सम्पादकीय

दीन जानि तेहि अभय करीजे

सुखी भारती भगवान श्रीरामजी स्नेह देखकर हनुमानजीके हृदयमें हर्ष एवं उल्लासकी लहर दौड़ पड़ी। हनुमानजीको भी लग रहा था मानो श्रीराम जीने उन्हें गोदमें उठा लिया हो। हनुमानजीने भी देखा कि आज प्रभु भी एक पिता समान मेरे अनुकूल हैं- देखि पवनसुत पति अनुकूला। हृदयं हरष बीती सब सूला॥ प्रभु अनुकूल हों तो हृदयकी पीड़ा […]

सम्पादकीय

सद्गुरुकी महिमा

बाबा हरदेव एक-एक धड़कन उसकी अपनी है। जरा-सी आंच भी उसको आती है, तो उसको पीड़ा शुरू हो जाती है। वह एक निष्काम भावसे की हुई देखभाल है। वह निष्काम भावसे किया हुआ प्रेम है। इसी तरहसे इस प्रभुके साथ भी यह भक्त निष्काम भावसे प्रेम करता है और कोई कामना रखे बिना करता है। […]

Latest News उत्तर प्रदेश लखनऊ सम्पादकीय

अफवाहोंसे बचें , टीकाकरणके लिए अपनी बारीका करें इंतजार-योगी

लखनऊ (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को बलरामपुर अस्पताल का दौरा किया और उन स्वास्थ्यकर्मियों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना जिन्हें आज कोविड-19 का टीका लगाया गया। इस मौके पर उन्होंने लोगों से अफवाहों से बचने और टीका लगवाने के लिये अपनी बारी का इंतजार करने को कहा। उन्होंने कहा […]

सम्पादकीय

टीकाकरण अभियान

प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदीने शनिवारको कोविड-१९ के खिलाफ भारतके टीकाकरण अभियानकी शुरुआत की और इस दौरान कहा कि यह विश्वका सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है। यह भारतके सामथ्र्यको दर्शाता है। टीकाकरण अभियानकी शुरुआतसे पहले वीडियो कांफ्रेंसके माध्यमसे राष्ट्रके नाम अपने सम्बोधनमें प्रधान मन्त्रीने कहा कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञोंके ‘मेड इन इण्डिया’ टीकोंकी सुरक्षाके प्रति आश्वस्त […]

सम्पादकीय

कृषिके नामपर जल बर्बादी अक्षम्य

डा. भरत झुनझुनवाला सात आईआईटीके समूहको पर्यावरण मंत्रालयने गंगा नदीके प्रबंधनका प्लान बनानेका काम दिया था। आईआईटीके समूहने कहा कि यदि हमारी नदियां सही स्थितिमें है तो हम मान सकते हैं कि सारा पर्यावरण संतुलनमें है। भूमि, वायु और पानी तीनोंका संबंध नदीसे होता है। दूसरा प्रश्न उठता है कि नदीके स्वास्थ्यका मूल्यांकन कैसे करें […]

सम्पादकीय

उदात्त नहीं था नौटंकीका हास्य

हृदयनारायण दीक्षित भारत उत्सव प्रिय देश है। सतत् कर्म यहां जीवन साधना है। पूरे वर्ष कर्म प्रधान जीवन और बीच-बीचमें पर्व-त्योहार और उत्सवोंका आनन्द। भारतके मनका उत्स सांस्कृतिक है। उत्सका अर्थ है केन्द्र। उत्सव परिधि है। भारतीय उत्सव-उल्लासधर्मा होते हैं। वे भारतके लोकको भीतर और बाहरतक आच्छादित करते हैं। मकर संक्रान्तिका उत्सव अभी समाप्त हुआ […]

सम्पादकीय

आन्दोलनकारियोंके विरोधका औचित्य

डा. अजय कुमार मिश्र किसान बिलोंपर लगातार बढ़ते गतिरोधके मद्देनजर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गयी कमेटीसे भी किसान संघटन सहमत नहीं हैं। मूल रूपसे पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेशके किसान इस बिलका विरोध कर रहे हैं। पंजाबके किसान इस संघटनको लीड कर रहे हैं। अबतक ४० से अधिक किसानोंकी मौत भी हो चुकी […]

सम्पादकीय

ध्यानसे लाभ

सदानन्द शास्त्री मेडिटेशन अर्थात ध्यान। ध्यान करना बहुत ही सरल है। मात्र पांच मिनटका ध्यान चमत्कारिक लाभ दे सकता है। ध्यानके कई अर्थ है। ध्यानका मूल अर्थ है जागरूकता, अवेयरनेस, होश, साक्षी भाव और दृष्टा भाव। विचारोंपर नियंत्रण है ध्यान। लेकिन ध्यानका अर्थ स्मरण और एकाग्रताको भी माना जाता है। सही मायनेमें ध्यानसे आप रिफ्रेश […]

सम्पादकीय

शुद्ध जलका अधिकार

जल ही जीवन है और जलके अभावमें जीवनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है लेकिन दुर्भाग्यकी बात यह है कि शुद्ध जल आज जन-सामान्यको सुलभ नहीं है। प्रदूषित जल ग्रहण करना मानवकी विवशता बन गयी है। इससे आम जीवनपर संकट बढ़ गया है क्योंकि जलजनित बीमारियोंका दंश निरन्तर बढ़ता जा रहा है। इस सन्दर्भमें […]

सम्पादकीय

सर्वोच्च न्यायालयका सकारात्मक पहल

विजयनारायण भारत सरकार तीनों किसान कानूनोंके विभिन्न पहलुओंपर किसान संघटनोंके नेताओंको बुलाकर सलाह-मशविरा कर सकती थी। किन्तु उसने ऐसा नहीं किया। तीनों ही कृषि विधेयक संसदके विगत सत्रमें हड़बड़ीमें पारित करा दिये गये। लोकसभामें पारित करानेके बाद विधेयकोंको राज्यसभामें उस समय पेश किया गया जब सत्र समाप्त हो रहा था। राज्यसभामें भारी हंगामा हुआ किन्तु […]