सम्पादकीय

प्रो. संजय द्विवेदी

यह डिजीटल समय है, जहां सूचनाएं, संवेदनाएं, सपने-आकांक्षाएं, जिन्दगी और यहांतक कि कक्षाएं भी डिजिटल हैं। इस कठिन कोरोना कालने भारतको असलमें डिजिटल इंडिया बना दिया है। जिन्दगीका हर हिस्सा तेजीसे डिजिटल हुआ है। पढ़ाई-लिखाईके क्षेत्रमें इसका व्यापक असर हुआ है। प्राइमरीसे लेकर उच्चशिक्षा संस्थानोंने आनलाइन कक्षाओंका सहारा लेकर नये प्रतिमान रचे हैं। हमारे जैसे […]

सम्पादकीय

चेतना शक्ति

समस्त सृष्टिके मूलमें एक ही शक्ति या चेतना है, वह चेतना जब जड़ पदार्थोंसे संयोग करती है तब जीवोंके रूपमें व्यक्त होती है और जब ब्रह्मïïांडव्यापी हो जाती है तो उसे ही ब्रह्मï कहा जाता है। वस्तुत: शास्त्रोंके अनुसार जो सर्वव्यापी है वही अणुमें है जो ब्रह्मïांडमें है वह कणमें भी है। आत्मा, जिसे शरीरतक […]

सम्पादकीय

राहत पैकेज आवश्यक

कोरोना महामारीसे गम्भीर रूपसे प्रभावित देशकी अर्थव्यवस्थाको अब यथाशीघ्र ‘आक्सीजनÓ की आवश्यकता है जिससे कि अर्थव्यवस्था गतिशील हो सके। दूसरी लहरने उद्योग, कारोबारको प्रभावित करनेके साथ ही बेरोजगारीको भी बढ़ाया है। इसलिए उद्योग, कारोबार और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रोंके लिए राहत पैकेजकी जरूरत है। केन्द्र सरकारने इस दिशामें कदम आगे बढ़ाकर अच्छा संकेत दिया है। […]

सम्पादकीय

महामारीसे जंगमें चुनौतियां

डा. प्रदीप कुमार सिंह      देशमें चिकित्सा व्यवस्था या सरकार, किसीको महामारीके  भयावह रूपका पूर्वानुमान नहीं था। हर स्तरपर लापरवाही, अनुशासनहीनता, अवसरवादिता एवं स्वार्थपरक सियासतके कारण महामारी अनियंत्रित हो गयी एवं गांवोंतक फैल गयी। जांचके अभावमें ग्रामीण आकड़े प्राय: बहुत कम ही प्राप्त होते हैं। इसलिए महामारीसे संक्रमण एवं मृत्युके आकड़े, दैनिक जारी किये गये आकड़ोंसे […]

सम्पादकीय

टीकेसे ही कोरोनासे मुक्ति

आर.के. सिन्हा     कोरोनाकी काट वैक्सीनको लेकर अब भी देशमें बहुतसे खास और आम लोगोंमें डरका भाव दिखता है। वह इसे लगवानेसे बच रहे हैं। आप यह भी कह सकते हैं कि उनकी वैक्सीन लगवानेमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है। इस तरह तो देशमें कोरोनाको मात देना कठिन होगा। उल्लेखनीय है कि कोरोनाकी चपेटमें आनेके बाद […]

सम्पादकीय

लैंगिक भेदभावके पीछेका सच

आर.डी. सत्येन्द्र कुमार यह दारूण रूपसे दुखद है कि भारतका लैंगिक अनुपात बेहद लडख़ड़ा गया है और इसमें सुधारके कतई कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। पुरुषोंकी तुलनामें यहां महिलाओंकी आबादीमें भारी कमी दर्ज हुई है। फिलहाल दुनियामें पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें लिंगानुपात भारतके मुकाबले खराब है लेकिन इस स्थितिसे संतोष हासिल […]

सम्पादकीय

मनकी यंत्रणाएं

मन बहुत अद्भुत चीज है लेकिन उसमें अटक गये तो वह आपको लगातार छलता रहेगा। मनमें अटक गये तो वह लगातार छलता रहेगा। मनमें अटकनेवाला इनसान दुखी ही रहता है। कष्ट या पीड़ासे घिरे रहेंगे। आध्यात्मिक रास्तेपर विकास करनेवाला व्यक्ति गौतमको अनदेखा नहीं कर सकता क्योंकि उनकी उपस्थिति बहुत असरदार बन गयी है। उनके अपने […]

सम्पादकीय

कोरोनापर यक्ष प्रश्न

कोरोना वायरसके उत्पत्ति स्थलके यक्ष प्रश्नपर चीन एक बार पुन: सन्देहके घेरेमें फंस गया है। पहले भी यह सन्देह जताया गया था कि चीनके वुहान इंस्टीट्यूट आफ बायोलाजी प्रयोगशालामें प्राणघातक कोरोना वायरसको विकसित किया गया था। इस बार अमेरिकी समाचार-पत्र वाल स्ट्रीट जर्नलने अमेरिकी खुफिया रिपोर्टके हवालेसे दावा किया है कि काफी पहले नवम्बर, २०१९ […]

सम्पादकीय

अदृश्य शत्रुसे सजगता जरूरी

राजेश माहेश्वरी  देशभरसे कोरोनाकी दूसरी लहरकी जो खबरें प्रकाशमें आ रही हैं, उनके अनुसार संक्रमणकी दरमें काफी गिरावट आयी है। रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। पूरे देशके लिए यह काफी राहतकी बात है। रिकवरी रेट बढऩे और नये केस कम आनेपर सर्तकता और सजगताको भूलना फिरसे भारी पड़ सकता है। लेकिन देखा जाय तो […]

सम्पादकीय

सत्य ज्ञानकी प्राप्तिसे बोधदृष्टिï जागृत

योगेश कुमार गोयल वैशाख मासकी पूर्णिमाको बुद्ध पूर्णिमाके रूपमें मनाया जाता है। वैशाख मासकी पूर्णिमाको गौतम बुद्धका जन्म हुआ और उन्होंने बोधिवृक्षके नीचे बुद्धत्व प्राप्त किया। यही वजह है कि बुद्ध पूर्णिमाको पवित्र दिन माना गया है। मान्यता है कि गौतम बुद्धने ही आजसे करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व बौद्ध धर्मकी स्थापना की थी। गौतम […]