सम्पादकीय

स्वास्थ्य क्षेत्रको महत्व


कोरोनाकालमें स्वास्थ्य क्षेत्रका महत्व और उसकी चुनौतियां भी बढ़ गयीं। यह स्थिति सिर्फ भारतकी ही नहीं, बल्कि पूरी दुनियाकी रही। कोरोनाके खिलाफ जंगमें एक बड़ा मोरचा स्वास्थ्य सेवाओंको सम्भालना पड़ा। चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियोंने गम्भीर जोखिमके साथ अपनी भूमिका निभायी, जिसमें काफी संख्यामें कोरोना योद्धाओंको अपने प्राणोंकी आहूति भी देनी पड़ी। साथ ही टीकेके विकासके लिए भी वैज्ञानिकोंने युद्ध स्तरपर कार्य किया, जिसमें भारतको उल्लेखनीय सफलता मिली। कोरोनाका खतरा समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि पिछले कुछ दिनोंसे इसके संक्रमणमें फिर तेजी आ गयी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे गुरुवारको  जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें २२,८५४ नये मामले सामने आये, जबकि १२६ लोगोंकी मृत्यु हुई। स्थिति भयावह तो नहीं है लेकिन कुछ राज्योंमें बढ़ते संक्रमणके कारण चिन्ताजनक अवश्य है। इसे ध्यानमें रखते हुए ही केन्द्र सरकारने देशमें स्वास्थ्यका ध्यान रखनेके लिए नये फण्डको स्वीकृति प्रदान कर उचित निर्णय किया है। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीकी अध्यक्षतामें बुधवारको हुई केन्द्रीय मंत्रिमण्डलकी बैठकमें स्वास्थ्य सुरक्षा निधिको स्वीकृति प्रदान की गयी। इस निधिका उपयोग आयुष्मान भारत, नेशनल हेल्थ मिशन और प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना जैसी सरकारकी बड़ी योजनाओंके लिए किया जायगा। इसके लिए प्रत्यक्ष करपर सेसके माध्यमसे धन जुटाया जायगा। यह विशेष निधि वित्तीय वर्षकी सीमामें बंधी नहीं होगी। इस निधिके इस्तेमालका दायित्व स्वास्थ्य मंत्रालयपर रहेगा, जो बजटीय आवण्टनसे पृथक होगा। इसका व्यय सभी महत्वाकांक्षी योजनाओंके लिए किया जायगा। नेशनल हेल्थ मिशन और प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाके लिए भी इसी निधिसे धन दिया जायगा। यह सत्य है कि देशमें स्वास्थ्य क्षेत्रके लिए अभी काफी कार्य करनेकी आवश्यकता है जिसके लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधनोंका होना बहुत जरूरी है। स्वास्थ्य सुरक्षा निधि इसमें विशेष रूपसे सहायक साबित हो सकती है। देशमें ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रोंकी स्थिति ज्यादा खराब है। समयपर चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिलनेसे बड़ी संख्यामें लोगोंकी असमय ही मृत्यु हो जाती है। ऐसी स्थितिमें इन क्षेत्रोंमें अस्पताल, चिकित्सक और दवाओंकी पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। निधिसे खर्च होनेवाली राशिमें पूरी पारदर्शिता भी अपेक्षित है।

आतंकियोंकी सक्रियता

भारतके साथ सीमापर संघर्षविरामकी सहमतिके बावजूद पाकिस्तान अपनी हरकतोंसे बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तानने जम्मू-कश्मीरमें आतंकी गतिविधियोंको बढ़ावा देकर अपने विकृत और विश्वासघाती चरित्रका पुन: परिचय दिया है, जो उसके लिए काफी अहितकर साबित होगा। पाकिस्तानने पुलवामा काण्ड फिर दोहरानेकी साजिश की लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलोंकी सतर्कतासे वह विफल हो गया। पुलवामा जिलेके सैन्य काफिले और म्युनिसिपल कमेटी पांपोरकी इमारतपर बुधवारको आईईडी हमलेकी साजिश रच रहे सात आतंकियोंको गिरफ्तार कर लिया गया है। इनमें एक आत्मघाती हमलावर और चार जैश-ए-मुहम्मद तथा तीन लश्कर-ए-तैयबाके आतंकी हैं। साथ ही विस्फोटक पदार्थोंके अतिरिक्त धमाकेमें इस्तेमालके लिए एक कार भी बरामद की गयी है। सभी आतंकी पुलवामाके आवंतीपोरा इलाकेमें सक्रिय थे। कश्मीर रेंजके आईजी पी. विजय कुमारने दावा किया है कि जैश-ए-मुहम्मदमें कई नये आतंकी भर्ती किये गये हैं। इससे भी अधिक चिन्ताकी बात यह है कि आतंकका नया पर्याय बने आतंकी संघटन दि रजिस्टेंस फ्रण्ट जम्मू-कश्मीर (टीआरएफ) भी बड़ी घटनाको अंजाम देनेमें सक्रिय है। इसका कमाण्डर शेख अब्बास श्रीनगरमें छिपा हुआ है। इसे ध्यानमें रखते हुए पूरे श्रीनगरमें हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है। शेख अब्बासको दबोचनेके लिए विशेष दस्ताका गठन किया गया है, जो निरन्तर छापेमारी भी कर रहा है। जम्मू-कश्मीरमें बढ़ती आतंकी सक्रियता चिन्ताकी बात है। प्रशासन पूरी तरहसे सतर्क है लेकिन उसे और भी सतर्कता बरतनेकी जरूरत है जिससे कि सक्रिय आतंकियोंके नेटवर्कको ध्वस्त किया जा सके। दक्षिण कश्मीरके कांडीपोरा (अनन्तनाग) में सुरक्षाबलोंके घेरेमें फंसे आतंकियोंने गोलीबारी की लेकिन जवाबी काररवाईसे वे दहशतमें आ गये और भाग निकले। जम्मू-कश्मीरमें आतंकी हरकतोंपर प्रभावी अंकुश लगानेके साथ ही उनपर कड़ा प्रहार करनेकी भी आवश्यकता है। साथ ही शान्तिप्रिय जनताको भी सतर्कता बरतनेकी जरूरत है। संदिग्ध लोगों और उनकी गतिविधियोंपर नजर रखना जरूरी है जिससे कि किसी बड़ी घटनाको समय रहते विफल किया जा सके।