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बैंक हड़ताल पर राज्यसभा में हो सकता हंगाम, RJD सांसद मनोज झा ने दिया नोटिस


राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मनोज झा ने सरकारी बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलन पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में नोटिस दिया है. दरअसल, सार्वजनिक क्षेत्र के दो और बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में सरकारी बैंकों की हड़ताल के पहले दिन बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ. यूनियन नेताओं ने दो दिन की इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने का दावा किया है.

नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया. ये नौ बैंक यूनियनों में AIBEA, AIBOC, NCBE, AIBOA, BEFI, INBOC, NOBW और NOBO शामिल हैं. बैंक यूनियनों ने कहा कि हड़ताल की वजह से तीन राष्ट्रीय ग्रिड…चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में 16,500 करोड़ रुपए के 2.01 करोड़ चेकों का समाशोधन नहीं हो सका.

बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि हड़ताल की वजह से उसकी शाखाओं में बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुआ. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि सरकार की नीतियों का अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसका परिणाम राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों में भी दिखेगा. कुछ शीर्ष स्तर के कर्मचारियों को छोड़कर बैंकों के सभी कर्मचारी इस दो दिन की हड़ताल में शामिल हुए हैं. हड़ताल से नकदी निकासी, जमा, लेनदेन, ऋण प्रक्रिया, चेक समाशोधन जैसी सभी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं.

किसान आंदोलन की तरह हो सकती अनिश्चितकालीन हड़ताल

उन्होंने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों ने देशभर में जहां अनुमति मिली वहां रैलियां निकाली. इसके अलावा वे धरने पर बैठे. दत्ता ने कहा कि यदि सरकार ने हमारी बातों को नहीं सुना, तो हम और बड़ा कदम भी उठा सकते हैं. यह कदम किसान आंदोलन की तरह अनिश्चितकालीन हड़ताल का हो सकता है. सरकार पहले ही आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है. 2019 में आईडीबीआई की बहुलांश हिस्सेदारी एलआईसी को बेची गई थी. पिछले चार साल के दौरान सरकार ने 14 सार्वजनिक बैंकों का किसी अन्य सरकारी बैंक के साथ विलय किया है.