विष्णुगुप्त चीनमें जनताकी सहभागिता होती ही नहीं है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती नहीं है। मानवाधिकार की बात करने वाले लोग मार दिये जाते है या फिर अनंतकालतक जेलोंमें डाल दिये जाते हैं। वहांकी जेलें घोर अमानवीय होती हैं। एक रिपोर्टमें कहा गया है कि चीन उईगर मुसलमानोंका जनसांख्यिकीय नरसंहार कर रहा है। जनसांख्यिकीय नरसंहारके लिए […]
सम्पादकीय
उपलब्धियोंके साथ बढ़ती दोस्तीके. जे. थामस
विश्वमें ऐसा कोई द्विपक्षीय रिश्ता नहीं है जो इतना व्यापक, जटिल और गुणात्मक तौरपर समृद्ध हो, जितना कि अमेरिका और भारतका है। हम रक्षा, आतंकवादसे मुकाबले, साइबर सुरक्षा, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कृषि, अंतरिक्ष और बहुत-से अन्य क्षेत्रोंमें आपसी सहयोग कर रहे हैं। पिछले दो दशकोंके दौरान जहां हमारी रणनीतिक […]
भीतरका ज्ञान
ओशो एक ज्ञान है, जो भर तो देता है मनको बहुत जानकारीसे लेकिन हृदयको शून्य नहीं करता। एक ज्ञान है, जो मन भरता नहीं, खाली करता है। हृदयको शून्यका मंदिर बनाता है। एक ज्ञान है, जो सीखनेसे मिलता है और एक ज्ञान है जो बिना सीखनेसे मिलता है। जो सीखनेसे मिले, वह कूड़ा-करकट है। जो […]
निष्पक्षताकी जीत
नये कृषि कानूनोंके खिलाफ किसानोंके आन्दोलनके ४८वें दिन सर्वोच्च न्यायालयने मंगलवारको एक बड़ा कदम उठाते हुए तीनों कानूनोंपर अगले आदेशतक रोक लगानेके साथ ही इन कानूनोंपर नये सिरेसे चर्चाके लिए एक समिति बनानेकी भी घोषणा की है, जो न केवल स्वागतयोग्य है अपितु समाधानकी ओर बढऩेका एक सकारात्मक कदम भी है। शीर्ष न्यायालयने सख्ती दिखाते […]
आन्दोलनसे गायब वास्तविक मुद्दे
अवधेश कुमार आठवें दौरकी बातचीतमें सरकारकी ओरसे स्पष्ट कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा। सरकारकी ओरसे वार्तामें शामिल ४० संघटनोंके नेताओंसे तीन बातें कहीं गयी। एक, आपलोग कृषि कानूनके विरोधमें है लेकिन काफी लोग समर्थनमें हैं। दो, आप देशहितका ध्यान रखकर निर्णय करें और तीसरी यह कि आपके पास कानूनोंकी वापसीका कोई […]
विराट चिन्तनमें जीवनपद्धति
डा. अजय खेमरिया वामपंथी विचारधारासे प्रभावित प्रोफेसर ज्योतिर्मय शर्माने अपनी पुस्तकमें दावा किया है कि विवेकानन्दका चिंतन अतिशय हिंदुत्वपर अबलंबित है जबकि उनके गुरु रामकृष्ण परमहंसके जीवनमें कहीं भी यह शब्द सुनायी नहीं देता है। लेखकने अपने विवेचनमें इस बातको लेकर भी विवेकानन्दकी आलोचनाके स्वर मुखर किये है कि उन्होंने हिन्दुत्वको वैश्विक उपासना पद्धतिके तौरपर […]
जब भारतकी सुरक्षाको सर्वोपरि रखा गया
अभिनय आकाश सत्ताके लिए नैतिकताके मूल्य जानबूझकर तोड़े गये, भाषाकी मर्यादा भी टूटती रही। महाभारत क्या है। सत्ताके लिए निरन्तर टूटती मर्यादाएं। महाभारतके युद्धके वक्त तमाम तरहके कायदे तय हुए थे जैसे सूर्यास्तके बाद कोई शस्त्र नहीं उठायेगा, स्त्रियों, बच्चों और निहत्थोंपर कोई वार नहीं करेगा। महाभारत तो परम्पराओंकी कहानी है लेकिन हिन्दुस्तानकी सबसे बड़ी […]
आनन्दकी अनुभूति
श्रीराम शर्मा भगवानके अनगिनत नाम हैं, उनमेंसे एक नाम है सच्चिदानंद। सत्ïका अर्थ है टिकाऊ अर्थात न बदलने, न समाप्त होनेवाला। इस कसौटीपर केवल परब्रह्मï ही खरा उतरता है। उसका नियम, अनुशासन, विधान एवं प्रयास सुस्थिर है। सृष्टिके मूलमें वही है। परिवर्तनोंका सूत्र संचालक भी वही है। इसलिए परब्रह्मïको सत्ï कहा गया है। चितका अर्थ […]
शीर्ष न्यायालयकी नाराजगी
नये कृषि कानूनोंके खिलाफ पिछले ४७ दिनोंसे चल रहे किसानोंके प्रदर्शनसे सम्बन्धित याचिकाओंपर सोमवारको सुनवाईके दौरान सर्वोच्च न्यायालयने नाराजगी जताते हुए न केवल तल्ख टिप्पणी की, अपितु सरकार और किसान संघटनोंको भी कटघरेमें खड़ा कर दिया है। कोरोना और बर्ड फ्लू संकटके साथ ही कड़ाकेकी ठण्डमें किसानोंके प्रदर्शनको लेकर सर्वोच्च न्यायालयने जो बातें रखी हैं […]