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शवों को गंगा किनारे दफनाने का मामला, प्रयागराज में अब बनेंगे 8 नये विद्युत शवदाह गृह


  • सरकारी अमले ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि गरीबी और आर्थिक तंगी की वजह से दाह संस्कार न कर सकने वाले लोग भविष्य में गंगा किनारे शवों को दफनाने के बजाय इन विद्युत शवदाह गृहों में अंतिम संस्कार कर सकें

प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में एबीपी की ख़बर का एक बार फ़िर बड़ा असर हुआ है. यहां गंगा किनारे बहुत बड़ी संख्या में शवों को दफनाए जाने के बाद बैकफुट पर आए सरकारी अमले ने जिले में अब आठ जगहों पर नये विद्युत शवदाह गृह बनाए जाने का फैसला किया है. इनमे से छह शहरी इलाके में बनाए जाएंगे, जबकि दो ग्रामीण इलाके में. इसके साथ ही शहर में पहले से चल रहे दोनों विद्युत शवदाह गृहों की क्षमता बढ़ाकर उनमे और सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी.

सरकारी अमले ने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि गरीबी और आर्थिक तंगी की वजह से दाह संस्कार न कर सकने वाले लोग भविष्य में गंगा किनारे शवों को दफनाने के बजाय इन विद्युत शवदाह गृहों में अंतिम संस्कार कर सकें. यूपी की योगी सरकार इन आठ नए विद्युत शवदाह गृहों के निर्माण को लेकर बेहद गंभीर है. सरकार कतई यह नहीं चाहती कि महामारी का प्रकोप बढ़ने की सूरत में शवों को फिर से इसी तरह गंगा किनारे दफ़न कर मोक्षदायिनी व जीवनदायिनी कही जाने वाली नदी को प्रदूषित किया जाए. यही वजह है कि नये बनने जा रहे आठ में से छह विद्युत शवदाह गृहों के लिए ज़मीन भी तय कर उनके टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

निर्माण का काम एक महीने में शुरू हो जाएगा

उम्मीद जताई जा रही है कि इन सभी के निर्माण का काम एक महीने में शुरू हो जाएगा और अगले तीन से चार महीने के अंदर ये सभी बनकर तैयार भी हो जाएंगे. शहरी इलाके के विद्युत शवदाह गृह फाफामऊ-अरैल-नीवा-छतनाग-देवरख और महेवा में बनाए जाएंगे, जबकि ग्रामीण इलाके के श्रृंगवेरपुर और कौशांबी से सटे हुए फतेहपुर घाट पर. शहरी क्षेत्र के प्रस्तावित विद्युत शवदाह गृहों का निर्माण नगर निगम कराएगा, जबकि ग्रामीण इलाकों में जिला प्रशासन. नगर निगम ही शहर के दारागंज और तेलियरगंज इलाके में पहले से चल रहे विद्युत शवदाह गृहों की मरम्मत कराकर उनकी क्षमता और सुविधाएं बढ़ाएगा. इनकी चिमनियां भी बदले जाने की तैयारी हैं.

आठ नये विद्युत शवदाह गृह के बनने से शवों को गंगा की रेती पर दफ़न करने की परंपरा पर अंकुश लग सकेगा और मोक्षदायिनी व जीवन दायिनी कही जाने वाली गंगा को भी प्रदूषण से बचाया जा सकेगा. यह सारी कवायद खासकर इस वजह से की जा रही है ताकि गरीबी और आर्थिक तंगी की वजह से जो लोग शवों का दाह संस्कार नहीं कर पाते हैं, वह मजबूरी में कब्र बनाकर शवों को दफनाने के बजाय इस विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कर सकेंगे.