प्रवीण गुगनानी बंगालीमें एक कहावत है, डूबे-डूबे झोल खाबा इसी भावार्थकी एक हिंदी कहावत है- ऊंटकी चोरी नेवड़े नेवड़े नहीं हो सकती। दोनों ही कहावतोंका एक-सा अर्थ है कि बड़ी चोरी आज नहीं तो कल पकड़ी ही जायेगी। पश्चिम बंगालमें हिंदू हितोंकी चोरी भी ममता बनर्जीका एक ऐसा ही चोरी थी जिसे पकड़ा भी जाना […]
सम्पादकीय
योगका अर्थ
जग्गी वासुदेव योगका अर्थ है पूर्ण मिलन यानी हर चीज आपके अनुभवमें एक हो गयी है, लेकिन तर्क कहता है कि बुराई या गंदगीको स्वीकार मत करो। कुछ समय पहलेकी बात है, किसीने मुझसे पूछा, योगका मतलब तो मिलन या एक होना है फिर भेदभाव करनेवाले मनका क्या करें। क्या ऐसा नहीं है कि जो […]
राजनीतिक हिंसाका शिकार पश्चिम बंगाल
विरला ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो किसी न किसी क्षेत्रमें बंगालकी असाधारण प्रतिभा एवं तीक्ष्ण बौद्धिकतासे प्रभावित न हुआ हो। परन्तु कैसी विचित्र विडंबना है कि जो बंगाल कला, सिनेमा, संगीत, साहित्य, संस्कृतिकी समृद्ध विरासत और बौद्धिक श्रेष्ठताके लिए देश ही नहीं, पूरी दुनियामें विख्यात रहा हो, वह आज चुनावी हिंसा, अराजकता, रक्तपातके लिए […]
परिवर्तित होता मानव जीवन परिदृश्य
एक बार फिरसे इस महामारीने भयंकर रूप धारण कर लिया है। कई देशोंकी व्यवस्थाएं बदल गयी हैं। लगभग एक महीनेसे भारतमें भी इस संक्रमणसे भयंकर स्थिति हो गयी है। देशकी कई राज्य सरकारोंने तीव्र गतिसे फैलते संक्रमण तथा मृत्यु दरमें वृद्धि होनेके कारण फिरसे लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू तथा कई प्रकारकी बंदिशें लगानी शुरू कर दी […]
श्वसन तंत्रको बनायें मजबूत
देशमें कोरोनाकी वैक्सीनेशनकी गतिको और बढ़ाने और इसे विकसित करनेकी जरूरत है। उन्होंने इस पत्रमें कहा है कि वैक्सीनेशनके निरपेक्ष आंकड़ोंको बढ़ानेपर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकारको राज्य सरकारोंसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले छह महीनेमें कितनी वैक्सीनका ऑर्डर दिया जायगा और कैसे इनका वितरण किया जायगा। सिंहने […]
संसाधनोंका संकट
देशमें कोरोना वायरसके कहरने रौद्र रूप धारण कर लिया है। हालात निरन्तर गम्भीर होते जा रहे हैं। गुरुवारको देशमें पहली बार संक्रमणके तीन लाखसे अधिक नये मामले आये, जो अबतक सर्वाधिक आंकड़ा है। लगातार पांचवें दिन देशमें ढाई लाखसे अधिक संक्रमणके नये मामले दर्ज हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार देशमें पिछले २४ घण्टेके दौरान […]
श्वसन तंत्रको बनायें मजबूत
डा. वरिंदर भाटिया देशमें कोरोनाकी वैक्सीनेशनकी गतिको और बढ़ाने और इसे विकसित करनेकी जरूरत है। उन्होंने इस पत्रमें कहा है कि वैक्सीनेशनके निरपेक्ष आंकड़ोंको बढ़ानेपर जोर न दें। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकारको राज्य सरकारोंसे यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि अगले छह महीनेमें कितनी वैक्सीनका ऑर्डर दिया जायगा और कैसे इनका वितरण […]
परिवर्तित होता मानव जीवन परिदृश्य
प्रो. सुरेश शर्मा एक बार फिरसे इस महामारीने भयंकर रूप धारण कर लिया है। कई देशोंकी व्यवस्थाएं बदल गयी हैं। लगभग एक महीनेसे भारतमें भी इस संक्रमणसे भयंकर स्थिति हो गयी है। देशकी कई राज्य सरकारोंने तीव्र गतिसे फैलते संक्रमण तथा मृत्यु दरमें वृद्धि होनेके कारण फिरसे लॉकडाउन, नाइट कफ्र्यू तथा कई प्रकारकी बंदिशें लगानी […]
राजनीतिक हिंसाका शिकार पश्चिम बंगाल
प्रणय कुमार विरला ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो किसी न किसी क्षेत्रमें बंगालकी असाधारण प्रतिभा एवं तीक्ष्ण बौद्धिकतासे प्रभावित न हुआ हो। परन्तु कैसी विचित्र विडंबना है कि जो बंगाल कला, सिनेमा, संगीत, साहित्य, संस्कृतिकी समृद्ध विरासत और बौद्धिक श्रेष्ठताके लिए देश ही नहीं, पूरी दुनियामें विख्यात रहा हो, वह आज चुनावी हिंसा, अराजकता, […]
न्यायके लिए जारी संघर्ष
कहा जाता है कि देशकी लोकतांत्रिक व्यवस्थामें कानूनका शासन है एवं कानून अपना कार्य स्वयं करता है। परन्तु महिलाओंके प्रति आपराधिक मामलोंमें कानून द्वारा काररवाईकी प्रतीक्षा नहीं की जाती। इसलिए गैरसत्ताधारी राजनीतिक दलोंके नेताओंके लिए कभी-कभी यह घटनाएं आपदामें अवसरके रूपमें विशेष आकर्षणका केन्द्र बन जाती हैं। देखा गया है कि इन मामलोंमें सरकारपर दबाव […]