राष्ट्रीय

सीमावासियोंके लिए नया वर्ष कभी खुशियां नहीं लाता


जम्मू (आससे.)। पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी तथा 264 किमी लंबी आईबी से सटे इलाकों में रहने वाले लाखों सीमावासियों के लिए नया वर्ष कभी खुशियां नहीं लाया हे। कारण स्पष्ट है। पाक सेना ने हमेशा ही नए साल की ‘खुशियांÓ भारतीय नागरिक ठिकानों पर गोले बरसा कर मनाई हैं। इस बार तो यह ‘खुशी मनाने का जश्नÓ कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है क्योंकि 20 दिनों से एलओसी और आईबी पर गोले बरसना बंद नहीं हुए हैं। पिछले 24 घंटों से पुंछ के कई इलाकों को पाक सेना ने तोपों के गोलों से पाट दिया है। जवाबी कार्रवाई भी बराबरी की ही है। हालांकि इस ओर से दावा हमेशा पाक सेना के ठिकानों पर सटीक निशाने लगाने का ही रहा है। यह सच है कि उस पार त्राहि-त्राहि का माहौल है। दर्दभरी दास्तानें इस ओर भी हैं। तभी तो नया वर्ष जम्मू कश्मीर के उन वाशिंदों के लिए कोई खुशी नहीं लाया है जो पिछले 20 दिनों से अपने घरों में इसलिए दुबके बैठे हैं क्योंकि पाक सेना के तोपखाने उन पर आग बरसा रहे हैं। एलओसी के कई सेक्टरों में पाक गोलाबारी उन्हें घरों के अंदर दुबकने को मजबूर कर रही है। हालत यह है कि इस अरसे में गोलाबारी का मुहंतोड़ जवाब तो दिया जा रहा है पर बेशर्म पाक सेना हर जख्म पर और ज्यादा बिफरते हुए हमलों को तेज कर रही है। यही नहीं एलओसी तथा इंटरनेशनल बार्डर पर पाकिस्तान की घुसपैठ करवाने की कोशिशें स्पष्ट संकेत हैं कि वह सीमा पर हालात खराब करने के मौके तलाश रहा है। ऐसे में आईबी पर सीमा सुरक्षाबल व एलओसी पर सेना कड़ी चौकसी बरत रही है। नए वर्ष के साथ ही गोलाबारी शुरू कर पाकिस्तान ने स्पष्ट संकेत दे दिया था कि इस साल भी पाकिस्तान सीमा पर खून-खराबा करने से बाज नहीं आएगा। अब तक इस गोलाबारी में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। बीते वर्ष में पाकिस्तान ने 5246 बार गोले दाग संघर्ष विराम तोड़ते हुए सीमा पर खूब खून बहाया। यह पिछले 16 सालों से सबसे ज्यादा थी। वर्ष 2018 के मुकाबले सीमा पर पाकिस्तान की गोलाबारी में तीन गुणा बढ़त दर्ज हुई है। पिछले साल संघर्ष विराम के मामलों में प्रदेश में दर्जनें लोगों की मौतें हुई व अढ़ाई सौ के करीब घायल हुए। जबकि वर्ष 2017 में सीमा पर संघर्ष विराम के 971 मामलों में 19 सुरक्षाकर्मियों समेत 31 लोग मारे गए व 151 घायल हुए थे।