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मातृत्व लाभ से जुड़ी एक चुनौती याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला,


नई दिल्ली । मातृत्व लाभ से जुड़ी एक चुनौती याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसमें कहा है कि अनुबंध की अवधि के दौरान गर्भवती होने वाली महिला को मातृत्व लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम-1961 का उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद महिला को लाभ देना है, ऐसे में लाभों को अनुबंध की अवधि से नहीं जोड़ा जा सकता है। इसलिए अनुबंध की अवधि समाप्त होने के बावजूद नियोक्ता को संविदा कर्मी को 26 सप्ताह के अवकाश का लाभ देना होगा।

 

दरअसल, डा. कृति मल्होत्रा दिल्ली के बाबा साहेब अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल में 2017 में संविदा पर कार्यरत थीं। 27 जून 2017 को अस्पताल में उनका अंतिम दिन था। इससे दो महीने पहले 17 अप्रैल 2017 को उन्होंने आपातकालीन मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था। जटिल गर्भावस्था के चलते उन्हें आकस्मिक आपरेशन प्रक्रिया से गुजरने की सलाह दी गई थी। हालांकि, अस्पताल ने उन्हें मातृत्व अवकाश देने के बजाय 23 अप्रैल को आदेश जारी कर 24 अप्रैल 2017 से उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं।