सम्पादकीय

फलकी प्रतिभूति है प्रतीक्षा

हृदयनारायण दीक्षित   प्रतीक्षा अस्तित्वपर विश्वास है। वर्तमान परिस्थितिसे प्राय: सभी पीडि़त-व्यथित रहते हैं। अच्छे दिन आनेकी पुलक होती है। प्रकृति जड़ नहीं है। प्रकृतिका प्रत्येक अंश गतिशील है। यह गतिशीलता ऋजु- सीधा मार्ग नहीं अपनाती। यह चक्रीय है। पूर्वजोंने संभवत: इसीलिए कालगतिके प्रतीकको चक्र कहा है। इस चक्रीय गतिका अंत एवं प्रारम्भ एक ही होते […]

सम्पादकीय

विवेकानंदके समसामयिक विचार

 अरविंद जयतिलक भारतीय समाज और राष्ट्रके जीवनमें नवीन प्राणोंका संचार करनेवाले स्वामी विवेकानंद जीकी आज पुण्यतिथि है। उनका जीवन जितना रोमांचकारी रहा उतना ही प्रेरणादायक भी। उन्होंने अपने विचारोंसे अतीतके अधिष्ठानपर वर्तमान और भविष्यका बीजारोपण कर देशकी आत्माको चैतन्यतासे भर दिया। स्वामी जीका उदय ऐसे समयमें हुआ जिस समय भारतके सामाजिक पुनरुत्थानके लिए राजाराम मोहन […]

सम्पादकीय

महासमाधि

जग्गी वासुदेव  आप जब अलग-अलग तरहके विचारों और भावनाओंसे गुजरते हैं तो आपकी सांसकी बनावट अलग-अलग तरहकी होती है। जब क्रोधित होते हैं तो एक तरीकेसे सांस लेते हैं। यदि शांत होते हैं तो दूसरे तरीकेसे सांस लेते हैं। यदि बहुत खुश होते हैं तो दूसरे तरीकेसे सांस लेते हैं। यदि दुखी होते हैं तो […]

सम्पादकीय

फिर ड्रोन हमलेकी साजिश

पाकिस्तानने फिर दुस्साहस करते हुए शुक्रवारको भोरमें जम्मू-कश्मीरके अरनिया सेक्टरमें अन्तरराष्टï्रीय सीमाके पास ड्रोनसे हमलेकी साजिश की थी, जिसे सीमा सुरक्षा बलके जवानोंने विफल कर दिया। यह घटना प्रात: साढ़े चार बजेकी है। पाकिस्तानी ड्रोन अन्तरराष्टï्रीय सीमा पार करनेकी कोशिश कर रहा था लेकिन भारतीय जवानोंने तत्काल फायरिंग कर उसे भगा दिया। जम्मू एयर फोर्स […]

सम्पादकीय

सुप्रीम कोर्टके फैसलेपर होगी नजर

अवधेश कुमार    पिछले वर्ष हुए दिल्ली दंगोंपर तत्काल कोई फैसला या अंतिम मंतव्य न देते हुए भी शीर्ष न्यायालयने कहा है कि उच्च न्यायालयके फैसलेको देशके किसी भी न्यायालयमें नजीर न माना जाय। पूरा मामला गैर-कानूनी रोकथाम कानून यानी यूएपीएसे जुड़ा है और उच्च न्यायालयने इसपर भी टिप्पणियां की है। शीर्ष न्यायालय द्वारा ऐसा कहनेके […]

सम्पादकीय

सिकुड़ते जंगलसे संकटमें सभ्यता

अनिल जैन       पानीके संकटको स्पष्ट तौरपर दुनियाभरमें महसूस किया जा रहा है और विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगला विश्व युद्ध यदि हुआ तो वह पानीको लेकर ही होगा। जिस तेजीसे पानीका संकट विकराल रूप लेता जा रहा है, कमोबेश उसी तेजीसे जंगलोंका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है। जब मनुष्यने जंगलोंको काटकर बस्तियां […]

सम्पादकीय

चिकित्सा पद्धतिका गौरवशाली इतिहास

 प्रताप सिंह विश्वभरमें मौतका कहर मचानेवाली कोरोना महामारीके भयंकर एवं डरावने माहौलमें कोरोना संक्रमणके चक्रव्यूहमें अपनी जानकी परवाह किये बिना बेखौफ होकर घुसनेका साहस यदि किसीने किया तो वह अग्रदूत हमारे डाक्टर हैं। कोरोनासे उपजी लाकडाउन जैसी बंदिशोंमें भी चिकित्साकर्मी कोरोना संक्रमित मरीजोंके इलाजमें मुस्तैद थे। आजके आधुनिक दौरमें कई बीमारियोंका पता लगानेवाले उपकरण एवं […]

सम्पादकीय

गुणवत्ता

ओशो  यह संसार पुरुषों और महिलाओं दोनोंसे मिलकर बना है और इस संसारको खुबसूरत और श्रेष्ठ बनानेके लिए दोनोंका साथ रहना जरूरी है। दुनियाभरमें यदि सभी औरतोंको अपनी क्षमता विकसित करनेकी आजादी मिल जाय तो यहां बहुत सारी महिलाएं विदुषी, संत, कवि और चित्रकार होंगी। वह औरतें न केवल दुनियामें महिलाओंके विकासमें साझेदारी बढ़ायंगी, बल्कि […]

सम्पादकीय

गांवोंमें ब्राडबैण्ड

भारत गांवोंका देश है, जहां देशकी सर्वाधिक आबादी रहती है लेकिन उन्हें अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। देशकी अर्थव्यवस्थाका मूल आधार ग्रामीण भारत ही है। भारतमें कुल छह लाख ४९ हजार ४८१ गांव हैं, जिनमें सबसे अधिक एक लाख सात हजार ७५३ गांव उत्तर प्रदेशमें है जबकि सबसे कम १३ गांव चण्डीगढ़में हैं। बिहारमें […]

सम्पादकीय

परिसीमनसे बदलेगी तस्वीर

आशीष वशिष्ठ     केंद्र सरकारनेने २४ जूनको सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। जम्मू-कश्मीरकी विभिन्न पार्टियोंके नेताओंकी बैठकके बाद फारुख और उमर अब्दुल्ला दोनोंने बादमें कहा कि ३७० पर सर्वोच्च न्यायालयका जो भी फैसला होगा, वह उसे मान्य करेंगे। महबूबा मुफ्तीने जरूर तीखे तेवर दिखलाये लेकिन किसीका समर्थन नहीं मिलनेसे वह अलग-थलग पड़ गयीं। विशेष तौरसे पाकिस्तानसे बात […]