पटना

मंदिर में बैठा हर अपराधी ‘संत’ नहीं होता: रूड़ी


(आज समाचार सेवा)

पटना। मंदिर में बैठा हर अपराधी संत नहीं होता। ये बातें आज सांसद राजीव प्रताप रुडी ने कही। वे वर्चुअल प्रेस वार्ता में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस प्रकरण पर 7 मई को पूर्व सांसद पप्पू यादव के सारण में किये गये कार्यों और उठाये गये तमाम सवालों के जवाब दिये और पप्पू यादव के अपराधों की फ़ेहरिस्त गिनाये। उन्होंने कहा कि मंदिर में बैठा हर अपराधी संत नहीं होता। कहा कि पप्पू यादव का राजनीति में पदार्पण अपराध जगत से हुआ, जबकि रुडी पंजाब विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के पश्चात देश सेवा के लिए राजनीति की मुख्य धारा में शामिल हुए।

इंश्योरेंस समाप्त होने, चालक के बीमार होने या छोड़कर चले जाने के कारण सामुदायिक केंद्र पर खड़े एम्बुलेंसों का विवरण आज पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दिया। उन्होंने कहा कि यह किस कारण से खड़े थे। सांसद रुडी ने संचालित सभी एम्बुलेंसो की संचालन व्यवस्था का लाइव विडियो भी दिखाया। सांसद ने सांसद कंट्रोल रूम से जीपीएस से ट्रैकिंग करते हुए सभी एम्बुलेंसों को दिखाया। साथ ही वर्ष 2019 में खरीदे गये सभी एम्बुलेंस आज तक कितने किलोमीटर चले हैं, उसका डाटा भी स्क्रिन पर दिखाया और कहा कि हमारे मित्र ने ये सवाल उठाया था कि इतने सारे एम्बुलेंस कैसे और क्यों चलाये जा रहे हैं, कहाँ रखे गये हैं।

इसको लेकर उन्होंने लोगों के मन में भ्रम संशय और जाने-अनजाने दुर्भावना भी पैदा किया। उन्होंने कहा कि यह सब कहने से पहले उन्हें इसे देख लेना चाहिए था। उन्हें ये नहीं पता था कि किस हैसियत से पूर्व सांसद पूरे बिहार के स्वास्थ्य के इंस्पेक्टर बन गये हैं और उनको एक अधिकार प्राप्त हुआ है कि वो जगह-जगह निरीक्षण करके वो ब्लोअर का काम करें।

उन्होंने पप्पू यादव द्वारा वर्ष 2014 में चुनाव आयोग को दिये गये शपथ पत्र को भी दिखाया, जिसमें 32 आपराधिक मामलों का उल्लेख था। उन्होंने कहा कि कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं और कितने आपराधिक मामले ट्रायल में हैं, इसका उल्लेख पप्पू यादव ने स्वयं अपने शपथ पत्रों में किया। इसके अतिरिक्त भी कुल 17 अन्य आपराधिक मामलों की जानकारी दी, जिसे इन्होंने चुनाव आयोग को दिये अपने शपथ पत्र में छिपाया है। चुनाव आयोग को दिये शपथ पत्र में पप्पू ने 32 से अधिक आपराधिक मामलों का जिक्र किया है। इसके अतिरिक्त भी 17 अन्य आपराधिक मामलों की जानकारी है, जिसे उन्होंने चुनाव आयोग को दिये अपने शपथ पत्र में छिपाया है।

उन्होंने कहा किसी आरपीसी और आईपीसी में ऐसी कोई धारा नहीं बची, जो इनपर नहीं लगा है। इनके लिए सीआरपीसी और आईपीसी में नई धाराओं को शामिल करना पड़ेगा। अजीत सरकार हत्याकांड में आरोप सिद्ध होने के कारण ही पप्पू 2009 का चुनाव नहीं लड़ सके थे। यह मामला अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी, जो इनके संदर्भ में नहीं जानती, उनके लिए पुरूलिया कांड के मुख्य आरोपी किम डेवी का एक विडियो भी दिखाया, जिसमें उसने उसे भगाने वाले सांसद का नाम लिया था। उन्होंने कहा कि अपने क्षेत्र की सभी पंचायतों को एम्बुलेंस सुविधान प्रदान करना राजनीतिक जीवन का एक अतिरिक्त और नवीन प्रयास जिसे और मजबूती से आगे बढ़ाउंगा।

उन्होने पूछा कि जब पप्पू यादव की तबीयत इतनी खराब थी, तो गया, जहानाबाद, आरा, छपरा और पटना के अस्पतालों में क्यों घूम रहे थे। कोविड वार्ड में घुमना उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक तो था ही, संक्रमण को फ़ैलाने वाले व्यक्ति के रूप में काम कर रहे थे। दरभंगा मे पप्पू ने स्वयं गठित करवाया मेडिकल बोर्ड, फिर मना किया पटना जाने से। यदि उनके स्वास्थ्य के साथ कोई अनहोनी हाती है, तो कौन होगा जिम्मेदार।