सम्पादकीय

तिब्बतियोंकी पीड़ा

डा. समन्वय नंद माओकी सेनाने हजारोंकी संख्यामें नीरिह तिब्बतियोंको मौतके घाट उतार दिया था। इस तरहकी स्थिति उत्पन्न हो गयी थी कि परम पावन दलाई लामाको तिब्बत छोड़कर भारतमें शरण लेना पड़ा था। वैसे देखा जाय तो चीनकी कम्युनिस्ट सेनाने १९४९ से ही तिब्बतपर हमला करना प्रारंभ कर दिया था। पहले माओकी सेनाने चीनसे सटे […]

सम्पादकीय

महंगीसे जीडीपीपर नकारात्मक प्रभाव

बाल मुकुन्द ओझा महंगीने नेहरूसे लेकर मोदीतक किसीको नहीं बख्शा। नेहरू, इंदिरा कालमें समाजवादी और साम्यवादी संघटन महंगीके विरुद्ध मोर्चा निकालते थे। संसदमें एके गोपालन, भूपेश गुप्त, हिरेन मुखर्जी और ज्योतिर्मय बसुसे लेकर मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडीज, नाथ पेई, मनीराम बागड़ी, राजनारायण आदिके भाषण आज भी संसदकी कार्यवाहीमें दर्ज है। डा. राम मनोहर लोहियाने तीन […]

सम्पादकीय

दुव्र्यसन है आलस्य

श्रीराम शर्मा निकारक दुव्र्यसनोंको ठंडी आग कहा जाता है। गर्म आगमें जलकर भस्म हो जानेमें देर नहीं लगती परन्तु पानीमें डूब मरनेसे भी दुष्परिणाम वैसा ही भयंकर निकलता है। अन्तर इतना ही रहता है कि आत्मदाह भयानक लगता है और आंखोंमें काफी देरतक दिल दहलानेवाला दृश्य खड़ा रहता है, जबकि पानीमें किसीके डूबनेका समाचार सुनकर […]

सम्पादकीय

चीनके बदले सुर

भारत-चीन सम्बन्धोंके सन्दर्भमें चीनी विदेशमंत्री वांग यी का ताजा बयान कुछ अलग ही है, जिसमें भारतके प्रति उनके सुर भी बदल गये हैं। इसपर सहज विश्वास करना तो कठिन है लेकिन इसके निहितार्थको भी समझना जरूरी है। भारत और चीनके बीच पूर्वी लद्दाख प्रकरणमें आयी कटुता अभी समाप्त नहीं हुई है। सीमापर दोनों देशोंकी सेनाओंकी […]

सम्पादकीय

अविश्वसनीय पाकिस्तानसे वार्ता

जी. पार्थसारथी नि:संदेह शांति और सुरक्षा भारत-पाकिस्तानके लिए मुख्य चिंताका विषय रहे हैं। ४ जुलाई, २००४ जिस दिन दक्षेस सम्मेलनमें भाग लेनेके लिए प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस्लामाबादमें थे तो उन्होंने पाकिस्तानके राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफके साथ संयुक्त घोषणापत्र जारी किया था, इसमें कहा गया था, राष्ट्रपति मुशर्रफने प्रधान मंत्री वाजपेयीको विश्वास दिलाया है […]

सम्पादकीय

अधिक कारगर वैक्सीनकी तलाश

मुकुल व्यास कोरोनाके नये स्ट्रेन प्रकट होनेसे वैज्ञानिकों और वैक्सीन निर्माताओंका सिरदर्द बढ़ गया है। इस समय वैक्सीनोंके विकासके लिए अलग-अलग विधियां अपनायी जा रही हैं। इनके प्रयोगमें लाभ भी हैं और दिक्कतें भी हैं। इसके अलावा जो वैक्सीन एमआरएन, मॉलिक्यूल्सपर आधारित हैं उनके स्टोरेज और ट्रांसपोर्टके लिए बहुत ही निम्न तापमानकी आवश्यकता पड़ती है। […]

सम्पादकीय

अपनोंकी बगावतसे जूझती कांग्रेस

रमेश सर्राफ धमोरा कांग्रेस पार्टी इन दिनों अपने ही असंतुष्ठ नेताओंकी बगावतसे जूझ रही है। देशमें लगातार कांग्रेसका प्रभाव कम होता जा रहा है। कुछ दिन पूर्व पुडुचेरीमें कांग्रेसकी सरकार गिर गयी थी। ऐसेमें गिरते जनाधारको रोकनेमें नाकाम रही कांग्रेसमें व्याप्त आंतरिक संकट पार्टीको और अधिक कमजोर करेगा। कांग्रेसके २३ वरिष्ठ नेताओंने गुलाम नबी आजादके […]

सम्पादकीय

ज्ञानका प्रकाश

बाबा हरदेव परमात्मा अद्वितीय है। न इसका कोई आदि है, न अंत है अर्थात यह अनादि और अनंत है, असीम है, अपार है, इसलिए इसे मापा नहीं जा सकता। जब दूसरा कोई नहीं है तो इसे एक भी कैसे कहे, क्योंकि एक कहनेसे दोकी शुरुआत होती है, एक कहो तो संख्याकी गिनती शुरू हो जाती […]

सम्पादकीय

दोषियोंको सजा

बिहारके गोपालगंजमें जहीरीली शराबकी बरामदगीके मामलेमें अदालतने नौ अभियुक्तोंको दोषी करार देते हुए मृत्युदण्डकी सजा सुनायी। साथ ही चार महिलाओंको आजीवन कारावासकी सजा भी सुनायी है तथा इन चारों महिलाओंपर दस-दस लाखका अर्थदण्ड भी लगाया है। सन्ï २०१६ में जहरीली शराब पीनेसे १९ लोगोंकी मृत्यु हो गयी थी। जीवनके साथ खिलवाड़ करनेवाले मनुष्य रूपमें नरपिचाशोंको […]

सम्पादकीय

पांच ट्रिलियन डालरकी कठिन राह

डा. भरत झुनझुनवाला वर्ष २०१५-१९ के भाजपा सरकारके कार्यकालके दौरान सरकारी आंकड़ोंके अनुसार जीडीपी विकास दर ७.५ प्रतिशत हो गयी है। लेकिन जमीनी स्तरके आंकड़े इस अवधिमें ऊंची विकास दरको प्रमाणित नहीं करते हैं। जैसे दो पहिया वाहनोंकी वार्षिक बिक्रीकी विकास दर कांग्रेस सरकारके समय २५.७ प्रतिशत थी जो कि भाजपा सरकारके समय १३.२ प्रतिशत […]