सम्पादकीय

कोरोना अप्रत्याशित घटना या दुर्घटना

मंजरी कुमारी विज्ञानका ही आविष्कार है कोरोना, यह बहुत सारे विशेषज्ञोंका मानना है। हालमें इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पतालके वरिष्ठ परामर्शदाताने भी यह स्वीकार किया है कि कोरोना मानवसृजित जैविक हथियार है। यह विचार तबतक स्वीकार्य है जबतक इस दृष्टिकोणका प्रामाणिक खंडन सामने नहीं आ जाता है। अमेरिकामें भी अनेक वैज्ञानिकों द्वारा इस विचारधाराका समर्थन किया गया […]

सम्पादकीय

जीवनकी वास्तविकता

जग्गी वासुदेव यदि कोई जीवनको ही नहीं समझता तो वह यह कैसे समझ सकता है कि मृत्यु क्या है। अभी तो जीवित हैं परन्तु यदि यह नहीं समझ पाते कि आप कहां हैं तो फिर उस बातको कैसे समझ पायंगे जो अभी होना बाकी है। मृत्यु जैसा कुछ भी नहीं है। यहां सिर्फ जीवन है। […]

सम्पादकीय

ब्रिक्स देशोंका संकल्प

वैश्विक महामारी कोरोनाके खिलाफ जंगमें ब्रिक्सके सदस्य देशोंने एक साथ लडऩेका संकल्प किया है और परस्पर सहयोगकी प्रतिबद्धता भी जतायी है। दिल्लीमें आयोजित आभासी बैठकमें सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीकाने सहभागिता की और अध्यक्षता भारतीय परराष्ट्रमंत्री एस. जयशंकरने की। इस बैठकका मुख्य एजेण्डा कोविड-१९ से उत्पन्न दिक्कतों और उसके निराकरणके लिए […]

सम्पादकीय

जैविक युद्धका दंश चीनी कोरोना

ऋतुपर्ण दवे     विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) की २०१८ की एक रिपोर्टमें जीका, इबोला और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम यानी सार्स कोरोना वायरस सरीखी एक नयी अज्ञात बीमारी डिजीज एक्सकी भी चर्चा थी। यहां ध्यान रखना होगा कि विश्व स्वास्थ्य संघटनने २०१८ में ही इसके सहित दस ऐसी वायरल बीमारियोंकी सूची भी जारी की जो महामारी […]

सम्पादकीय

इलाजपर सरकारी नियंत्रण जरूरी

विष्णुगुप्त    आखिर ट्रीटमेंट आतंकवादका प्रश्न सोशल मीडियामें चलकर आम आदमीतक क्यों और कैसे पहुंचा। आम आदमीका समर्थन क्यों हासिल किया। क्या भविष्यमें यह प्रश्न गंभीर बनकर कानून बनानेवाले शासन चलानेवाले दुनियाको दशा-दिशा देनेवाले तत्वोंको भी मथेगा। आम जनता एवं गरीब जनताको भी ट्रीटमेंट आतंकवादसे मुक्ति दिलानेके लिए समुचित और निर्णायक सहित सभी प्रकारके कदम उठानेके […]

सम्पादकीय

नाजुक अंगोंपर हमला करता है ह्वाइट फंगस

योगेश कुमार गोयल जहां रूप बदल-बदलकर कोरोना वायरस पिछले डेढ़ वर्षोंसे पूरी दुनियामें लोगोंपर कहर बरपा रहा है और लाखों लोगोंको अपना निवाला बना चुका है, वहीं भारतमें अब इस बीमारीसे ठीक होनेवाले कुछ लोगोंपर विभिन्न प्रकारके खतरे मंडरा रहे हैं। देशभरमें ब्लैक फंगसके हजारों मामले सामने आनेके बाद अब कोरोनासे उबरे मरीजोंमें ह्वïाइट फंगस, […]

सम्पादकीय

अहंकारका विसर्जन

ओशो वनके हर क्षेत्रमें सत्यके सामने ठहरना मुश्किल है और झूठके सामने झुकना सरल। ऐसी उलटबांसी क्यों है। उलटबांसी जरा भी नहीं है, सिर्फ विचारमें जरा-सी चूक हो गयी है, इसलिए ऐसा दिख रहा है। चूक बहुत छोटी है, शायद एकदमसे दिखाई न पड़े। सत्यके सामने झुकना पड़ता है, झूठके सामने झुकना ही नहीं पड़ता, […]

सम्पादकीय

चुनौतियोंके बीच सुधार

कोरोना महामारीके दौरान देशकी अर्थव्यवस्थापर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है लेकिन यह राहतकी बात है कि अप्रैल महीनेमें आठ बुनियादी उद्योगोंके उत्पादमें ५० प्रतिशतसे अधिककी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्षकी समान अवधिकी तुलनामें ५६.१ प्रतिशतकी वृद्धिका विशेष महत्व है जिसका अर्थव्यवस्थापर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह वृद्धि प्राकृतिक गैस उत्पादन बढऩे, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात और बिजली […]

सम्पादकीय

चिकित्सा तंत्रको उच्च प्राथमिकता

राजेश माहेश्वरी    पिछले एक महीनेका घटनाक्रम याद करते ही शरीरमें सिरहन-सी दौड़ जाती है। जब कोरोनासे बचनेके लिए दवाओं, इंजेक्शन और आक्सीजनकी मारामारी देशभरमें मची थी। श्मशानमें दाह संस्कार करनेके लिए परिजनोंको घंटों ही नहीं, अपितु कई दिनोंतक इन्तजार करना पड़ा। निश्चित रूपसे वह एक अप्रत्याशित और अभूतपूर्व संकट था। इस लहरमें सरकारी और प्राईवेट […]

सम्पादकीय

वर्तमान परिदृश्यमें शिक्षा

 प्रो. एस. शर्मा      जीवन बचानेके संघर्षमें सामान्य परिस्थितियोंकी प्राथमिकताएं पीछे छूट गयी हैं। लगभग डेढ़ वर्षसे वैश्विक कोरोना महामारीसे जूझते हुए मानवीय जीवन काफी आशंकित, आतंकित तथा भयभीत हो चुका है। दुनियामें असमय तथा अकारण लाखों मौतोंने जीवनकी परिभाषा बदल दी है। अपनोंको खो देनेकी पीड़ा तथा बुरी तरहसे फैले हुए मौतके तांडवने मनुष्यको आतंकित […]