सम्पादकीय

सुप्रीम कोर्टके फैसलेपर होगी नजर

अवधेश कुमार    पिछले वर्ष हुए दिल्ली दंगोंपर तत्काल कोई फैसला या अंतिम मंतव्य न देते हुए भी शीर्ष न्यायालयने कहा है कि उच्च न्यायालयके फैसलेको देशके किसी भी न्यायालयमें नजीर न माना जाय। पूरा मामला गैर-कानूनी रोकथाम कानून यानी यूएपीएसे जुड़ा है और उच्च न्यायालयने इसपर भी टिप्पणियां की है। शीर्ष न्यायालय द्वारा ऐसा कहनेके […]

सम्पादकीय

सिकुड़ते जंगलसे संकटमें सभ्यता

अनिल जैन       पानीके संकटको स्पष्ट तौरपर दुनियाभरमें महसूस किया जा रहा है और विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगला विश्व युद्ध यदि हुआ तो वह पानीको लेकर ही होगा। जिस तेजीसे पानीका संकट विकराल रूप लेता जा रहा है, कमोबेश उसी तेजीसे जंगलोंका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है। जब मनुष्यने जंगलोंको काटकर बस्तियां […]

सम्पादकीय

चिकित्सा पद्धतिका गौरवशाली इतिहास

 प्रताप सिंह विश्वभरमें मौतका कहर मचानेवाली कोरोना महामारीके भयंकर एवं डरावने माहौलमें कोरोना संक्रमणके चक्रव्यूहमें अपनी जानकी परवाह किये बिना बेखौफ होकर घुसनेका साहस यदि किसीने किया तो वह अग्रदूत हमारे डाक्टर हैं। कोरोनासे उपजी लाकडाउन जैसी बंदिशोंमें भी चिकित्साकर्मी कोरोना संक्रमित मरीजोंके इलाजमें मुस्तैद थे। आजके आधुनिक दौरमें कई बीमारियोंका पता लगानेवाले उपकरण एवं […]

सम्पादकीय

गुणवत्ता

ओशो  यह संसार पुरुषों और महिलाओं दोनोंसे मिलकर बना है और इस संसारको खुबसूरत और श्रेष्ठ बनानेके लिए दोनोंका साथ रहना जरूरी है। दुनियाभरमें यदि सभी औरतोंको अपनी क्षमता विकसित करनेकी आजादी मिल जाय तो यहां बहुत सारी महिलाएं विदुषी, संत, कवि और चित्रकार होंगी। वह औरतें न केवल दुनियामें महिलाओंके विकासमें साझेदारी बढ़ायंगी, बल्कि […]

सम्पादकीय

गांवोंमें ब्राडबैण्ड

भारत गांवोंका देश है, जहां देशकी सर्वाधिक आबादी रहती है लेकिन उन्हें अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। देशकी अर्थव्यवस्थाका मूल आधार ग्रामीण भारत ही है। भारतमें कुल छह लाख ४९ हजार ४८१ गांव हैं, जिनमें सबसे अधिक एक लाख सात हजार ७५३ गांव उत्तर प्रदेशमें है जबकि सबसे कम १३ गांव चण्डीगढ़में हैं। बिहारमें […]

सम्पादकीय

परिसीमनसे बदलेगी तस्वीर

आशीष वशिष्ठ     केंद्र सरकारनेने २४ जूनको सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। जम्मू-कश्मीरकी विभिन्न पार्टियोंके नेताओंकी बैठकके बाद फारुख और उमर अब्दुल्ला दोनोंने बादमें कहा कि ३७० पर सर्वोच्च न्यायालयका जो भी फैसला होगा, वह उसे मान्य करेंगे। महबूबा मुफ्तीने जरूर तीखे तेवर दिखलाये लेकिन किसीका समर्थन नहीं मिलनेसे वह अलग-थलग पड़ गयीं। विशेष तौरसे पाकिस्तानसे बात […]

सम्पादकीय

प्रकृतिपर भारी जनसंख्या विस्फोट

ऋतुपर्ण दवे    बाढ़की सर्वाधिक मार झेल रहे बिहारपर तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडि़त जवाहरलाल नेहरूने १९५३ में कहा था कि १५ वर्षोंमें इसपर काबू पा लिया जायगा। लेकिन ६८ वर्ष हो रहे हैं न तो बाढ़से होनेवाली तबाही ही थमीं और न ही देशमें इसका बढ़ता दायरा रुका। उल्टा उत्तराखण्ड, असम, जम्मू-कश्मीर, चेन्नई या देशके दूसरे […]

सम्पादकीय

तीसरे मोरचेको लेकर सुगबुगाहट तेज

आनन्द शुक्ल देशमें २०२४ में लोकसभाके चुनावके मद्देनजर तीसरे मोर्चेके गठनको लेकर विपक्षी दलोंमें सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवारके दिल्ली आवासपर हालमें हुई, विपक्षी दलोंके नेताओंकी बैठकको इसी दिशामें बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि इस बैठकका मकसद मौजूदा राजनीतिक हालात और देशकी जर्जर अर्थव्यवस्थापर चर्चा […]

सम्पादकीय

जीवनका निर्माण

श्रीराम शर्मा  संसार एक शीशा है। इसपर हमारे विचारोंकी जैसी छाया पड़ेगी, वैसा ही प्रतिबिंब दिखेगा। विचारोंके आधारपर ही संसार सुखमय अथवा दुखमय अनुभव होता है। उत्कृष्ट उत्तम विचार जीवनको ऊपर उठाते हैं। मनुष्यका जीवन उसके विचारोंका प्रतिबिंब है। सफलता-असफलता, उन्नति, अवनति, तुच्छता, महानता, सुख-दु:ख, शांति-अशांति आदि सभी पहलू मनुष्यके विचारोंपर निर्भर है। किसी भी […]

सम्पादकीय

कोरोना मृत्युपर मुआवजा

कोरोना मृतकोंके परिवारोंको मुआवजा देनेके सम्बन्धमें सर्वोच्च न्यायालयने बुधवारको उनके पक्षमें महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि यह मुआवजा परिजनोंको मिलना ही चाहिए। शीर्ष न्यायालयने यह नहीं कहा है कि मुआवजेकी राशि कितनी होगी। इसकी जिम्मेदारी सरकारपर छोड़ दी गयी है। न्यायमूर्ति अशोक भूषणकी अध्यक्षतावाली तीन न्यायाधीशोंकी पीठने राष्टï्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को […]