19 करोड़ बच्चों को फिर से गरमागरम भोजन परोसने की तैयारी है। माना जा रहा है कि पंद्रह दिनों में 2.17 लाख रसोइये स्कूलों में फिर से बच्चों के लिए भोजन पकाने लगेंगे।

स्कूलों में बच्चों को दोपहर के भोजन मेनू के हिसाब से ही परोसे जायेंगे। इसके तहत सोमवार को चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी, मंगलवार को जीरा चावल और सोयाबीन व आलू की सब्जी, बुधवार को हरी सब्जीयुक्त खिचड़ी, चोखा व मौसमी फल, वृहस्पतिवार को चावल, मिश्रित दाल और हरी सब्जी, शुक्रवार को पुलाव, काबुली या लाल चना का छोला, हरा सलाद, अंडा-मौसमी फल तथा हरी सब्जीयुक्त खिचड़ी, चोखा व मौसमी फल के स्वाद बच्चे लेंगे।

आपको याद दिला दूं कि मेनू के हिसाब से प्रत्येक कार्यदिवस को बच्चों को पका-पकाया गरमागरम भोजन परोसने की व्यवस्था कोरोनाकाल में मार्च, 2020 से ठप पड़ गयी, ताकि बच्चों को कोरोना से बचाया जा सके। पका-पकाया भोजन के बदले प्रत्येक कार्यदिवस के हिसाब से बच्चों को खाद्यान्न दिये जाने लगे। खाद्यान्न लेने के लिए स्कूलों में बच्चों के अभिभावक बुलाये जाने लगे। भोजन पकाने के मद की राशि बच्चों के बैंक खाते में जाने लगी।

यह व्यवस्था कोरोना से बचाव को लेकर स्कूल खुलने के बाद भी चल रही है। इस व्यवस्था के तहत 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों को प्रति कार्यदिवस 100 ग्राम खाद्यान एवं पकाने के मद में 4.97 रुपये मिलते हैं। इसी प्रकार 6ठी से 8वीं कक्षा के बच्चों को प्रति कार्यदिवस 150 ग्राम खाद्यान एवं पकाने के मद में 7.45 रुपये मिलते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कोरोनाकाल के पहले स्कूलों में 60 से 66 फीसदी बच्चे ही पका-पकाया भोजन खा रहे थे, लेकिन कोरोनाकाल में जब पका-पकाया भोजन के बदले चावल देने की व्यवस्था हुई, तो उसे लेने वाले बच्चों के अभिभावकों की संख्या बढ़ कर 80 फीसदी पर पहुंच गयी।

खैर, अब, जब स्कूलों में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो गयी है, तो गरमागरम भोजन परोसने की तैयारी भी शुरू हो गयी है। इसके तहत बच्चों को नयी व्यवस्था के तहत भोजन परोसे जायेंगे। इसलिए कि, केंद्र ने मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदल कर ‘प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना’ कर दिया है। यह योजना वित्तीय प्रबंधन की नयी व्यवस्था के तहत लागू की जा रही है। नयी व्यवस्था ‘सिंगल नोडल एजेंसी’ (एसएनए) की है। यह पूरी व्यवस्था कैशलेस होगी।

बहरहाल, माना जा रहा है कि नयी व्यवस्था के तहत बच्चों को फिर से गरमागरम भोजन परोसने की तैयारी दस से पंद्रह दिनों में पूरी हो जायेगी।