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समलैंगिक विवाह का मामला संसद पर छोड़ दें, केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील


नई दिल्ली, केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि सेम जेंडर मैरिज को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर उठाए गए सवालों को संसद पर छोड़ने पर विचार किया जाए।

बेहद ही जटिल मुद्दे से निपट रही सुप्रीम कोर्ट

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत एक बेहद ही जटिल मुद्दे से निपट रही है, जिसका सामाजिक प्रभाव काफी गहरा है।

इसी तुषार मेहता ने कहा कि असम सवाल तो यह है कि शादी आखिर किससे और किसके बीच होगी ? इस पर फैसला कौन करेगा। आपको बता दें कि संविधान पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एस आर भट भी शामिल हैं।

तुषार मेहता ने कहा कि इसका कई अन्य कानूनों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जिसको लेकर समाज में और विभिन्न राज्य विधानसभाओं में भी बहस की जरूरत होगी। मामले की सुनवाई चल रही है।

चौथे दिन हाइब्रिड तरीके से हुई थी सुनवाई

सेम जेंडर मैरिज से जुड़ी याचिकाओं की चौथे दिन हाइब्रिड तरीके से सुनवाई हुई थी, क्योंकि न्यायमूर्ति एस आर कोरोना की चपेट में आ गए थे। ऐसे में चौथे दिन न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एस आर भट वर्चुअल तरीके से शामिल हुए थे। प्रधान न्यायाधीश ने खुद इसकी जानकारी दी थी।

इस मामले की सुनवाई के पहले दिन 18 अप्रैल को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अदालत इस सवाल पर विचार कर सकती है या नहीं, इस पर प्रारंभिक आपत्ति पहले सुनी जानी चाहिए।