सम्पादकीय

रोगमुक्त बनाती आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति

डा. प्रदीप कुमार सिंह आज जब भारत कोरोना महामारीसे संघर्ष कर रहा है एवं तीन लाखसे अधिक मौतें हो चुकी हैं, तब ऐलोपैथीको लेकर योगगुरु स्वामी रामदेवके बयानोंपर कुछ चिकित्सकों एवं इंडियन मेडिकल असोशिएशन (आईएमए) ने नाराजगी जतायी है। परन्तु यह विषय केवल स्वामी रामदेव या आइएमएका नहीं, बल्कि देशके १३९ करोड़ लोगोंसे जुड़ा है। […]

सम्पादकीय

आचरण

श्रीराम शर्मा देवदत्त संत थे परन्तु सांसारिक संत। यूं नहीं कि उन्होंने गृहस्थका परित्याग किया हो वरन् इसलिए कि वह ईश्वरका भजन, साधन, स्वाध्याय, सदाचार, सद्ïव्यवहारका आचरण करते हुए भी कभी-कभी क्रोधका व्यवहार कर जाते थे। धैर्य स्थिर रखना उनके लिए कठिन हो जाता था और घरमें जब कभी ऐसी स्थिति आती, धर्मपत्नीको डांटने लगते। […]

सम्पादकीय

ब्याज दरें यथावत

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवारको लगातार छठीं बार नीतिगत दरोंमें कोई परिवर्तन नहीं किया और रेपो रेट चार प्रतिशत और रिवर्स रेपोरेट ३.३५ प्रतिशतके स्तरपर बनाये रखा। इसके साथ ही नकद जमा अनुपात (सीआरआर) को भी यथावत चार प्रतिशत बरकरार रखा गया है। मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकके बाद आरबीआईके गवर्नर शक्तिकांत दासने कहा कि […]

सम्पादकीय

भूमंडलका सुरक्षा कवच ओजोन परत

डा. शंकर सुवन सिंह  प्रकृतिके द्वारा ही समूचे ब्रह्मïाण्डकी रचना की गयी है। पर्यावरणसे हम हैं और हमसे पर्यावरण। पारिस्थितिकी तंत्रका पृथ्वीसे घनिष्ठ सम्बन्ध है। पर्यावरणपर हमारे चारों ओरके वातावरणका प्रभाव पड़ता है। यह वातावरण, वायुमंडलीय प्रभावसे निर्मित होता है। हमारा वायुमंडल मजबूत होगा तो वातावरण भी शुद्ध होगा। वातावरण शुद्ध होगा तो हमारा पर्यावरण […]

सम्पादकीय

रदूषण मिटानेका लें संकल्प

प्रमेश सर्राफ धमोरा     संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा १९७२ में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। लेकिन विश्व स्तरपर इसके मनानेकी शुरुआत ५ जून १९७४ को स्वीडनकी राजधानी स्टॉकहोममें हुई थी। जहां ११९ देशोंकी मौजूदगीमें पर्यावरण सम्मेलनका आयोजन किया गया था। साथ ही प्रति वर्ष ५ जूनको विश्व पर्यावरण दिवस मनानेका निर्णय लिया गया […]

सम्पादकीय

कोरोनाकालमें पर्यावरणकी अहमियत

योगेश कुमार सोनी कोरोना कालने पर्यावरणकी अहमियतको बहुत अच्छे तरीकेसे समझाया। लोगोंको लगता था पर्यावरणको बढ़ावा देना सिर्फ कहनेके लिए ही बातें हैं आज वह भली-भांति इसकी गम्भीरता समझ गये। पहली बार ऐसा हुआ कि आक्सीजनकी लाइनमें लगे और यह समझ पाये कि पेड़-पौधे मानव जीवनके पर्यायवाची है। दुनियाको इस बातको समझानेके लिए एवं पर्यावरणको […]

सम्पादकीय

कर्मकी महत्ता

श्री श्री रविशंकर कर्मका रास्ता बहुत अजीब है। जितना आप इसे समझते हैं यह उतना ही आपको आश्चर्यचकित करता है। यह लोगोंको मिलाता है भी है और उन्हें दूर भी कर देता है। कर्मके कारण ही कोई व्यक्ति कमजोर हो जाता है और कोई व्यक्ति शक्तिशाली। कर्म ही किसीको गरीब तो किसीको अमीर बनाता है। […]

सम्पादकीय

तीसरी लहरका खतरा

देशमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहरकी गति अब धीरे-धीरे थमने लगी है। मौतकी संख्यामें कमी आयी है। सक्रिय मामलोंमें भी बड़ी संख्यामें गिरावट राहतकारी संकेत है। गुरुवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार नये मामलोंमें कुछ वृद्धि हुई है लेकिन ठीक होनेवालोंकी संख्यामें निरन्तर वृद्धि हो रही है। पिछले २४ घण्टोंके दौरान देशमें एक लाख […]

सम्पादकीय

 अवयस्क अनाथोंका विकल्प

प्रशान्त त्रिपाठी  कोरोनासे अनाथ हुए बच्चोंको लेकर सुप्रीम कोर्ट गम्भार हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय इसपर गहरी चिंता जाहिर करते हुए सभी राज्य प्राधिकारियोंको ऐसे बच्चोंकी तत्काल पहचान करने एवं उन्हें राहत मुहैया करानेका निर्देश दिया। महिला एवं बाल विकास मंत्रालयने इस प्रश्नको गम्भीरतासे लिया है और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग द्वारा भी ऐसे प्रयास किये […]

सम्पादकीय

मानवताका मूल तत्व है पर्यावरण

अमिता सिंह जल, जंगल, जमीन है तो पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत है। पारिस्थितिकी तंत्रकी बहाली जल, जंगल, जमीन तीनोंको संरक्षित करनेसे ही होगी। लोगोंको पर्यावरणकी सुरक्षाके प्रति जागरूक करने और सचेत करनेकी आवश्यकता है। इस बार विश्व पर्यावरण दिवस २०२१ का प्रसंग है पारिस्थितिकी तंत्रकी बहाली (इकोसिस्टम री-स्टोरेशन)। पारिस्थितिकी तंत्रकी बहाली कई रूपमें हो सकती है। […]