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भारत-ईयू ने गठित की कारोबार व तकनीक परिषद, खुलेगी मुक्त व्यापार समझौते और निवेश समझौते की राह


नई दिल्‍ली  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सुला लेयन के बीच सोमवार को हुई शिखर वार्ता में कारोबार और तकनीक क्षेत्र में रिश्तों को और ज्यादा प्रगाढ़ बनाने के लिए एक परिषद बनाने का फैसला किया गया। भारत-ईयू ट्रेड एंड टेक्नोलाजी काउंसिल के नाम से स्थापित यह परिषद दोनों पक्षों के बीच किए जाने वाले मुक्त व्यापार समझौते और निवेश समझौते की राह की मुश्किलों को भी दूर करेगा। दोनों नेताओं ने भावी कारोबारी समझौते को राजनीतिक समर्थन देकर अधिकारियों के स्तर पर व्याप्त दुविधाओं को समाप्त कर दिया है।

दोनों नेताओं ने भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मौजूदा रणनीतिक रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाने को भी अपना समर्थन दिया है।भारत सरकार की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि ट्रेड एंड टेक्नोलाजी काउंसिल सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करेगी ताकि समन्वय बेहतर किया जा सके। यह दोनों पक्षों के रिश्तों से जुड़े तमाम मुद्दों को एक तरह से राजनीतिक नेतृत्व देगा। दोनों नेताओं के बीच तकनीकी सहयोग के तमाम पहलुओं पर भी बात हुई है। बैठक में यूक्रेन के मुद्दे और ¨हद प्रशांत क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को लेकर भी विमर्श हुआ।

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूरोपीय संघ के 27 देशों के प्रमुखों की विशेष बैठक में उठे मुद्दों की भी बैठक में समीक्षा की गई। बताते चलें कि उक्त बैठक को भारत और यूरोपीय संघ के रिश्तों में एक अहम मोड़ के तौर पर देखा जाता है। यूरोपीय संघ अभी भारत का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार है। दोनों के बीच वर्ष 2020 में द्विपक्षीय कारोबार 95 अरब डालर का रहा था।प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक में यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट ने ट्रेड एंड टेक्नोलाजी काउंसिल के गठन के फैसले को रिश्तों में एक अहम पड़ाव के तौर पर चिह्नित किया।

उन्होंने कहा कि इस तरह की काउंसिल यूरोपीय संघ ने सिर्फ अमेरिका के साथ स्थापित की है। इससे समझा जा सकता है कि भारत का महत्व कितना है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ कारोबारी रिश्तों की अपार संभावनाएं हैं जिसका दोहन किया जाएगा। भारत के साथ ऊर्जा क्षेत्र में रिश्तों पर भी यूरोपीय संघ खास जोर देगा। अगले दो दशक में भारत में ऊर्जा की अतिरिक्त मांग यूरोपीय संघ की मौजूदा ऊर्जा मांग से ज्यादा होगी। मोदी के साथ बैठक के बाद राजधानी में आयोजित रायसीना डायलाग में प्रेसिडेंट लेयन ने कहा कि दुनिया में हो रहे बदलावों को देखते हुए ईयू के लिए भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाना एक अहम प्राथमिकता होगी।