सम्पादकीय

जीवन मूल प्रवृत्तिसे सकारात्मकताका भाव

डा. जगदीश सिंह दीक्षित आज जिस तरहसे कोरोना वायरससे उत्पन्न हुई महामारीके कारण पूरी मानवता खतरेमें पड़ गयी है, उसे देखकर लोगोंका मन काफी विचलित हो रहा है। लोगोंमें इसके बढ़ते प्रभाव और उससे उत्पन्न खतरेके कारण स्वाभाविक रूपसे भय और मानसिक तनावकी स्थिति उत्पन्न हो रही है। कुछ लोगोंका आत्मविश्वास मजबूत है और उनमें […]

सम्पादकीय

दृष्टिकोण

 जग्गी वासुदेव इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कैसी परिस्थितिमें हैं, आप या तो उसे अपना वरदान बना सकते हैं या उसे अपना अभिशाप बना सकते हैं। सबसे भयानक परिस्थितियां भी एक इनसानका निर्माण कर सकती हैं। दूसरे विश्वयुद्धकी एक खास घटना है। १३ सालकी एक लड़की थी। जब हिटलर यहूदी लोगोंको ढूंढ़कर उन्हें […]

सम्पादकीय

चीनकी कुदृष्टि

पूरे विश्वमें कोरोना महामारी फैलानेवाले चीनका भारतके प्रति पहलेसे ही कुटिल रवैया रहा है और अब उसकी कुदृष्टिï अरुणाचल और सिक्कमके सीमावर्ती क्षेत्रोंपर लगी हुई है। अपनी विस्तारवादी नीतिके तहत वह कभी भी कोई खुराफात कर सकता है, इसकी आशंका बनी हुई है। इसीलिए सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणेने अरुणाचल प्रदेश सेक्टरसे लगी उत्तरी सीमापर […]

सम्पादकीय

तालाबंदीसे आर्थिक विकास प्रभावित

डा. भरत झुनझुनवाला   फ्रैंकफर्ट स्कूल आफ फाइनांसने एक अध्ययनमें बताया कि यदि लाकडाउन नहीं लगाया जाता है तो मृत्यु अधिक संख्यामें होती है, कार्य करनेवाले लोगोंकी संख्यामें गिरावट आती है और आर्थिक विकास प्रभावित होता है। इसके विपरीत यदि लाकडाउन लगाया जाता है तो सीधे आर्थिक गतिविधियोंपर ब्रेक लगता है और पुन: आर्थिक विकास प्रभावित […]

सम्पादकीय

कोरोनाके कहरसे अनभिज्ञ ग्रामीण

ऋतुपर्ण दव देशमें स्वास्थ्य सुविधाओंकी खासकर गांवोंकी पूरी असलियत पता तो थी लेकिन समझ अब आयी। इससे पहले कभी किसीने सोचा भी नहीं होगा कि कोरोनाके चलते वह दौर भी आयगा जब एक-एक सांसके लाले पड़ जायंगे। इतना ही नहीं, गांवोंमें जब चिता सजाने एवं अंतिम संस्कारके लिए भी संसाधन कम पडऩे लगे तो मजबूरीमें […]

सम्पादकीय

‘ताउते’ के बाद ‘यश’ की आफत

प्रभुनाथ शुक्ल तूफान शब्दकी आशंका और उसकी कल्पना मात्रसे इनसान भय और डरसे सिहर उठता है। इतनी बड़ी आबादी जब कभी तूफानोंका सामना करती है तो उसपर क्या गुजरती होगी। समुद्र तटीय इलाकोंमें यह खतरा अक्सर बना रहता है। भारतमें अरब सागर और बंगालकी खाड़ीमें कम दबाबका क्षेत्र अक्सर बनता है। जिसकी वजहसे समुद्र तटीय […]

सम्पादकीय

क्षमा

अनुराग हमें हमेशासे बताया गया है कि क्षमा करना मनुष्यकी एक महान विशेषता है। हमें किसीके प्रति वैर भाव न रखते हुए उस व्यक्तिको भी क्षमा कर देना चाहिए जिसने हमें हानि पहुंचानेकी कोशिश की हो। क्षमा करनेवाला व्यक्ति गलती करनेवालेसे बड़ा होता है। प्रश्न है कि क्या क्षमा करनेवाले व्यक्तिको बड़ा बताना उसके अहंकारको […]

सम्पादकीय

अक्षम्य लापरवाही

देशमें कोरोनाके खिलाफ मजबूत जंग जारी है। संक्रमण अवश्य कम हुआ है लेकिन खतरा पूर्ववत है। इसलिए जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है। साथ ही केन्द्र सरकारने बचावके लिए जो दिशा-निर्देश जारी किया है उसका भी कड़ाईसे अनुपालन आवश्यक है। सामाजिक दूरीके साथ मास्क पहननेकी अनिवार्यता बचावके लिए बहुत जरूरी है लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने जो […]

सम्पादकीय

चिन्ताका सबब बनता ब्लैक फंगस

योगेश कुमार गोयल    कोरोनापर जीत दर्ज कर चुके सैंकड़ों लोग ब्लैक फंगसके शिकार हो रहे हैं, जिनमेंसे कुछकी आंखोंकी रोशनी चली गयी है तो कुछकी मौत हो गयी। हरियाणामें तो सरकार द्वारा अब इसे अधिसूचित रोग घोषित कर दिया गया है। दरअसल ब्लैक फंगस शरीरमें बहुत तेजीसे फैलता है, जिससे आंखोंकी रोशनी चली जाती है […]

सम्पादकीय

टीकाकरणकी गति बढ़ानी होगी

डा. श्रीनाथ सहाय     विशेषज्ञ तीसरी लहरकी आशंका जता चुके हैं। ऐसेमें कोरोनासे बचावके लिए टीकेको कारगर माना जा रहा है। टीका लगानेके बाद व्यक्तिके शरीरमें वायरससे लडऩेकी क्षमता बढ़ जाती है। दुनियाभरमें कोरोना वैक्सीनका सबसे बड़ा निर्माता होनेके बाद भी भारतमें वैक्सीनेशनकी स्पीड काफी धीमी है। अमेरिकी राष्टï्रपतिके चिकित्सा सलाहकार एवं विश्व विख्यात महामारी विशेषज्ञ […]