सम्पादकीय

जागरूकतासे कुप्रथाका अन्त

रमेश सर्राफ धमोरा      देशमें अक्षय तृतीयापर हर वर्ष हजारोंकी संख्यामें बाल विवाह किये जाते हैं। कोरोना संकटको लेकर देशमें चल रहे लाकडाउनके कारण हर जगह पुलिस प्रशासनकी व्यवस्था चाक-चौबंद होनेके चलते इस बार अक्षय तृतीयापर बाल विवाह होनेकी संभावना बहुत कम लगती है। राजस्थान सरकारने तो कोरोना संकटको देखते हुए आगामी ३१ मईतक बिना इजाजत […]

सम्पादकीय

प्रवासी श्रमिकोंकी बढ़ती मुश्किलें

डा. वरिंदर भाटिया प्रधान मंत्रीने राष्ट्रको संबोधित करते हुए कहा था कि राज्य प्रवासी मजदूरोंका भरोसा जगाये रखें और उनसे आग्रह करें कि वह जहां हैं, वहीं रहें। लेकिन जमीनी वास्तविकता यह है कि देशमें कोरोनाके बढ़ते कहर और लाकडाउनकी आशंकासे परेशान प्रवासी मजदूर एक बार सामाजिक सुरक्षाकी कमजोरीके कारण फिर पलायन कर रहे हैं। […]

सम्पादकीय

श्रेष्ठ चरित्र 

राजेन्द्र एक दिन एक जज साहब अपनी कारसे अदालत जा रहे थे। रास्तेमें उन्होंने देखा कि एक कुत्ता नालीमें फंसा हुआ है। वह बुरी तरह छटपटा रहा है। उसमें बाहर निकलनेकी छटपटाहट है, किन्तु प्रतीक्षा भी है कि कोई आ जाय और बाहर निकाल दे। जज साहबने तुरन्त कार रुकवाई और पहुंच गये उस कुत्तेके […]

सम्पादकीय

राहतके बीच चिन्ता भी

देशमें कोरोना संक्रमणमें गिरावटकी प्रवृत्ति और संक्रमितोंसे अधिक स्वस्थ होनेवालोंकी संख्यामें वृद्धि निश्चित रूपसे बड़ी राहतका संकेत है लेकिन मृतकोंकी संख्यामें वृद्धि गम्भीर चिन्ताका विषय है। मंगलवारको ४०२५ मरीजोंकी मृत्युसे चिन्ताका बढऩा स्वाभाविक है। विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्लूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथनने भारतमें मृतकोंकी मौजूदा स्थितिका उल्लेख करते हुए यह भी संकेत किया है […]

सम्पादकीय

  सामाजिक दूरी ही सर्वोच्च प्राथमिकता

 राजेश माहेश्वरी     चिकित्सक, वैज्ञानिक और शोधकर्ता कोरोनापर काबू पानेकी दिशामें दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन अभीतक सफलता हाथ नहीं लग पायी है। इन सबके बीच यह समाचार भी सामने आया है कि कोरोनाकी तीसरी लहर आना भी तय है। कोरोनाकी तीसरी लहरके खबरसे पहलेसे ही चिंतामें डूबे देशवासियोंकी परेशानी और बढ़ गयी है। तीसरी लहरकी बात […]

सम्पादकीय

महामारीको व्यवसाय न बनायें

सुखदेव सिंह   कोरोना वायरसकी दूसरी लहर शुरू होनेपर मानवता भी शर्मसार होकर रह गयी है। लोग संक्रामक रोगसे पीडि़त व्यक्तियोंके साथ बहुत ही गलत व्यवहार कर रहे हैं। यही नहीं, कोरोना वायरसकी वजहसे मरनेवालोंके साथ पशुओंसे भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाय तो जागरूकताकी बजाय जनताको भयभीत किये जानेकी अधिक […]

सम्पादकीय

कोरोनाकी रामबाण दवा नहीं रेमडेसिविर योगेश कुमार गोयल

कोरोनाकी दूसरी लहर भारतमें इतना भयानक रूप धारण कर चुकी है कि पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्टको कहनेपर विवश होना पड़ा कि यह दूसरी लहर नहीं, बल्कि सुनामी है और यदि हालात ऐसे ही चलते रहे तो अनुमान लगाये जा रहे हैं कि अगले कुछ महीनोंके भीतर मौतोंका कुल आंकड़ा कई लाखोंमें पहुंच सकता है। इन […]

सम्पादकीय

कार्यशील पूंजीके तहत कृषि निर्यात

डा. जयंतीलाल भंडारी     कोरोना महामारीने अकल्पनीय मानवीय और आर्थिक आपदाएं निर्मित की हैं, लेकिन इन आपदाओंके बीच भारतने वैश्विक स्तरपर खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओंको पूरा करनेके मद्देनजर कृषि उत्पादोंके निर्यात बढ़ानेका अवसर मु_ियोंमें लिया है। इतना ही नहीं, भारत दुनियामें खाद्य पदार्थोंकी आपूर्ति हेतु एक सुसंगत और विश्वसनीय निर्यातक देशके रूपमें उभरकर सामने आया है। हालमें […]

सम्पादकीय

स्वास्थ्य सेवाओंमें सुदृढ़ नर्स

योगेश कुमार सोनी   पिछले वर्ष इंटरनेशनल नर्स-डे २०२० की थीमको नर्सिंग द वल्र्ड टू हेल्थ जो विश्व स्तरपर नर्सोंकी भूमिकाको मद्देनजर रखते हुए बनायी गयी थी। पूरी दुनियाके नर्सिंग स्टाफमें ९२ प्रतिशत महिला एवं आठ प्रतिशत पुरुष हैं। नर्सोंका योगदान हमेशासे सराहनीय रहा है लेकिन कोरोना कालमें दुनियाने इस पेशेकी ताकत, हौसले एवं मेहनतको बखूबी […]

सम्पादकीय

समावेशी विकाससे समृद्ध राष्ट्रका निर्माण

 डा. जीतेन्द्र कुमार डेहरिया आज हम कोरोनाके उस दौरसे गुजर रहे हैं, जहां अर्थव्यवस्थाका हर क्षेत्र गम्भीर रूपसे प्रभावित हुआ है। जिसका सम्पूर्ण मानव जीवनपर कई रूपोंमें गम्भीर असर पड़ा है और विशेष रूपसे आम आदमीपर जिसे हम न आंकड़ोंमें और न शब्दोंमें व्यक्त कर सकते हैं। आज जीवनकी सभी आशाएं और आकांक्षाएं धीर-धीरे खत्म […]