नयी दिल्ली। जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति नरम होकर 4.06 फीसद पर आ गयी। इसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में कमी आना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इससे एक माह पहले दिसंबर 2020 में 4.59 फीसद थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वर्ग में कीमतों में सालाना आधार पर वृद्धि की दर जनवरी 2021 में 1.89 फीसद रही। दिसंबर 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति 3.41 फीसद थी। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तय करते समय खुदरा मुद्रास्फीति की दर पर गौर करता है। संसद ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो फीसद घट-बढ़ के साथ चार फीसद रखने की नीतिगत जिम्मेदारी दी है। जनवरी में लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति इस दायरे में रही है। जनवरी 2021 में सब्जियों की कीमतों में और नरमी आयी। इनकी मुद्रास्फीति शून्य से 15.84 फीसद नीचे रही। इसी तरह दाल एवं उत्पाद श्रेणी में मुद्रास्फीति नरम होकर 13.39 फीसद पर आ गयी। इससे पहले दिसंबर 2020 में सब्जियों की मुद्रास्फीति शून्य से 10.41 फीसद नीचे तथा दाल एवं उत्पाद खंड में 15.98 फीसद रही थी। इसी तरह मांस एवं मछली, अंडे और दूध एवं उत्पाद खंड में मुद्रास्फीति कम होकर क्रमश: 12.54 फीसद, 12.85 फीसद और 2.73 फीसद पर आ गयी। ईंधन एवं बिजली श्रेणी में मुद्रास्फीति इस दौरान 2.99 फीसद से बढ़कर 3.87 फीसद पर पहुंच गयी। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के दम पर औद्योगिक उत्पादन एक महीने के बाद वृद्धि की राह पर लौट आई। विनिर्माण क्षेत्र औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 77.63 फीसद योगदान देता है। इसमें दिसंबर 2020 में 1.6 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी। खनन उत्पादन में आलोच्य महीने में 4.8 फीसद की गिरावट आयी, जबकि बिजली उत्पादन में दिसंबर 2020 में 5.1 फीसद की वृद्धि हुई है। कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल मार्च से औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ा। मार्च में आईआईपी में 18.7 फीसद की गिरावट आयी थी। इसके बाद अगस्त 2020 तक औद्योगिक उत्पादन में लगातार गिरावट आयी। सितंबर में आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के साथ, कारखाने के उत्पादन में एक फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी थी। अक्टूबर में आईआईपी 4.2 फीसदी बढ़ा था। नवंबर 2020 में, कारखाने के उत्पादन में 2.1 फीसद की गिरावट आयी थी, जो 1.9 फीसद गिरावट के शुरुआती अनुमान से अधिक था। सरकार ने 25 मार्च 2020 को कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये लॉकडाउन लागू किया था। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नवंबर में जारी एक बयान में कहा था कि पाबंदियों से क्रमिक छूट के साथ, आर्थिक गतिविधियों में अलग-अलग स्तरों पर सुधार हुआ तथा जानकारियां जमा करने की गुणवत्ता भी बेहतर हुई। मंत्रालय ने यह भी कहा था कि महामारी के दौरान के महीनों के आईआईपी आंकड़े की तुलना बाद के महीनों से करना उचित नहीं हो सकता है। दिसंबर 2019 में विनिर्माण क्षेत्र में 0.3 फीसद का संकुचन दर्ज किया गया था। इस दौरान खनन क्षेत्र के उत्पादन में 5.7 फीसद की वृद्धि हुई थी, लेकिन बिजली उत्पादन 0.1 फीसद बढ़ गया था। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन दिसंबर 2020 में 18.3 फीसद के संकुचन के मुकाबले 0.6 फीसद बढ़ गया। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन साल भर पहले की 5.6 फीसद की गिरावट की तुलना में दिसंबर 2020 में 4.9 फीसद बढ़ा।उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन दो फीसद बढ़ा, जिसमें साल भर पहले 3.2 फीसद की गिरावट आयी थी। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर की अवधि में आईआईपी में 13.5 फीसदी की कमी आयी है।
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