सम्पादकीय

लोकतन्त्रमें आमजनकी प्रमुखता

डा. अम्बुज जिस प्रकार जलवायुका असर पेड़-पौधों और फसलपर होता है। वैसे ही परिवेशका असर आदमीपर होता है, आदमी अपने परिवेशके अनुसार जीता है। आजके दौरका परिवेश वर्तमान एवं आनेवाली पीढ़ीके जीवनको तय करता है। आज जब हर तरफ महंगी, बाजारवाद एवं मुनाफाखोरीका हाहाकार मचा है, आदिम युगके समान आधुनिक भारतमें भोजन एक जरूरत नहीं, […]

सम्पादकीय

आध्यात्मिकता अनिवार्य

श्रीश्री रविशंकर आध्यात्मिकता और राजनीति दोनोंका ही मानवता एवं मानवके साथ गहरा संबंध है। राजनीतिका उद्देश्य सुशासन लाना और भौतिक एवं भावानात्मक सुविधाओंको जनतातक पहुंचाना है। वहीं आध्यात्मिकताका लक्ष्य नैतिकता एवं मानवीय मूल्योंको बढ़ाना है। किसी भी देशकी समृद्धिके लिए राजनीति एवं आध्यात्मिकताका एक साथ चलना अति आवश्यक है। सुशासन एवं अच्छे प्रजातंत्रके लिए आध्यात्मिकताका […]

सम्पादकीय

राष्टï्रद्रोहियोंपर सख्ती

जम्मू-कश्मीर प्रशासनने ऐसे राष्टï्रद्रोही सरकारी कर्मचारियोंके खिलाफ सख्त कदम उठाकर अत्यन्त उचित और सराहनीय कार्य किया है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी संघटनोंकी सहायता करते हैं। प्रशासनका देर से उठाया गया यह सही कदम है। ऐसे ११ सरकारी कर्मचारियोंको सेवासे बर्खास्त किया गया है। नौकरीसे बर्खास्त होनेवालोंमें आतंकी संघटन हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद […]

सम्पादकीय

परिसंघीय ढांचेपर जीएसटीका प्रभाव

डा. सुशील कुमार सिंह    देशमें १ जुलाई २०१७ को एक नया आर्थिक कानून वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुआ था। जीएसटी लागू होनेसे पहले ही केन्द्र और राज्य सरकारोंके बीच आपसमें इस बातपर सहमतिका प्रयास किया गया था कि इसके माध्यमसे प्राप्त राजस्वमें केन्द्र और राज्योंके बीच राजस्वका बंटवारा किस तरह किया जायेगा। पहले […]

सम्पादकीय

रक्षा सौदोंमें भ्रष्टाचार

विजयनारायण       फ्रांसकी एक अदालतमें राफेल विमान सौदेसे सम्बन्धित भ्रष्टïाचारके खुलासेके बाद मुकदमा दर्ज हो गया है। ज्ञातव्य है कि यह सौदा फ्रांसकी विमान निर्माता कम्पनी दसाल्टने भारतके साथ किया था। यद्यपि दसाल्ट एक निजी कम्पनी है किन्तु इस सौदेमें फ्रांसकी सरकारकी भी अहम भूमिका रही है। फ्रांसकी सरकारके राजीनामेके बाद ही यह सौदा सम्पन्न हो […]

सम्पादकीय

लापरवाही बढ़ा रहा तीसरी लहरका डर

सुरेश गांधी जूनके अंततक कोरोनासे लगभग चार लाख लोगोंकी मौत हो चुकी है। संक्रमितोंकी संख्या ३० लाखसे ऊपर है। पड़ोसी देशोंकी तुलनामें हमारी स्थिति अधिक खराब है। आंकड़े इस बातके गवाह हैं कि दूसरी लहर भारतके लिए बेहद घातक साबित हुई है। पिछले सालके शुरूसे कोरोना वायरसने लगभग समूची दुनियाको प्रभावित किया है। यह आज […]

सम्पादकीय

ईश्वरका अस्तित्व

श्रीराम शर्मा ईश्वरका प्यार केवल उसीको मिलेगा, जो दीपककी तरह जलकर प्रकाश उत्पन्न करनेको तैयार है, प्रभुकी ज्योतिका अवतरण उसीपर होगा। ईश्वरका अस्तित्व विवादका नहीं, अनुभवका विषय है। जो उस अस्तित्वका जितना अधिक अनुभव करेगा, उतना ही प्रकाशपूर्ण उसका जीवन होता जायगा। मनुष्य शरीर परमात्माकी अनुपम और अद्वितीय-अद्भुत कलाकृति है। इस कलाकृतिकी संरचनाका अध्ययन किया […]

सम्पादकीय

भुखमरीका दंश

दुनियाभरमें भुखमरीके कारण हर एक मिनटमें ११ लोगोंकी मौत हतप्रभ करनेवाली है। भुखमरीसे मरनेवाले लोगोंकी संख्या कोविड-१९ के चलते जान गंवानेवालोंकी संख्याको पीछे छोड़ दिया है। गरीबी उन्मूलनके लिए काम करनेवाले संघटन ‘आक्सफैमÓ की रिपोर्ट हैरान करनेवाली है। रिपोर्टके अनुसार पिछले एक वर्षमें पूरी दुनियामें अकाल जैसे हालातका सामना करनेवाले लोगोंकी संख्या छह गुना बढ़ी […]

सम्पादकीय

सोशल मीडियापर नियन्त्रण जरूरी

डा. भरत झुनझुनवाला       गत सप्ताह मंत्रिमंडलमें हुए फेरबदलमें सूचना प्रौद्योगिकीमंत्री रविशंकर प्रसादने इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफेके पीछे दो संभावनाएं हैं। एक संभावना है कि श्री रविशंकर प्रसादने ट्विटर एवं अन्य दूसरी सोशल मीडिया कंपनियोंपर प्रधान मंत्रीकी इच्छासे इतर अधिक सख्ती की जिसके फलस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनी द्वारा देश एवं प्रधान मंत्री स्वयंकी […]

सम्पादकीय

जनसंख्या वृद्धिसे बढ़ती मुश्किलें

हृदयनारायण दीक्षित भौतिक संसाधन सीमित हैं। जनसंख्या वृद्धि असीमित। लोगोंके आवासके लिए भी भविष्यमें जगह कम पड़ सकती है। अजेय और समृद्ध भारत सबकी अभिलाषा है। इस कार्यमें भारी जनसंख्या वृद्धि बड़ी बाधा है।          जनसंख्या वृद्धिके चलते नगरोंकी सीमा बढ़ रही है। सरकारें अस्पताल बनाती हैं, चिकित्सक नियुक्त करती हैं। न्यायपालिका न्यायालय केन्द्र बनाती है। […]