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हैकर्स ने दिल्ली एम्स से ₹200 करोड़ की मांगी फिरौती


देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स दिल्ली का सर्वर हैक करने वालों ने 200 करोड़ रुपए की डिमांड की है। हैकर्स ने पेमेंट क्रिप्टोकरंसी के जरिए करने को कहा है। बता दें कि एम्स का सर्वर बुधवार यानी 23 नवंबर को रैनसमवेयर अटैक करके हैक कर लिया गया था। इससे अस्पताल की सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं।अस्पताल की OPD और IPD में आने वाले मरीजों का इलाज करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सर्वर ठप होने के कारण ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने और टेलीकंसल्टेशन जैसी डिजिटल सेवाएं भी प्रभावित रहीं। हालांकि, इन सभी सेवाओं को मैनुअल तौर पर चलाया जा रहा है।सूत्रों के अनुसार, डेटा हैक में इंटरनेशनल साइबर क्राइम का कनेक्शन होने की आशंका है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि कि ये साइबर टेरर से जुड़ा मामला है। गुरुवार को FIR दर्ज की गई है। दिल्ली एम्सका सर्वर बुधवार सुबह 7 बजे से डाउन है, जिसे करीब 48 घंटे बाद भी रिकवर नहीं किया जा सका था। इसके चलते अस्पताल में मरीजों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें आ रही हैं। भारत में हर महीने हेल्थकेयर सेक्टर पर लगभग 3 लाख साइबर हमले होते हैं। ये दुनियाभर में दूसरे सबसे अधिक साइबर हमले हैं। अमेरिकी हेल्थ सेक्टर पर हर माह लगभग पांच लाख साइबर अटैक होते हैं।2020 में कम से कम 130 अलग-अलग रैनसमवेयर एक्टिव थे और 2021 की पहली छमाही में मालवेयर के 30,000 ग्रुप मिले थे। जो समान रूप से दिखते और संचालित होते थे। इनमें से 100 रैनसमवेयर ऐसे हैं जिनकी एक्टिविटी कभी नहीं रुकती है। हमलावर अपने रैनसमवेयर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए जाने-माने बॉटनेट मालवेयर और अन्य रिमोट एक्सेस ट्रोजन (RAT) सहित कई तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।ज्यादातर मामलों में ये नए रैनसमवेयर सैंपल का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि गूगल का कहना है कि उसके गूगल क्रोम ओएस क्लाउड-फर्स्ट प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रोफेशन, एजुकेशन या कस्टमर की क्रोम ओएस डिवाइस पर रैनसमवेयर हमले नहीं हुए हैं।