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लोकसभा चुनाव 2024 में कौन संभालेगा रायबरेली-अमेठी से यूपी की कमान


लखनऊ, । राजनीतिक चर्चा में रायबरेली और अमेठी का नाम आए तो कोई भी इसे मिथक की तरह कांग्रेस का गढ़ ही बताएगा। आज भी। भले चुनावी आंकड़ों में यह किला बहुत पहले ढह चुका है। 2019 में स्मृति इरानी ने राहुल को अमेठी में हराया तो भाजपा ने दूसरे दुर्ग यानी रायबरेली पर भी नजरें गड़ा दीं।

ज‍िला स्‍तर से ब्‍लाक तक कांग्रेस की नहीं हुई कोई बैठक

कांग्रेस ने यह किला सपाई सहयोग से अभेद्य रखा, लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है तो इन दोनों जिलों में कांग्रेसी खेमा शांत है। कभी सोनिया की राजनीतिक पारी को विराम देने की अटकलें तो कभी राहुल के अमेठी लौटने और प्रियंका के रायबरेली जाने की चर्चा पर भी कोई नहीं बोलता। भाजपा की सक्रियता मंत्रियों के जनसंपर्क में दिखती है, लेकिन कांग्रेस में कोई हलचल नहीं। जिले से ब्लाक स्तर तक कोई बैठक नहीं और बूथ और न्याय पंचायत स्तर पर भी माहौल ठंडा।

 

कौन कहां से लड़ेगा बस यही घोषणा बाकी है

अमेठी से राहुल के लड़ने की घोषणा तो प्रदेश अध्यक्ष ने कर दी, लेकिन रायबरेली को लेकर दिल्ली से इशारे का इंतजार है। जिला पार्टी कार्यालय में बैठे एक नेताजी बोले- प्रियंका अमेठी से और राहुल भैया रायबरेली से लड़ेंगे। सुनते ही दूसरे सज्जन ने यह कहकर चुप करा दिया, ज्यादा न बोला करो। एक पुराने कार्यकर्ता कहते हैं कि कांग्रेस वायनाड से दक्षिण और अमेठी-रायबरेली से उत्तर भारत की राजनीति का संतुलन साधेगी, बस यही घोषणा बाकी है कि कौन कहां से लड़ेगा।

पिछले चार साल से रायबरेली नहीं आईं सोनिया या प्रियंका

इनकी बात मान भी लें तो क्या चुनावी तैयारी केवल उम्मीदवारों की घोषणा भर है। सोनिया या प्रियंका पिछले चार साल से रायबरेली नहीं आईं। विधानसभा चुनाव में प्रियंका आईं जरूर, लेकिन फोकस चुनाव प्रचार पर था। सोनिया के ना आने के कारण उनकी अस्वस्थता भी है। गांधी परिवार की दूरी से कांग्रेसियों में भी सुस्ती दिखने लगी। सांसद प्रतिनिधि केएल शर्मा भी दिल्ली से निर्देश मिलने की बात लगातार दोहराते हैं।

यूपी में 2022 में नहीं खुला था कांग्रेस का खाता

पिछला प्रदर्शन देखें तो 2017 में छह में से दो सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया। बाद में दोनों विधायक भाजपा में चले गए। 2022 में फिर कांग्रेस का खाता नहीं खुला। 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए दिनेश सिंह मंत्री बनकर लगातार सक्रिय हैं।अमेठी में भी बिना गांधी के संगठन की स्थिति वैसी ही है, जैसी बाकी प्रदेश में। 2019 के बाद एक बार सोनिया व दो बार राहुल व प्रियंका अमेठी आए है। 20 अगस्त को राजीव जयंती पर कार्यकर्ता गांधी परिवार का इंतजार ही करते रह गए।

अजय राय के कमान संभालने के बाद बढ़ी हलचल

स्मृति लगातार अमेठी पहुंच रही हैं और घर भी बनवा लिया है। कांग्रेस ने 2019 में प्रदीप सिंघल को जिलाध्यक्ष बनाया। उनकी बनाई कार्यकारिणी अब भी काम कर रही है। अब थोड़ी हलचल अजय राय के कमान संभालने के बाद बढ़ी है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंघल भले ही कार्यकर्ताओं के साथ होने की बात कहें लेकिन कश्मीर से धारा 370 हटाने के मुद्दे पर डा. संजय सिंह ने पत्नी डा. अमीता सिंह के साथ भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी के विभाग प्रकोष्ठ सेवादल की कमान बीते 10 वर्षों से कल्याण श्रीवास्तव ही संभाल रहे हैं।