सम्पादकीय

रिजर्व बैंकसे राहत


कोरोना महामारीकी दूसरी लहरका जान और जहान दोनोंपर काफी प्रभाव पड़ा है। तीन दिनकी राहतके बाद कोरोनाने कहर बरपानेकी रफ्तार बढ़ा दी है। बुधवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें तीन लाख ८२ हजार नये मामले सामने आये और एक दिनमें ३७८० मरीजोंकी मृत्यु हुई। यह आंकड़ा अत्यन्त चिन्ताजनक है। एक दिन पूर्वकी तुलनामें संक्रमितोंकी संख्यामें २५ हजारकी वृद्धि हुई है। दूसरी ओर आर्थिक गतिविधियोंपर भी काफी प्रभाव पड़ा है। आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होनेसे आवश्यक वस्तुओंकी किल्लत बढ़ी है और उनकी कीमतोंमें भी वृद्धि हुई है। इससे आम जनताकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं। साथ ही अर्थव्यवस्थाकी रफ्तार धीमी पड़ गयी है। अर्थव्यवस्थामें सुस्तीका प्रभाव रोजगारपर पड़ा है। सेण्टर फार मानीटरिंग इण्डिया इकोनामी (सीएमआईई) की रिपोर्टके अनुसार अप्रैलमें बेरोजगारी दर बढ़कर ७.९७ प्रतिशतपर पहुंच गयी। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रोंमें बेरोजगारी दर बढ़ी है। ७५ लाखसे अधिक लोगोंकी नौकरियां चली गयीं। नौकरीके नये अवसरोंमें अप्रैल माहमें ३१ प्रतिशतकी गिरावट आयी है। जान और जहान दोनोंकी स्थितिको पटरीपर लानेके लिए सरकार अनेक प्रयास कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक भी इस दिशामें सक्रिय हुआ है, जो अच्छी बात है। बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रमके रिजर्व बैंकके गवर्नर शक्तिकांत दासने बुधवारको अनेक राहतकारी घोषणाएं की, जिससे कि अर्थव्यवस्थाको ‘प्राणवायुÓ उपलब्ध कराया जा सके। उन्होंने कहा कि देश दूसरी लहरका कहर देख रहा है। ऐसेमें देशको अपने संसाधनोंको नये सिरेसे जुटाना होगा। कोरोनाके इस संकटको पार करनेकी कोशिशोंके साथ आगे बढऩा होगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अप्रैल २०२१ के विकास अनुमानमें कोई ज्यादा विचलन नहीं आयगा। रिजर्व बैंकने मेडिकल सेवाके लिए ५० हजार करोड़ रुपयेकी टर्म लिक्विड फैसिलिटीकी व्यवस्था की है। इससे बैंक मेडिकल संस्थाओं जैसे टीका निर्माता कम्पनियों, अस्पतालों और मरीजोंकी मदद कर सकेंगे। राहतकी दिशामें यह बड़ा कदम है। छोटे उधारकर्ताओंपर दबाव कम करनेके लिए व्यवस्थाएं की गयी हैं। इसके साथ ही कोविड बैंक ऋणकी भी योजना है, जिसका लोगोंको पर्याप्त लाभ मिलेगा। खाताधारकोंको भी राहत दी गयी है। केवाईसी नहीं देनेपर ३१ दिसम्बरतक उनके खाते फ्रीज नहीं किये जायंगे। इससे इलाजके लिए धन निकालनेमें कोई बाधा नहीं आयगी। निश्चित रूपसे रिजर्व बैंककी राहतकारी घोषणाओंसे जान और जहान दोनोंकी सुरक्षा हो सकेगी और अर्थव्यवस्थाको धीमी रफ्तारसे उबरनेमें भी मदद मिलेगी।

सम्बन्धोंको नया आयाम

भारत और ब्रिटेनके बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ानेका निर्णय दोनों देशोंके परस्पर हितोंके अनुकूल है और यह समयकी मांग भी है, क्योंकि चीन और पाकिस्तानकी कुटिलतासे जो अन्तरराष्टï्रीय परिदृश्य बन रहा है, उसमें विकासशील और विकसित राष्टï्रोंका एकजुट होना विश्व शान्तिके लिए जरूरी है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेनके प्रधान मंत्री वोरिस जानसनके बीच हुई वर्चुअल शिखर वार्तामें आगामी २०३० तक भारत-ब्रिटेनके बीच द्विपक्षीय व्यापारको दो गुना करनेके लिए दोनों देशोंके बीच अगले दस वर्षोंका जो रोडमैप तय किया गया है, उससे भारतमें जहां नये अवसर पैदा होंगे, वहीं दोनों देशोंकी अर्थव्यवस्थाको गति भी मिलेगी। इसके अलावा ब्रिटिश सरकारने भारतके साथ एक अरब पाउण्डके निवेश समझौतेको भी अन्तिम रूप दिया है जिससे ६५ हजारसे अधिक नौकरियां जहां सृजित होंगी, वहीं भारतके पढ़े-लिखे और प्रशिक्षित पेशेवरोंके लिए ब्रिटेन अपने दरवाजेको और खोलेगा। इससे दोनों देशोंके रिश्तोंमें प्रगाढ़ता आयेगी और दोनोंके बीच सामंजस्य स्थापित करनेकी राह आसान होगी। भारत ब्रिटेनको सिर्फ रणनीतिक साझेदार मानता रहा है, लेकिन प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीका ब्रिटेनको समग्र रणनीतिक साझेदारका दर्जा देना दोनों देशोंके लिए एक-दूसरेकी बढ़ती अहमियतको दर्शाता है। दोनों देशोंके बीच नौ समझौतेपर भी हस्ताक्षर किये गये हैं। इसके अलावा शिक्षा, तकनीक, स्वास्थ्य और ऊर्जाके क्षेत्रमें भी दोनों देशोंके बीच सहयोग बढ़ानेपर सहमति कोरोना संक्रमणसे निबटनेमें सहायक साबित होगी। भारत और ब्रिटेनने जो रोडमैप तय किया है, इसके तहत दोनों देशोंका पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रोंमें अगले एक दशकतक अपने सम्बन्धोंको और ज्यादा गहरा और मजबूत बनायेंगे। दोनों देश व्यापारमुक्त व्यापार समझौतेकी दिशामें आगे बढऩेके प्रयासको और तेज करेंगे। इससे दोनों देशोंके सम्बन्धोंको नया आयाम मिलेगा और एक-दूसरेके सहयोगसे विकासका नया मार्ग प्रशस्त होगा। भारत और ब्रिटेनमें परस्पर सहयोगसे दोनोंका विकास होगा।