सम्पादकीय

विपक्षके उकसावेसे उलझन

विकेश कुमार बडोला यदि भारतकी राजनीतिके बारेमें बात करें तो ज्ञात होता है कि गत सात वर्षीय राजनीति और उससे पूर्वकी दशकोंकी राजनीतिमें भू-नभका अंतर है। गत सात वर्षमें भारतीय राजनीति अति परिशुद्धताके समयसे गुजरी है। जो सज्जन लोग राजनीतिके कलंकसे अति व्यथित होकर राजनीतिसे ही मुंह फेर चुके थे, वे भी गत सात वर्षीय […]

सम्पादकीय

जनसंख्या नियंत्रणपर कारगर पहल जरूरी

अनूप भटनागर केन्द्र सरकार भले ही देशवासियोंपर जबरन परिवार नियोजन थोपनेका विरोध कर रही है लेकिन देशकी तेजीसे बढ़ती आबादी और इस वजहसे घटते संसाधन सरकारको देर-सवेर जनसंख्या नियंत्रणके लिये प्रभावी कदम उठानेपर मजबूर कर देंगे। केन्द्र सरकारने हालमें सर्वोच्च न्यायालयको सूचित किया है कि परिवारमें बच्चोंकी संख्याके बारेमें पति-पत्नीको ही निर्णय लेना होगा और […]

सम्पादकीय

एक-दूसरेके पूरक

जग्गी वासुदेव आदि शंकराचार्यकी मंडन मिश्रके साथ बहस हो गयी और शंकराचार्य जीत गये। फिर मण्डन मिश्रकी पत्नी बीचमें आ गयी और बोली आपने मेरे पतिको हरा दिया, परन्तु वह अपने आपमें पूरे नहीं हैं। हम दोनों एक-दूसरेके पूरक हैं। इसलिए आपको मुझसे भी बहस करनी होगी। मण्डन मिश्रकी पत्नीने देखा कि वह हार रही […]

सम्पादकीय

कोरोनाका नया रूप

ब्रिटेनमें कोरोना वायरसका नया रूप सामने आनेसे न केवल ब्रिटेन, बल्कि विश्वके अनेक देशोंमें काफी चिन्ता बढ़ गयी है, क्योंकि यह नया वायरस ७० प्रतिशत अधिक घातक है। ब्रिटेनके स्वास्थ्यमंत्रीने रविवारको स्वीकार किया कि लन्दन और दक्षिण-पूर्वी इंग्लैण्डमें लगा लाकडाउन महीनोंतक आगे बढ़ सकता है। नया वायरस नियंत्रणसे बाहर हो गया है। प्रधान मंत्री बोरिस […]

सम्पादकीय

हाइड्रोजन विकाससे समृद्धि

अरविन्द मिश्र केंद्रकी मोदी सरकार देशमें हाइड्रोजन इकोनॉमीके विकासके लिए एक समिति भी बनाने जा रही है। हाइड्रोजन ऊर्जाकी संभावनाओं एवं अवसरको तलाशने उद्योग जगत और विभिन्न साझेदारोंसे महत्वपूर्ण सुझाव लिये जा रहे हैं। कुल मिलाकर इन प्रयासोंका उद्देश्य देशमें हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था या ऊर्जा अनुपातमें हाइड्रोजन एनर्जीकी सहभागिताको बढ़ाना है। दरअसल लगातार बढ़ते प्रदूषणके फलस्वरूप […]

सम्पादकीय

सरकारी मण्डियोंमें किसान

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री सरकारी मंडियोंमें सरकारसे लाइसेंस लेकर कुछ लोगोंने अपनी दुकानें भी खोल रखी हैं। बोलचालकी भाषामें इन दुकानदारोंको आढ़तिया कहा जाता है। किसान वक्त-बेवक्त इन आढ़तियोंसे पैसा उधार भी लेता रहता है। परन्तु आढ़तियोंको अपना पैसा मारे जानेका कोई खतरा नहीं होता क्योंकि उसे पता है कि किसान अपनी फसल लेकर उसीकी […]

सम्पादकीय

सिग्नल बढ़ानेमें मदद करेगा सीएमएस-०१

योगेश कुमार गोयल इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संघटन)ने फिर अंतरिक्षमें सफलताका नया इतिहास रचा है। १७ दिसम्बरको चेन्नईसे १२० किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्रके दूसरे लांच पैडसे पीएसएलवी-सी५० रॉकेटके जरिये अपना ४२वां संचार उपग्रह सीएमएस-०१ सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। इसरोके ३२० टन वजनी पीएसएलवी-सी५० रॉकेटने बीस मिनटकी उड़ानके बाद सीएमएस-०१ (पूर्व नाम जीसैट-१२आर) […]

सम्पादकीय

अस्तित्वको जानना

बाबा हरदेव इन अंगोंकी भिन्नता कभी एक-दूसरेसे टकराती नहीं है, सभी अंग एक-दूसरेके सहयोगी हैं, एक-दूसरेकी रक्षा करते हैं, एक-दूसरेके काम आते हैं। अंगुलियां बहुत संख्यामें होते हुए भी अल्पसंख्यावाली नाकको हानि नहीं पहुंचाती अपितु इसकी रक्षा करती हैं। सबसे ऊंचा रहनेवाला सिर सबसे नीचे रहनेवाले पांवकी अवहेलना नहीं करता। यदि पांवमें कांटा चुंभ जाय, […]

सम्पादकीय

मौलिक अधिकारमें स्वास्थ्य

चिन्ता जताते हुए सुप्रीम कोर्टने कहा है कि इस अभूतपूर्व महामारीसे पूरा विश्व युद्ध लड़ रहा है। यह कोरोनाके खिलाफ विश्वयुद्ध है। साथ ही कोर्टने यह भी कहा है कि इसमें सस्ता यानी वहन करने योग्य इलाज अति आवश्यक है। यह सही है कि कोरोना संक्रमण जंगलमें आगकी तरह फैला विश्व एवं स्वास्थ्य विभाग सम्भल […]

सम्पादकीय

लम्बी मंदीकी सम्भावना

डा. भरत झुनझुनवाला इस वित्तीय वर्षकी पहली तिमाहीमें हमारी सकल घरेलू आय यानी जीडीपीमें २४ प्रतिशतकी गिरावट आयी थी। इसके बादकी दूसरी एवं तीसरी तिमाहीमें आठसे दस प्रतिशत गिरावट रहनेका अनुमान है जो कि सुधारका संकेत देता है। इसी प्रकार जूनमें वैश्विक संस्थाओंका आकलन था कि इस पूरे वर्ष २०२०-२१ में भारतकी आर्थिक विकास दर […]