सम्पादकीय

इसराइली दूतावासपर बम धमाकेके संकेत

रामानुयायी मंजू राजधानी दिल्ली स्थित इसरायली दूतावासके निकट हुए बम विस्फोटसे भारतके अंदर पुन: आतंककी आहट महसूस होने लगी है। २९ जनवरीको दूतावाससे कुछ दूरीपर स्थित कार पार्किंगके पास एक धमाकेदार विस्फोट हुआ। इस कारण वहां खड़ी अनेक कारें क्षतिग्रस्त हो गयीं। राष्ट्रका सौभाग्य था जो इस विस्फोटमें किसीकी जान नहीं गयी। इस अप्रत्याशित और […]

सम्पादकीय

एकाग्रता

वी.के. जायसवाल ईश्वर द्वारा बनायी गयी यह प्राकृतिक दुनिया कुछ इस प्रकारसे रचित है जिसके कण-कणमें उच्चकोटिका विज्ञान समाया हुआ है यही कारण है कि वैज्ञानिक इस दुनियासे दिन-प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखते रहते हैं और नये-नये तरहके शोधोंको संपन्न करते रहते है। प्रत्येक शोधका संबंध आनंदकी अनुभूतिसे संबंधित होता है जिसके लिए एकाग्रताका महत्वपूर्ण […]

सम्पादकीय

म्यांमारमें तख्तापलट

म्यांमारमें दस साल पूर्व अपनायी गयी लोकतांत्रिक प्रणालीको दरकिनार कर एक बार फिर सैन्य शासनकी वापसी अत्यन्त चिन्ताका विषय है। म्यांमारकी सेनाने सोमवारको लोकतांत्रिक ढंगसे चुनी गयी सरकारका तख्तापलट कर एक वर्षके आपातकालके तहत देशकी सत्ताको अपने नियंत्रणमें कर लिया है। साथ ही देशकी सर्वोच्च नेता स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्टï्रपति यू […]

सम्पादकीय

समग्र राष्ट्र निर्माणका बजट

अवधेश कुमार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने २०२१-२२ का बजट प्रस्तुत करते हुए गुरु रविंद्र नाथ टैगोरकी यह पंक्ति सुनायी, उम्मीद ऐसी चिडिय़ा है जो अंधेरेमें भी चहचहाती है। देशके समक्ष समस्याएं और चुनौतियां जितनी गहरी है उनका वास्तविक मूल्यांकन कर उनसे निबटने और सामना करनेके लिए साहसपूर्ण व्यावहारिक प्रभावी कदम उठानेका जोखिम ले। क्या मोदी-दो सरकारके […]

सम्पादकीय

धमाकोंकी विस्तृत जांच जरूरी

राजेश माहेश्वरी गणतंत्र दिवससे जुड़े कार्यक्रमों और किसान आन्दोलनके मद्देनजर राजधानीमें सुरक्षाके सख्त बंदोबस्तके बीच इसरायली दूतावासके पास २९ जनवरीको हुए बम धमाके सुरक्षा व्यवस्थाकी पोल खोलनेके लिए काफी हैं। ये ब्लास्ट भारत और इसरायल राजनयिक संबंधकी २९वीं वर्षगांठपर हुआ है। ऐसेमें इस धमाकेका संबंध अंतरराष्टï्रीय राजनीति और हमारी विदेश नीतिसे सीधे तौरपर जुड़ जाता […]

सम्पादकीय

देशकी अर्थव्यवस्थाको आक्सीजन देनेवाला बजट

योगेश कुमार गोयल केन्द्र सरकारके मौजूदा कार्यकालका तीसरा बजट कोरोना महामारीके बीच देशका पहला आम बजट था, जो बतौर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणका तीसरा बजट था। कुल ३४८३२३६ करोड़ रुपयेके खर्चेका यह बजट ऐसे समयमें पेश किया गया, जब देशकी आजादीके बाद भारत पहली बार अधिकारिक तौरपर आर्थिक मंदीके दौरसे गुजर रहा है। २०२१-२२ का यह […]

सम्पादकीय

  योग और ध्यान

श्रीश्री रविशंकर  मानसिक स्वास्थ्य आज पृथ्वीपर सबसे बड़े मुद्दोंमेंसे एक बन गया है। वर्तमान समयमें संसारभरमें कोरोना महामारी फैली है और जनता लॉकडाउनमें हैं तथा ऐसेमें लोगोंके दिल और दिमागमें बहुत चिंता है। इससे बच निकलनेका निश्चित रूपसे सबसे अच्छा समाधान योग और ध्यान है। यह अति आवश्यक है और मैं तो कहूंगा कि आज […]

सम्पादकीय

जीतकी ओर जंग

वैश्विक महामारी कोरोना वायरसके खिलाफ मजबूत और प्रभावी लड़ाईमें भारत अब जंग जीतनेकी ओर तेजीसे अग्रसर है। सबसे सुखद और राहतकारी तथ्य यह है कि भारतमें कोरोना संक्रमणकी स्थितिमें तेजीसे सुधार हो रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने दावा किया है कि ९७ प्रतिशत लोगोंने कोरोना वायरसको पराजित कर वियजश्री प्राप्त की है। कोरोनासे ठीक होनेवालोंका […]

सम्पादकीय

आन्दोलनका हिंसक स्वरूप

अवधेश कुमार गणतंत्र दिवसपर हुई अराजकताको किसी भी परिस्थितिमें सही नहीं ठहराया जा सकता। पूरा देश जानता है कि गणतंत्र दिवसके अवसरपर ट्रैक्टर परेड न निकालनेके लिए सरकारने अपील की, दिल्ली पुलिसने भी कई प्रकारके कारण बतायें जिनके आधारपर कहा गया कि आप कृपया रैली न निकालें, अनेक बुद्धिजीवियोंने ट्रैक्टर परेडको अनुचित करार दिया। बावजूद […]

सम्पादकीय

गांधीकी दृष्टिमें पर्यावरण संरक्षण

डा. धनंजय सहाय महात्मा गांधीने जिन समस्याओंसे हमें अवगत कराया था उनपर स्वतन्त्र भारतमें सत्तानशीं होनेवाली सरकारोंने ईमानदारीसे अमल नहीं किया। यही कारण है कि स्वच्छता जैसे मसलेपर आजादीके लगभग सात दशकों बाद मोदी सरकारको अभियान चलाना पड़ा। पर्यावरण प्रदूषण मुद्दा अत्यन्त गम्भीर है। इसपर गांधीजीके विचार अत्यन्त प्रासंगिक हैं। इस बातमें कोई सन्देह नहीं […]